सरकारी बस बनी एनआरआइ दुल्हन की डोली, ऑटो से पहुंची ससुराल

पंजाब में शादिया बेहद खर्चीली होती हैं। अपनी शान ऊंची दिखाने के लिए लोग कर्ज लेकर या फिर संपत्ति बेचकर यह दिखावा करते हैं, लेकिन नवाशहर के गाव भीण के अमरजोत सिंह और कनाडा से हाल ही में जगराओं तहसील के गाव मानूके में लौटी अमन सहोता ने नई मिसाल कायम की है। दोनों की शादी सादे ढंग से हुई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 11:28 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jan 2019 11:28 PM (IST)
सरकारी बस बनी एनआरआइ दुल्हन की डोली, ऑटो से पहुंची ससुराल
सरकारी बस बनी एनआरआइ दुल्हन की डोली, ऑटो से पहुंची ससुराल

जासं, नवाशहर : पंजाब में शादिया बेहद खर्चीली होती हैं। अपनी शान ऊंची दिखाने के लिए लोग कर्ज लेकर या फिर संपत्ति बेचकर यह दिखावा करते हैं, लेकिन नवाशहर के गाव भीण के अमरजोत सिंह और कनाडा से हाल ही में जगराओं तहसील के गाव मानूके में लौटी अमन सहोता ने नई मिसाल कायम की है। दोनों की शादी सादे ढंग से हुई। बारात में लड़की के घर केवल पाच लोग पहुंचे और सरकारी बस में टिकट कटा कर दुल्हन को लाया गया।

सादगी और बिना फिजुल खर्च कर शादी की मुहिम चलाने वाले एक रिश्ता इंसानियत वेल फेयर सोसयटी के प्रधान लखविंदर सिंह बताते हैं कि अमरजोत सोसायटी के कामों सक्रिय हैं। लोगो को सादगी से शादी की सीख देने के लिए इस प्रकार की शादी का फैसला किया गय। अमरजोत पहले कुवैत में काम करते थे। अब गाव में ही मोटर मैकेनिक का काम करते हैं। जब उनकी शादी अमन सहोता से तय हुई तो उन्होंने उसे अपनी शादी में फिजुल खर्ची की बजाए सादगी से करने की बात कही। अमन इसके लिए तैयार हो गई। इसके बाद परिजनों को इसके बारे बताया गया। दोनों परिवारों ने इसके लिए रजामंदी दे दी।

अमरजोत सिंह के घर से शुक्रवार को बारात आटो से सुबह साढे़ पाच बजे निकली। बारात में 20 लोग शामिल थे। नवाशहर बस स्टैंड से जगराओं के लिए टिकट लेकर सभी सवार हो गए। जगराओं में सुबह करीब नौ बजे पहुंचे। जगराओं से गाव मानूके तक पाच लोग दुल्हे के साथ दुल्हन के घर तक गए। लड़की वालों केवल पाच लोगों के आने के बारे बताया गया था। शादी के बाद दुल्हन को पीआरटीसी की बस में ही नवाशहर लाया गया। इसके बाद आटो से दुल्हन को घर ले जाया गया।

इस सादगी भरी शादी के बारे अमरजोत का कहना है कि लोगों को सीख देने से पहले खुद उसे करना चाहिए। यह सोच कर उन्होंने यह कदम उठाया। यदि सभी शादियों में फिजुलखर्ची बंद हो जाए तो लोगों पर कोई कर्ज नहीं चढे़गा। इससे कन्या भ्रूणहत्या अपने आप ही खत्म हो जाएगी, क्योंकि लड़किया फिर परिवारों पर बोझ नहीं होंगी। शादियों पर होने खर्च के कारण ही लड़कियों को बोझ समझा जाता है। इसके साथ ही लड़के के परिजन भी दिखावे के लिए काफी खर्च करते हैं। इस पर रोक लगेगी। अमन ने कहा कि वह अमरजोत के इस विचारधारा से काफी प्रभावित हुई हैं। उल्लेखनीय है कि इसी गाव के एक रिश्ता इंसानियत वेल फेयर सोसयटी के प्रधान लखविंदर सिंह की खुद दो साल पहले अपनी बारात रिक्शे पर लेकर गए थे।

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