193 दिनों के बाद स्कूलों में बजी घंटी, 30 फीसद ही पहुंचे बच्चे

कोरोना महामारी के कारण आखिरकार 193 दिनों के बाद स्कूल खुल गए। इससे विद्यार्थियों अध्यापकों के साथ अभिभावकों ने भी राहत की सांस ली है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 06:02 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 05:12 AM (IST)
193 दिनों के बाद स्कूलों में बजी घंटी, 30 फीसद ही पहुंचे बच्चे
193 दिनों के बाद स्कूलों में बजी घंटी, 30 फीसद ही पहुंचे बच्चे

सुशील पांडे ,नवांशहर : कोरोना महामारी के कारण आखिरकार 193 दिनों के बाद स्कूल खुल गए। इससे विद्यार्थियों, अध्यापकों के साथ अभिभावकों ने भी राहत की सांस ली है। सोमवार को 9वीं व 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोल दिए गए। प्रदेश सरकार की हिदायतों के मद्देनजर स्कूलों को खोला गया। इतने दिनों से घर मे रह कर विशेष कर क‌र्फ्यू वाले व लाकडाउन में सारा दिन घर पर रह कर विद्यार्थी बोर हो गए थे। भले ही आनलाइन कक्षाओं से बच्चे पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन स्कूल को वह काफी मिस कर रहे थे। सोमवार को पूरी तैयारियों के साथ स्कूलों को खोला गया। स्कूलों को एक दिन पहले ही सैनिटाइज करवाना शुरू कर दिया गया था। बच्चों के अभिभावकों से सहमति पत्र मिलने पर ही बच्चो को स्कूल में बुलाया गया।

स्कूल का समय सुबह नौ बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक रखा गया था। बच्चे सुबह साढे आठ बजे से ही स्कूल में पहुंचना शुरू हो गए। बच्चों के हाथों को सैनिटाइज करने के लिए एक स्कूल कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई थी। बच्चों को कतारों में दूरी बनाकर स्कूल में प्रवेश करवाया जा रहा था। हर एक बच्चे के हाथों को सैनिटाइज करके ही स्कूल में भेजा जा रहा था। यही नहीं स्कूल के अध्यापकों के हाथों को भी सैनिटाइज किया जा रहा था। अभिभावकों के सहमति पत्र किए गए चेक

जिले में सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूलों की संख्या 104 है। जिसमें नौंवी व 12वीं कक्षा के विद्यार्थी पढ़ते हैं। भले ही शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों को खोल दिया गया था, लेकिन स्कूलों में विद्यार्थी बेहद कम थे। हर स्कूल में विद्यार्थी तो आए लेकिन कुल संख्या के मात्र 30 फीसद ही थे। अगर किसी स्कूल में 10वीं कक्षा में 30 विद्यार्थी थे तो करीब 10 विद्यार्थी की कक्षा में हाजिर हुए।

गेट पर ही स्कूल स्टाफ ने खड़े होकर उन्हीं विद्यार्थियों को एंट्री मिली जिन्होंने मास्क पहना था। एंट्री गेट पर बच्चों को अभिभावकों की ओर से दिए गए सहमति पत्र चेक किए जा रहे थे। बच्चों के बैठने में छह फुट की दूरी सुनिश्चित की गई। इसके अलावा एक डेस्क पर केवल एक बच्चे को ही बैठने की अनुमति दी गई।

स्कूल में सुरक्षा के पूरे प्रबंध

स्कूल खुलने से पहले पीने के पानी के इंतजाम किए गए थे। विद्यार्थियों को पहले ही कहा गया था कि वह पानी पीने के लिए गिलास अपने घर से लेकर आएंगे। वहीं कुछ विद्यार्थी घर से ही पानी की बोलत लेकर आए थे। जिला शिक्षा अधिकारी सुशील कुमार तुली ने कहा कि कोरोना के कारण जिले के सभी स्कूलों में सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए थे। सरकार की सभी हिदायतों का पालन किया जा रहा है।

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