Sambhar Lake: राजस्थान की सांभर झील बनी कब्रगाह, 18 हजार पक्षियों की मौत

Sambhar Lake of Rajasthan. प्रशासन प्रतिदिन सांभर झील से बीमार एवं मृत पक्षियों को निकाल कर पास ही खाली स्थान पर दफना रहा है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 05:18 PM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 05:18 PM (IST)
Sambhar Lake: राजस्थान की सांभर झील बनी कब्रगाह, 18 हजार पक्षियों की मौत
Sambhar Lake: राजस्थान की सांभर झील बनी कब्रगाह, 18 हजार पक्षियों की मौत

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Sambhar Lake of Rajasthan. राजस्थान की सांभर झील 18 हजार से अधिक देशी-विदेशी पक्षियों की कब्रगाह बन चुकी है। प्रशासन प्रतिदिन सांभर झील से बीमार एवं मृत पक्षियों को निकाल कर पास ही खाली स्थान पर दफना रहा है। हालात यह है कि बड़ी संख्या में पक्षी नमक में गल गए और उनमें कीड़े लग गए, जिसके चलते दूसरे पक्षियों की सेहत बिगड़ने लगी है।

सांभर झील खारे पानी के लिए प्रसिद्ध है। यहां नमक का उत्पादन होता है। पक्षियों की बड़ी संख्या में मौत के बाद सरकार की एक और लापरवाही सामने आई कि यहां ना तो उच्च स्तर के पक्षी विशेषज्ञ हैं और ना ही लैब हैं। बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के बाद लिए गए सैंपलों को जांच के लिए कोयंबटूर, भोपाल, बरेली और देहरादून भेजा गया है। वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही पक्षियों की मौत के कारणों का खुलासा हो सकेगा।

सीएम ने दिए वेटलैंड प्राधिकरण बनाने के निर्देश
उधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को पक्षियों की मौत पर चिंता जताते हुए कहा कि यह दुखद है। सरकार कारणों की जांच में जुटी है। गहलोत ने एक उच्च स्तरीय बैठक में सांभर झील सहित अन्य वेटलैंड के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए राज्य स्तर पर वेटलैंड प्राधिकरण बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस प्राधिकरण की सहायता से सांभर जैसी वेटलैंड्स का संरक्षण करने में मदद मिलेगी। तीन दिन पहले मुख्यमंत्री ने वनमंत्री सुखराम सहित वरिष्ठ अधिकारियों को सांभर झील पर भेजकर रेस्क्यू ऑपरेशन पर निगरानी के लिए कहा था । वनमंत्री का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही पक्षियों की मौत के कारणों का पता चल सकेगा।

85 प्रजातियों के पक्षी आए, 32 प्रजातियों के पक्षियों की मौत 

सांभर झील में प्रतिवर्ष 85 प्रजातियों के पक्षी आते हैं। इस बार भी ये आए, लेकिन 32 प्रजातियों के पक्षियों की इनमें से मौत हो गई। जिन प्रजातियों के पक्षियों की मौत हुई उनमें टमनिक, नोबिल डक, बुड सैंड पाइपर, लेसर सैंड प्लूवर, नॉर्दन शॉवलर, कॉमन टील, नॉर्दन पिटेल, मलाई, ब्लेक ब्राउन हैडेड गल, पलास गल, ग्रू प्लूवर, क्रीस्टेड लार्क, डेमोसियन क्रेन, इंडियन ईगल, फ्लोमिंग, लिटिल रिंग फ्लूवर, गल बिर्ल टर्न, केंटीस फ्लूवर, रूडी सेलडक, लेसर विसलिंग, गल बिल टर्न, कॉमन कुट, पायड एवोसेड, क्रीस्टेड लार्क, ब्लेक विंग स्टील्ट, रेड बेटेल्ड लेपविंग और पायड एवोसेड शामिल हैं।

सिविल डिफेंस, नागौर एवं सांभर नगर पालिका के कर्मचारी और एसडीआरएफ की टीम मंगलवार को भी झील से मृत पक्षियों को निकालने में जुटी रही। मृत पक्षियों को दफनाने के लिए लगातार आठवें दिन जेसीबी चलाकर गड्ढ़े किए जा रहे हैं। इसके साथ ही घायल पक्षियों को रेस्क्यू करके एंटीबायोटिक, एंटीहिस्टेमेनिक व नरवाइनटोनिक दवाईयां दी जा रही है। राज्य की प्रमुख वन सचिव श्रेया गुहा, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर सहित कई अधिकारियों ने मंगलवार को भी पक्षियों के बचाव कार्य का जायजा लिया। सलीम अली सेंटर फॉर ऑरनिथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री के डॉ.मुरलीधरन का कहना है कि वे जांच के लिए कोयंबटूर सेंपल लेकर जा रहे हैं।

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