छत पर सोलर पैनल लगा कर बेच सकेंगे सरप्लस बिजली

By Edited By: Publish:Sat, 13 Sep 2014 12:27 AM (IST) Updated:Sat, 13 Sep 2014 12:27 AM (IST)
छत पर सोलर पैनल लगा कर बेच सकेंगे सरप्लस बिजली

जयपुर (ब्यूरो)। राजस्थान में घरों और बड़े भवनों की छत पर सोलर पैनल लगा कर बनी सरप्लस सौर ऊर्जा सरकार को बेची जा सकेगी। बिजली दरों के लिए गठित नियामक संस्था राज्य विद्युत नियामक आयोग ने ऐसी बिजली के लिए दरें तय कर दी हैं।

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पिछले दिनों विधानसभा में घोषषणा की थी सौर ऊर्जा को ब़़ढावा देने के लिए आवासीय भवनों की छत पर लगे सौर पैनलों से उत्पादित सरप्लस बिजली सरकार खरीदेगी। इसके लिए जल्द ही दरें तय की जाएंगी। इस संबंध में पिछले दिनों नियामक आयोग में दायर याचिका पर नियामक आयोग ने विचार कर दरें तय कर दी हैं। सरकार यह बिजली साढ़े सात रुपये प्रति यूनिट में खरीदेगी। सरकार को बिजली बेचने के लिए संबंधित व्यक्ति को 31 मार्च 2015 तक सरकार के साथ पावर पर्चेज एग्रीमेंट करना होगा। इसके बाद विद्युत प्रसारण निगम छत पर लगे सोलर पावर प्लांट से ग्रिड तक बिजली ले जाने की व्यवस्था करेगा।

सोलर पैनल लगाने वाले व्यक्ति स्वयं के उपयोग के बाद बची बिजली सरकार को बेच सकेंगे। इसके साथ ही छोटे सोलर पावर प्लांट के लिए भी नियामक आयोग ने दरें तय की है। सरकार को उम्मीद है कि इस निर्णय से लोग ज्यादा से ज्यादा सौर ऊर्जा पैनल लगाएंगे और बा़़डमेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर जैसे जिलों, जहां सूरज की रोशनी लगभग पूरे साल एक जैसी रहती है, वहां सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़ेगा।

जयपुर में बनेगा मदर मिल्क बैंक

जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में इस वर्ष दिसंबर तक मदर मिल्क बैंक शुरू हो जाएगा। यह मिल्क बैंक जयपुर के महिला चिकित्सालय में बनाया जाएगा। राज्य सरकार ने इसमें तकनीकी सहयोग के लिए नार्वे से करार किया है।

जयपुर में मदर मिल्क बैंक की कवायद करीब डेढ़ साल से चल रही है, लेकिन किसी न किसी कारण से इसमें देरी हो रही थी। पिछले दिनों एक बैठक में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसका काम जल्द से जल्द पूरा कराने के निर्देश दिए। इसके बाद काम में तेजी आई है। हालांकि अभी भी यह तय समय से देरी से पूरा हो रहा है। बैंक के लिए तकनीकी सहयोग नार्वे से लिया जा रहा है और मशीनें ब्रिटेन से मंगाई गई हैं।

इस मिल्क बैंक के लिए उन महिलाओं से मदर मिल्क लिया जाएगा, जिनके नवजात बच्चे की मौत हो जाती है। इसके अलावा अन्य महिलाएं भी यदि दूध देने के लिए तैयार होंगी तो उनका सहयोग लिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि इससे उन बच्चों को बचाया जा सकेगा, जिन्हें किसी कारण से मां का दूध नहीं मिल पाता।

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