डिस्पेंसरी जैसा बना 100 गांव का एक मात्र सरकारी अस्पताल

इलाके में सरकारी अस्पताल में सुविधा न के बराबर है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Dec 2019 10:15 PM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 06:15 AM (IST)
डिस्पेंसरी जैसा बना 100 गांव का एक मात्र सरकारी अस्पताल
डिस्पेंसरी जैसा बना 100 गांव का एक मात्र सरकारी अस्पताल

सतीश शर्मा, काठगढ़ : इलाके में सरकारी अस्पताल में सुविधा न के बराबर है। बीमार होने की स्थिति में टैक्सी करवाना और उसका खर्च उठाना पड़ता है और नवांशहर, चंडीगढ़ या जालंधर की तरफ जाना पड़ता है। एमरजेंसी के समय समस्या ओर भी गंभीर हो जाती है। अकाली भाजपा सरकार ने सरकारी अस्पताल की नींव रखी, पूर्व सेहत मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी ने श्री गणेश किया। लोगों का कहना है कि जब से यह अस्पताल शुरू हुआ है सिर्फ सुना ही है कि डॉक्टर आएंगे लेकिन यह बात सच नहीं हुई। लगभग पांच करोड़ की लागत से तैयार अस्पताल एक छोटी सी डिस्पेंसरी से भी कम स्तर की सुविधा दे रहा है। मात्र एक एसएमओ ही सभी कामों को देख रहे हैं। इमारत बन गई, स्टाफ नहीं आया : पूर्व सरपंच

काठगढ़ के पूर्व सरपंच जोगिदर पाल का कहना है कि यह अस्पताल उनके कार्यकाल में बनाया या है। गांव की तरह से हर सहायता की गई, ताकि जनता की की काफी लंबे समय से मांग थी, वह पूरी हो जाए, परन्तु इमारत बन गई है, परन्तु स्टाफ आया नहीं है। डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं, लोग फार्मासिस्टों से ही दवाई लेकर आ जा रहे हैं, परन्तु कोई भी सुनने वाला नहीं है।

डिस्पेंसरी की तरह तीन बजे तक खुलता है अस्पताल : प्रिंसिपल

पूर्व सरपंच चंचला आनंद के पति प्रिसिपल चमन लाल आनंद ने बताया कि काफी समय से इस मांग के प्रति पंचायतों ने अपने-अपने कार्यकाल में प्रयास किए हैं, परन्तु जनता की जरूरतों को अस्पताल पूरा नहीं कर पाया है। बात वहीं की वहीं लटक रही है। अस्पताल सरकारी डिस्पेंसरी की तरह तीन बजे तक खुला रहता है, फिर बंद कर दिया जाता है।

न एमरजेंसी वार्ड, न एंबुलेंस : पूर्व सरपंच

पूर्व सरपंच सुभाष आनंद ने बताया कि यहां पर न तो इमरजेंसी है। रात्रि को लोगों को टैक्सियां करवाकर रूपनगर, बलाचौर, नवांशहर आदि अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। जहां तक अस्पताल में एंबुलेंस का प्रबंध नहीं है। मामूली डिस्पेंसरी की तरह अस्पताल बना हुआ है। हर बार जबाव मिलता है, डॉक्टर भेजेंगे : सरपंच

काठगढ़ के सरपंच गुरनाम सिंह चाहल का कहना है कि डाक्टरों के बारे में कई बार बातचीत की गई है। जवाब यही मिलता है कि जब भी भर्ती होगी, पहले यहां पर ही डॉक्टर भेजे जाएंगे। प्रयास जारी है, ताकि लोग समस्या मुक्त हो जाएं।

अकेला हूं, शिकायत पर कार्रवाई नहीं हो रही : एसएमओ

एसएमओ काठगढ़ डा. गुरिदर सिंह ने बताया कि आजकल वह अस्पताल में अकेले ही बैठते हैं। एक सफाई कर्मचारी ही है, स्टाफ की कमी है, मुझे बैठकों में भी जाना पड़ता है। कई बार विभाग को लिखकर भेजा गया है। परन्तु बात नहीं बन रही, क्षेत्र बड़ा है, ओपीडी ज्यादा है। एक अतिरिक्त कर्मचारी था, उसकी भी बदली कर दी गई। अब और भी परेशानी बढ़ गई है। सरकार जब भर्ती करेगी तो पद भरे जाएंगे : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. राजिदर प्रसाद भाटिया ने बताया कि कई बार विभाग को लिखकर भेजा गया है। उन्होंने कहा कि अभी डॉक्टर तो बलाचौर व नवांशहर में भी नहीं हैं। सरकार जब भी भर्ती करेगी, तुरंत डाक्टर उपलब्ध हो जाएंगे।

chat bot
आपका साथी