पराली जलाने के 166 केस, प्रदूषण का स्तर 200 के पार, दोगुना हुए दमा के मरीज

पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने के बाद बढ़े प्रदुषण के कारण सांस लेने में तकलीफ के मरीजों की संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Nov 2019 12:06 AM (IST) Updated:Tue, 05 Nov 2019 12:06 AM (IST)
पराली जलाने के 166 केस, प्रदूषण का स्तर 200 के पार, दोगुना हुए दमा के मरीज
पराली जलाने के 166 केस, प्रदूषण का स्तर 200 के पार, दोगुना हुए दमा के मरीज

सुशील पांडे,नवांशहर : पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने के बाद बढ़े प्रदुषण के कारण सांस लेने में तकलीफ के मरीजों की संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है। आंखों में जलन व नाक में खारिश जैसे केस ज्यादातर हैं। जिला सरकारी अस्पताल में पहले हर रोज इस इस तरह के 18-20 मरीज आते थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 45 हो गई है। सरकारी अस्पताल के मेडिसन विभाग के डॉक्टर गुरपाल कटारिया ने यह जानकारी दी। शनिवार को सांस लेने में तकलीफ के मरीजों की संख्या बढ़कर 70 के करीब पहुंच गई थी। प्रदुषण का स्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा समस्या समस्या पहले से ही दमा से पीड़ित लोगों की हो रही है। वहीं जो लोग नियिमत तौर पर दमा का इलाज करवा रहे हैं उनकी स्थित बेहद चिताजनक बनी हुई है। मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने स्वास्थ विभाग को सरकारी अस्पताल में इस तरह के मरीजों के लिए विशेष वार्ड बनाने के निर्देश दिए थे जिस पर अमल करते हुए नवांशहर के सरकारी अस्पताल में विशेष रूम बना लिया गया है। एसएमओ डॉ.नीना ने इस संबंध में बताया कि स्वास्थ्य वभाग की ओर से निर्देश मिलने के एक घंटे के भीतर ही विशेष रूम को बना लिया गया है। उन्होंने में बताया इस कमरे में सात बेड और रेसपिरेटरी से जुड़ी सभी दवाइयां व अन्य सामान मुहैया करवा दिया गया है। मरीजों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आने दी जाएगी।

200 के पार पहुंचा प्रदूषण का स्तर

आम दिनों में प्रदूषण का स्तर 70 एक्यूआई रहता है जो नवांशहर में अब 200 के पार पहुंच चुका है। इसके और बढ़ने की संभावना है। अब तक जिले में पराली जलाने के 166 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से दो लाख 60 हजार रुपये के चालान किए गए हैं। पराली जलाने से 15 प्रतिशत तक प्रदूषण बढ़ा रहा है। पिछले साल पराली को आग लगाने के 251 मामले सामने आए थे। एक टन पराली जलाने से 1513 किलोग्राम कार्बन डाइआक्साइड, 92 किलो कार्बन मोनोआक्साइड, 3.83 किलो नाइट्रस आक्साइड, 0.4 किलो सल्फर डाइऑक्साइड और 2.7 किलोग्राम मीथेन हवा में घुलती है। इस कारण सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है।

प्रति एकड़ तीन हजार रुपये मिलें तो नहीं जलाएंगे पराली

किसान नेता उपिदर सिंह ने कहा कि किसान पराली जलाने के हक में नहीं है। छोटे किसान पराली के निपटारे के लिए महंगी मशीनरी नहीं खरीद सकता जिसका सरकार को हल निकालना चाहिए। सरकार किसानों को 200 रुपए प्रति एकड़ बोनस और 3000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दे तो किसान कभी भी पराली नही जलाएगा।

बेहद खतरनाक होता है पराली की आग का धुआं

डॉक्टर गुरपाल कटारिया ने बताया कि जहां एक महीना पहले सांस की तकलीफों के 18 से 20 मरीज प्रतिदिन आते थे वहीं अब इनकी संख्या बढ़ कर 45 पर पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा, पराली की आग का धूंआ बेहद खतरनाक होता है। आंखों के अलावा फेफड़ों में सांस के जरिए इसके अंदर जाने से बड़ा नुकसान कर सकता है। डॉक्टर कटारिया ने सलाह दी है कि अस्थमा के मरीज आजकल घर से बाहर निकलने की बजाए कमरे में रहें ।

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