देना है तो दीजिए जन्म-जन्म का साथ..

बालक जब गर्भ में होता है तभी से बालक बहुत कुछ सीख लेता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Oct 2019 07:56 PM (IST) Updated:Fri, 18 Oct 2019 07:56 PM (IST)
देना है तो दीजिए जन्म-जन्म का साथ..
देना है तो दीजिए जन्म-जन्म का साथ..

संवाद सहयोगी, बलाचौर : बलाचौर के श्री भवानी दुर्गा मंदिर में 39वां श्री दुर्गा मूर्ति स्थापना और 12वां ब्रह्मलीन गुरु मूर्ति स्थापना उत्सव मास्टर मंगल राम अत्री कुरुक्षेत्र वालों के तत्वाधान में करवाया जा रहा है। श्रीमद् भागवत महापुराण कथा कथावाचक पंडित देवी प्रसाद ऋषिकेश वालों ने की। उन्होंने बताया कि माता अपने पुत्र को जैसी शिक्षा देती हैं, पुत्र उसी प्रकार संस्कार वाला बन जाता है। बालक जब गर्भ में होता है तभी से बालक बहुत कुछ सीख लेता है। भक्ति और पाप एक साथ नहीं रह सकते जहां पर भक्ति होती है वहां पर पाप नहीं होता, जहां पर पाप होगा वहां पर भक्ति नहीं हो सकती है।

गर्भ ममें जब बच्चा होता तब भी भक्ति हो सकती है। अगर माता कीर्तन या भक्ति करती है तो उस समय गर्भ में पल रहा बालक भी उसी रंग में रंग जाता है और जन्म लेने के बाद बालक भी अच्छे संस्कारों वाला होता है। संतों की संगत से व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के चक्र से छूट जाता है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। परंतु बहुत सी माताएं अपने बच्चों को संतों की संगत करने नहीं देती।

कथा के दौरान पंडित देवी प्रसाद ने सुंदर भजनों देना है तो दीजिए जन्म-जन्म का साथ, हरि नाम नहीं तो जीना क्या आदि भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया। इस अवसर पर प्रधान जगदीश कपिल, पार्षद कुलदीप कौर, प्रदीप नागपाल, नवीन संदेश मोदगिल, केवल चेतन, लेक्चरर सुनील शर्मा, बृजेश अग्निहोत्री, पितांबर कांत, पवन शर्मा, नरेश चेतन, शाम लाल शर्मा, नरेंद्र भारद्वाज, विशाल शर्मा, मोहनलाल ओहरी, पीएन सेठ, शक्ति जोशी, पुष्प आनंद आदि भक्तजन मौजूद रहे।

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