Rajasthan: मृत व्यक्ति की चार साल तक पेंशन लेता रहा शातिर, आरटीआइ में हुआ खुलासा

Pension मृत व्यक्ति की चार साल तक पेंशन और खाद्य सुरक्षा का लाभ लेने के मामले का आरटीआइ में खुलासा हुआ है। घटना राजस्थान के जोधपुर की है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 13 Sep 2020 04:16 PM (IST) Updated:Sun, 13 Sep 2020 04:16 PM (IST)
Rajasthan: मृत व्यक्ति की चार साल तक पेंशन लेता रहा शातिर, आरटीआइ में हुआ खुलासा
Rajasthan: मृत व्यक्ति की चार साल तक पेंशन लेता रहा शातिर, आरटीआइ में हुआ खुलासा

जोधपुर, संवाद सूत्र। Pension: मृत व्यक्ति के नाम से गत चार वर्षों से वृद्धावस्था पेंशन की राशि लेने और उसके नाम से खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ भी लिए जाने का मामला उजागर हुआ है। मामला जोधपुर के लूनी तहसील से जुड़ा है। यहां मृतक के नाम से लेने वाली वृद्धावस्था पेंशन उसके खाते में ही जमा भी होती थी और निकली भी जाती थी। आरटीआइ से इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है, इसके बाद अब संबंधित अधिकारी सकते में हैं। क्षेत्र के आरटीआई कार्यकर्ता राजूराम विश्नोई ने मृतक हेमाराम पटेल पुत्र टिकमाराम निवासी लूणी के संबंध में आरटीआइ लगाई। इसके बाद पटवारी रिपार्ट में 24 मार्च, 2016 में हेमाराम की मौत हो जाने की बात सामने आई।

नियम के अनुसार, अगले ही दिन उसकी वृद्धावस्था बंद हो जानी चाहिए थी, लेकिन हेमाराम के नाम से एटीएम , चेक ओर ऑनलाइन शांपिग के जरिये खाते से चार साल से लगातार पेंशन की धनराशि निकाली जाती रही है। खातें में खुद हेमाराम के नाम से बैंक में 24000 रुपये जमा भी हो गए। इसके बाद की पड़ताल में परिजनों को खाद्य सुरक्षा योजना के लाभ लेते रहने की जानकारी मिली। हेमाराम का पुत्र दुर्गाराम पटेल बीते 10 साल से ग्रांम पंचायत लूणी में ही कार्यरत है, उसके पास पंचायत भवन की चाबियां भी रहती हैं। दुर्गाराम ने राशन निरस्त करवाए बिना ही अपने राशन में माता-पिता का नाम जुड़वाकर खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ उठाने के लिए पंजीकृत करवा लिया था। वहीं, अंदेशा ये भी लगाया जा रहा है कि हेमाराम का पूर्व में राशन कार्ड बनावा हुआ था, जो खाद्य सुरक्षा योजना से पंजीकृत नहीं था और इसका रिकार्ड आज भी ऑनलाइन मौजूद है, जिससे कि इस पूरे मामले में की गई धांधली उजागर हो गई।

आरटीआई में मिली जानकारी में सामने आया कि हेमाराम की चार साल पहले मौत हो गई थी, पर उसकी वृद्धावस्था पेंशन उठती रही। वहीं, मृतक के इस खाते में भी उसी के नाम से मौत होने बाद चौबीस हजार रुपये की धनराशि जमा होने से भी अन्य लोगों की संलिप्तता और फर्जीवाड़ा होने के पुख्ता प्रमाण हैं। विभागीय कार्मिकों और परिवार के लोगों की मिलीभगत से न सिर्फ चार साल तक पेंशन ली गई बल्कि सरकारी योजना का लाभ भी प्राप्त किया गया। मामले को लेकर हालांकि अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन आरटीआइ से हुए खुलासे ने व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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