भक्तों ने किया मां बगलामुखी का पूजन

। माता बगलामुखी मंदिर में भक्तों ने मां बगलामुखी का पूजन किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 10:30 PM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 10:30 PM (IST)
भक्तों ने किया मां बगलामुखी का पूजन
भक्तों ने किया मां बगलामुखी का पूजन

संवाद सहयोगी, मोगा

माता बगलामुखी मंदिर में भक्तों ने मां बगलामुखी का पूजन किया। पुजारी आचार्य नंद लाल ने बताया कि मां बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक है।

उन्होंने बताया कि बगलामुखी की उत्पत्ति सतयुग में एक भयंकर तूफान आया था जिसके कारण सृष्टि का विनाश होने लगा तब भगवान विष्णु के तप के बाद हरिद्रा सरोवर से मां बगलामुखी जल क्रीड़ा करती हुई उत्पन्न हुई थी। तब नारायण भगवान ने सृष्टि के विनाश को रोकने के लिए मां बगलामुखी से प्रार्थना की भगवान के तप और प्रार्थना से मां बगलामुखी तथास्तु कहकर अंतध्र्यान हो गई। जिस दिन यह घटना घटी उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी तभी से हर साल मां बगलामुखी की जयंती अष्टमी तिथि को मनाई जाने लगी। उन्होंने बताया कि 20 मई को मनाई जा रही माता बगलामुखी जयंती के उपलक्ष्य में कोटकपूरा रोड पर स्थित माता बगलामुखी मंदिर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है । कोरोना महामारी के चलते इस कार्यक्रम को सादगी पूर्ण तथा श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा। उन्होंने भक्तों से अपील की कि वह कार्यक्रम के दौरान प्रशासन द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करते हुए पूजा करें सरकारी गाइडलाइन की पालना करते हुए मां बगलामुखी के दर्शन करें। शिव शक्ति दुर्गा मंदिर में बजरंग बली की उतारी आरती़ शिव शक्ति दुर्गा मंदिर में संकीर्तन एवं श्री हनुमान चालीसा का पाठ करके समस्त सदस्यों ने हनुमान जी के दरबार में पूजन किया। इसके उपरांत सभी ने कोरोना महामारी को खत्म करने की प्रार्थना।

पुजारी तरसेम शर्मा ने कहा कि इंसान के जीवन के लिए दो चीजें खास अहमियत रखती हैं। एक ईश्वर का डर और दूसरा ईश्वर का दर। यह दोनों साथ-साथ चलती हैं। लेकिन कामकाज में व्यस्त व्यक्ति सब कुछ भूलता जा रहा है। ईश्वर का डर रहेगा तो इंसान गुनाहों से बचा रहेगा। ईश्वर का दर रहेगा तो उस पर ईश्वर की कृपा बरसती रहेंगी। इसलिए हमें सदा ही इन दोनों बातों का ध्यान रखना चाहिए। हनुमान जी की भक्ति में वो शक्ति है जो मनुष्य के संकट को दूर करती है। इस कोरोना काल में हम सबको अपने जीवन को भक्तिमय बनाते सभी का सहयोग चाहिए। अपने अंदर सकारात्मक सोच पैदा करें। नकारात्मक विचारों को आने न दें। सकारात्मक सोच आपसी प्रेम बढ़ाती है जबकि नकारात्मक विचार दूसरों प्रति ईर्षा-द्वेष पैदा करते हैं। आरती के उपरांत प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर पंडित तरसेम शर्मा,पंडित देस राज, पंकज दुबे, ओम प्रकाश बादल, दविदर शर्मा हाजिर थे।

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