जतिदर मट्टू के प्रयासों के चलते 40 साल बाद सरकारी एलिमेट्री स्कूल को मिली अपनी जमीन

स्लम बस्तियों के बच्चों के उत्थान व उन्हें समाज में समरसता का दर्जा दिलाने को डा. जतिदर सिंह मट्टू ने नाभा के गोबिद नगर इलाके में पिछले 40 साल से खस्ताहाल धर्मशाला की इमारत में चल रहे सरकारी एलिमेंट्री स्कूल को उसकी अपनी जमीन दिलवाई।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Jan 2022 07:35 AM (IST) Updated:Mon, 24 Jan 2022 07:35 AM (IST)
जतिदर मट्टू के प्रयासों के चलते 40 साल बाद  सरकारी एलिमेट्री स्कूल को मिली अपनी जमीन
जतिदर मट्टू के प्रयासों के चलते 40 साल बाद सरकारी एलिमेट्री स्कूल को मिली अपनी जमीन

जागरण संवाददाता, पटियाला : स्लम बस्तियों के बच्चों के उत्थान व उन्हें समाज में समरसता का दर्जा दिलाने को डा. जतिदर सिंह मट्टू ने नाभा के गोबिद नगर इलाके में पिछले 40 साल से खस्ताहाल धर्मशाला की इमारत में चल रहे सरकारी एलिमेंट्री स्कूल को उसकी अपनी जमीन दिलवाई। स्कूल के पास अपनी जमीन नहीं होने के कारण जहां जरूरतमंद परिवारों के बच्चे को खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर थे, वहीं बारिश और सर्दी में यह हालात बद से बदतर हो जाते थे। हालांकि बच्चों की परेशानी को देखते हुए नई जिला जेल की तरफ से स्कूल को जमीन दान में दी गई थी, लेकिन इस जमीन पर वन विभाग ने कब्जा कर रखा था। इस कारण स्कूल पुरानी धर्मशाला के कमरों में चलाया जा रहा था।

इस मामले के ध्यान में आने के बाद जहां जतिदर सिंह मट्टू ने डिप्टी कमिश्नर पटियाला और जिला शिक्षा अफसर एलिमेंट्री को जमीन संबंधी दस्तावेज मुहैया करवाए, वहीं कानूनी लड़ाई भी लड़ी। जिसके फलस्वरूप नवंबर 2019 में स्कूल को अपनी जमीन मिल सकी। मट्टू के प्रयासों के चलते इस समय स्कूल में चार क्लासरूम और एक किचन तैयार हो चुके हैं और बच्चों को पढ़ने के लिए छत मिल सकी। पंजाबी यूनिवर्सिटी में कार्यरत डा. मट्टू डा. आंबेडकर कर्मचारी महासंघ के प्रदेश प्रधान भी हैं।

डा. जतिदर सिंह मट्टू ने बताया कि नाभा के गोबिद नगर इलाके के सरकारी एलिमेंट्री स्कूल के पास अपनी चार कनाल जमीन होने के बावजूद न तो बिल्डिग थी और न ही पर्याप्त क्लासरूम। जिस कारण 90 के करीब विद्यार्थियों के इस स्कूल के पास पर्याप्त क्लारूम नहीं होने से विद्यार्थियों को खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाया जा रहा था। पांच कमरों वाली इस धर्मशाला में आसपास की कालोनियों से जरूरतमंद परिवारों के बच्चे शिक्षा हासिल ग्रहण करते थे। आम दिनों में तो जैसे-तैसे काम चल जाता था लेकिन सर्दी और बारिश के मौसम में मुसीबत खड़ी हो जाती थी। क्योंकि धर्मशाला के पांच कमरों में सभी क्लास के बच्चों को बैठाना लगभग न मुमकिन था। नौ साल बाद स्कूल को मिली अपनी जमीन

डा. मट्टू ने बताया कि करीब नौ साल बीत जाने के बावजूद न तो स्कूल को अपनी जमीन मिल रही थी और न ही विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए छत। स्कूल पिछले करीब 40 साल से धर्मशाला में चल रहा था। स्कूल के लिए कई बार जमीन की मांग करने के बाद साल 2010 में गृह मामले और न्याय विभाग जेल शाखा पंजाब की तरफ से जेल नाभा की चार कनाल जमीन सरकारी प्राइमरी स्कूल गोबिद नगर नाभा को अलाट कर दी गई थी। जमीन अलाट हुए नौ साल बीत जाने के बावजूद भी जमीन पर स्कूल निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो सका था, क्योंकि प्रशासन या विभाग की तरफ से जमीन पर कब्जा दिलवाने संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की गई थी और अलाट की गई जमीन केवल सरकारी आदेशों तक ही सीमित रह गई थी। गांव स्तर पर लोग को रहे जागरूक

डा. जतिदर सिंह मट्टू की तरफ से गांव और शहरों में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन जागरूकता लहर चलाकर गरीब और अनुसूचित वर्ग को लोगों को उनके संवैधानिक और बुनियादी हकों के बारे और शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है।

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