जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगी

मालेरकोटला (संगरूर) संवत्सरी पर्व पर जैन धर्मावलंबी जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं। गौरतलब है कि जैन धर्म के श्वेतांबर पंथ में पर्युषण पर्व संपन्न हुए हैं व क्षमावाणी दिवस मनाया जा रहा है। संथारा साधिका महाश्रमणी माता पद्मावती के आशिर्वाद जैनाचार्य साध्वी महिमा श्रीके श्राय में व तीर्थंकर जैन साधना केंद्र के तत्वावधान मे विशाल धार्मिक महोत्सव का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 04:35 PM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 04:35 PM (IST)
जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगी
जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगी

जेएनएन, मालेरकोटला (संगरूर):

संवत्सरी पर्व पर जैन धर्मावलंबी जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं। गौरतलब है कि जैन धर्म के श्वेतांबर पंथ में पर्यूषण पर्व संपन्न हुए हैं व क्षमावाणी दिवस मनाया जा रहा है। संथारा साधिका महाश्रमणी माता पद्मावती के आशिर्वाद जैनाचार्य साध्वी महिमा श्रीके श्राय में व तीर्थकर जैन साधना केंद्र के तत्वावधान मे विशाल धार्मिक महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव पर साध्वी ने अमृतमय मंगलवाणी करते हुए कहा कर्म क्षय का सर्वोत्त्म मार्ग है। अर्थ कष्टप्रद कठिनाई का जीवन जीना समझते हैं, जबकि अर्थ जीवन को सरलता से जीना है। इच्छाएं जीवन की समस्यायें हैं और उन पर नियन्त्रण जीवन का मूलभूत समाधान है। जीवन सादगी और सच्चाई की राह पर चलने लगता है। क्षमापान से चित्त में अह्लाद का भाव पैदा होता है और आह्लाद भावयुक्त व्यक्ति मैत्री भाव उत्पन्न कर लेता है और मैत्री भाव प्राप्त होने पर व्यक्ति भाव विशुद्धि कर निर्भय हो जाता है। इस अवसर पर ध्वजारोहण मुख्यातिथि सतीश कुमार अग्रवाल बीकेओ लुधियाना वालों ने किया। पूजा तरूण कुमार सोनी परिवार लुधियाना ने की।

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