Heatwave: आसमान से बरसती आग और तपती रेत में पहरा दे रहे बीएसएफ के जवान

Heatwave. आसमान से बरसती आग में खड़ा रहना मुश्किल है। ऐसे में सीमा सुरक्षा बल के जवान सुरक्षा कर रहे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 04:00 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 04:00 PM (IST)
Heatwave: आसमान से बरसती आग और तपती रेत में पहरा दे रहे बीएसएफ के जवान
Heatwave: आसमान से बरसती आग और तपती रेत में पहरा दे रहे बीएसएफ के जवान

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। Heatwave. पाकिस्तान से सटी राजस्थान की पश्चिमी सीमा पर इन दिनों झुलसा देने वाली गर्मी पड़ रही है। रेगिस्तान भट्टी की तरह तप रहा है। सुबह होते ही तापमान में तेजी शुरू होती है, जो दोपहर तक 50 डिग्री के आसपास पहुंच जाता है। पिछले चार दिन से थार के रेगिस्तान में लू चल रही है। आसमान से बरसती आग में खड़ा रहना मुश्किल है। ऐसे में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान सुरक्षा कर रहे हैं। प्रचंड गर्मी की परवाह किए बिना ये जवान तारबंदी के निकट पहरा दे रहे हैं। जैसलमेर के शाहगढ़ बल्ज क्षेत्र की मुरार सीमा चौकी पर दो दिन से दोपहर में तापमान 49 डिग्री से ऊपर पहुंच रहा है।

गुरुवार को दोपहर मुरार चौकी के आसपास तापमान 49 डिग्री था। यहां रेत इतनी तप जाती है कि आसानी से पापड़ सेका जा सकता है। सुबह 11 बजे के बाद रेत पर कदम रखना मुश्किल हो जाता है। यहां चलने वाली धूलभारी आंधी हर किसी को अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर कर देती है। गर्मी से बचाने के लिए इस बार जवानों की ड्यूटी दो-दो घंटे में बदली जा रही है। गश्त के लिए ऊंट के साथ ही डेजर्ट स्कूटर का उपयोग किया जा रहा है, जिससे जवानों के साथ ऊंटों को भी राहत मिल सके। डेजर्ट स्कूटर से ही जवानों को तारबंदी और सीमा चौकियों तक पहुंचाया जाता है।

ऐसे करते हैं गर्मी से बचाव

बीएसएफ के डीआईजी एमएस राठौड़ का कहना है कि रेगिस्तान में गर्मी पड़ना सामान्य बात है। ऐसे में बीएसएफ के जवान हमेशा विपरित परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने बताया कि लू से बचाने के लिए जवानों को नियमित रूप से नींबू पानी, ग्लूकोज और ठंडा पानी उपलब्ध कराया जाता है। पानी की बोतल को बोरी के टुकड़े को गीला करके लपेटा जाता है, जिससे वह ठंडी रहे। आंखों पर काला चश्मा लगाने के लिए दिया जाता है। जवानों को गर्मी से बचाने के लिए कॉटन का कपड़ा मुंह पर बांधने और टोपी सिर पर लगाने के लिए कहा जाता है। चौकियों पर डेजर्ट कूलर लगाए गए हैं। सीमा पर यदि किसी जवान की तबीयत खराब हो जाती है तो उसे तत्काल उपचार के लिए पहुंचाया जाता है। उन्होंने बताया कि पहले तो चौकियां लोहे के टीन शेड व कच्ची बनी थी, लेकिन अब पक्की बनने के बाद कुछ राहत जरूर मिली है। बाड़मेर व जैसलमेर जिलों के सीमावर्ती इलाकों में तापतान 45 डिग्री से अधिक होना आम बात है। बीच में कई बार 50 डिग्री भी हो जाता है।

ऐसे मापा जाता है तापमान

थर्मामीटर को जमीन से एक मीटर की ऊंचाई पर धूप से अलग रखकर तापमान दर्ज किया जाता है। यह तापमान खुले में सीधी पड़ रही सूर्य की किरणों की अपेक्षा पांच से छह डिग्री कम होता है। उल्लेखनीय है कि दो साल पहले मुरार सीमा चौकी पर बीएसएफ के जवानों ने रेत में पापड़ सेंका था। एक बार चावल भी उबाले थे। मुरार के साथ ही भूंगरी, धनाना, तनोट सीमा चौकियों के आसपास में इन दिनों रेत जबरदस्त गर्म हो रही है।

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