ट्यूबवेल सुविधा बनी असुविधा, 150 में से 130 बंद

कंडी इलाके के किसानों को ट्यूबवेल से सिचाई की सुविधा अब असुविधा बन गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Jul 2019 10:37 PM (IST) Updated:Wed, 24 Jul 2019 10:37 PM (IST)
ट्यूबवेल सुविधा बनी असुविधा, 150 में से 130 बंद
ट्यूबवेल सुविधा बनी असुविधा, 150 में से 130 बंद

जागरण संवाददाता, रूपनगर

नूरपुरबेदी में सरकार की ओर से दी गई कंडी इलाके के किसानों को ट्यूबवेल से सिचाई की सुविधा अब असुविधा बन गई है। ट्यूबवेल अब काम नहीं करते और छोटे किसान अपने खेतों को सींच पाने में असमर्थ हैं। इन ट्यूबवेलों को दोबारा चालू करने समेत जंगली जानवरों की समस्या का हल करने और बिजली सप्लाई की मांग को लेकर रूपनगर के महाराजा रणजीत सिंह बाग में दून नौजवान सभा ने धरना दिया । इस दौरान प्रशासन द्वारा अपनाई जा रही अनदेखी के खिलाफ नारेबाजी की गई। इसके उपरांत डीसी रूपनगर के नाम सहायक कमिश्नर (शिकायतें) सरबजीत कौर को मांगपत्र दिया गया।

दून नौजवान सभा के नेता जगमनदीप सिंह पड़ी ने बताया कि नूरपुरबेदी क्षेत्र के अलग-अलग गांवों में सरकारी टयूबवेल नहीं चल रहे हैं। जगमनदीप सिंह पड़ी, नरिदर सिंह ब्राह्मणमाजरा ने कहा कि सरकार ने कंडी क्षेत्र में सिचाई की समस्या को देखते हुए गांवों में सिचाई के लिए सरकारी टयूबवेल लगाए थे। कुल 180 में से 150 टयूबवेल प्रशासन की अनदेखी के कारण बंद पड़े हैं। लोगों को सिचाई के लिए पानी न मिलने के कारण जमीन बंजर बनती जा रही है। कंडी क्षेत्र में सिचाई का पक्का हल करने के लिए जंगल के साथ साथ नहर निकाली जाए, जिससे सिचाई और जंगली जानवरों का भी पक्का हल हो सके। इसके अलावा उन्होंने कहा कि धरती का निचला पानी अवैध खनन के कारण लगातार गिरता जा रहा है। नहर निकालने से इस समस्या का हल भी होगा। उन्होंने निराशा प्रकट की कि आनंदपुर साहिब ब्लॉक को खेतों में लगी मोटरों के लिए दी जा रही 24 घंटे बिजली सप्लाई को कम करके आठ घंटे बिजली सप्लाई की नीति सरकार द्वारा लाई जा रही। इसका विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ने टयूबवेलों को चलाने, नहर का निर्माण, जंगली जानवरों से खेती के बचाव और पीने वाले पानी की समस्या का जल्द हल न किया तो वे कड़ा संघर्ष करेंगे। इस मौके कमलजीत सिंह गिल, दिलवर सिंह भट्टों, अजमेर सिंह गिल, दर्शन सिंह, हुस्न लाल, गुरमीत सिंह, कुलदीप सिंह आदि उपस्थित थे।

किसानों से फीस लेकर की जा सकती है देखरेख नूरपुर खुर्द के किसान दर्शन सिंह ने कहा कि पहले ट्यूबवेलों की देखरेख के लिए ऑपरेटर रखे गए थे, लेकिन बाद में ऑपरेटरों को हटा लिया गया। देखरेख के अभाव में ट्यूबवेल बंद होने लगे। एक एक ट्यूबवेल से 100-100 एकड़ इलाका जोड़ा गया है। ट्यूबवेल ही नहीं चलते और सिचाई भी नहीं हो रही। किसानों से नाममात्र फीस लेकर इन ट्यूबवेलों की देखरेख की जा सकती है।

सरकार करे कार्रवाई बाह्मणमाजरा के किसान नरिदर सिंह ने कहा कि उनके गांव बाह्मणमाजरा में लगा ट्यूबवेल आज भी काम कर रहा है लेकिन उनके गांव और झांडियां की जमीन के लिए लगा ट्यूबवेल लंबे समय से बंद पड़ा है। ट्यूबवेलों को अगर सरकार ने लगवाया है, तो सरकार इन ट्यूबेवलों को चालू हाल में भी रखे।

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