जिला कोर्ट में नहीं हो पाई डीजीपी मामले पर सुनवाई

By Edited By: Publish:Mon, 14 Jul 2014 04:17 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jul 2014 04:17 PM (IST)
जिला कोर्ट में नहीं हो पाई डीजीपी मामले पर सुनवाई

जागरण संवाददाता, रूपनगर

पंजाब के डीजीपी एसके शर्मा समेत चार लोगों पर रूपनगर की जिला एवं सेशन कोर्ट में गांव अमराली के युवक के अपहरण, हत्या व सबूत मिटाने के आरोप के मामले की सुनवाई जिला कोर्ट में सोमवार को नहीं हो सकी। जिला कोर्ट ने 3 जून को उपरोक्त मामले में आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किए थे जिसके बाद रिटायर्ड एएसआई गुरचरन सिंह ने माननीय हाईकोर्ट की शरण लेते हुए जिला कोर्ट द्वारा लगाए गए चार्ज के खिलाफ याचिका दायर की थी। माननीय हाईकोर्ट ने इस याचिका को दाखिल करते हुए निचली अदालत में केस की सुनवाई पर रोक लगाई थी और हाईकोर्ट में याचिका पर 22 जुलाई को सुनवाई तय की थी। इस संबंधी एडवोकेट भूपिंदर सिंह राजा ने बताया कि बाद में बाकी आरोपियों डीजीपी एसके शर्मा, पूर्व डीआइजी एसपीएस बसरा और पूर्व डीएसपी बलकार सिंह ने भी निचली अदालत द्वारा उन पर लगाए चार्ज के खिलाफ याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं को भी पूर्व एएसआई गुरचरन सिंह की याचिका के साथ अटैच कर दिया गया और अब 22 जुलाई को चारों याचिकाओं की सुनवाई एक साथ होगी।

सोमवार को जिला एवं सेशन जज अमरजोत भंट्टी की अदालत में डीजीपी एसके शर्मा, एसपीएस बसरा, बलकार सिंह व गुरचरन सिंह सभी पेश हुए। इनके वकीलों ने अदालत में हाईकोर्ट द्वारा निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक के आदेशों की प्रति सौंपी। जिला एवं सेशन जज अमरजोत भंट्टी ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 4 अगस्त तय की है। उल्लेखनीय है कि करीब 23 साल पहले अमराली के अजैब सिंह के बेटे का अपहरण हुआ था। 24 अक्टूबर 1990 को कृष्णा मंडी मोरिंडा में से उसके 21 वर्षीय कुलदीप सिंह का अपहरण किया गया था। तब अजैब सिंह ने आरोप लगाया था कि उसके बेटे का अपहरण पुलिस ने किया है। पुलिस ने उसके आरोपों को खारिज कर दिया था। 15 मई 1991 को उसने एक अंग्रेजी समाचार पत्र में बयान पढ़ा कि पटियाला एसएसपी एसके शर्मा ने प्रेस को बताया कि मोरिंडा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आते गांव अमराली का कुलदीप सिंह एनकाउंटर में 1 मई को मारा गया। तब उसने अपने बेटे के बारे में सच्चाई जानने के लिए बहुत हाथ पैर मारे। लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाया। बाद में अदालत के आदेश पर अपहरण के आरोप में 1998 में उपरोक्त चार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। उसके बाद अब जिला अदालत ने आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किए हैं। अजैब सिंह ने कहा कि उसे अब कोई रंज नहीं। अदालत ने उनकी सुनवाई की है व उन्हें विश्वास है कि अब आरोपियों को बनती सजा भी मिलेगी।

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