इन बच्चों ने कमजोरी को बनाया हथियार, हौसले से लिख रहे इबारत

दो बच्चों ने कमजोरी को हथियार बनाते हुए हौसले से इबारत लिख रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 05:45 AM (IST) Updated:Mon, 09 Dec 2019 06:09 AM (IST)
इन बच्चों ने कमजोरी को बनाया हथियार, हौसले से लिख रहे इबारत
इन बच्चों ने कमजोरी को बनाया हथियार, हौसले से लिख रहे इबारत

जासं, लुधियाना : एक साल पहले तक शारीरिक दुर्बलता के चलते समाज इन्हें सहानुभूति की दृष्टि से देखा जाता था, लेकिन अब समाज इनकी मिसाल दे रहा है, क्योंकि इन्होंने अपनी निशक्तता को कमजोरी नहीं बनने दिया और दृढ़ हौसले से कुछ अलग करते हुए अपनी जिदगी को संवार रहे हैं। यह हैं डाउन सिड्रोम से पीड़ित 20 वर्षीय वंदित जैन और ऑटिज्म से पीड़ित 15 वर्षीय बिसमन सिंह। वंदित जैन जहां स्लैब पोट्रिक कला से अपनी एक अलग पहचान बना रहे हैं, वहीं बिसमन पेंटिग के शौक से अपनी जिदगी में रंग भर रहे हैं। रविवार को आर्टमोस्फेयर गैलरी में जस्ट क्ले की ओर से आयोजित प्रदर्शनी में दोनों युवाओं ने अपनी कला को प्रदर्शित किया। स्लैब पोट्रिक कला से वंदित जैन ने खुद को बनाया आत्मनिर्भर

डाउन सिड्रोम से पीड़ित 20 वर्षीय वंदित जैन ने मां प्रीति जैन के प्रयास व प्रेरणा से वंदित जैन स्लैब पोट्रिक कला के माध्यम से मिट्टी से अलग-अलग उत्पाद बनाकर खुद को आत्मनिर्भर बनाया हैं। वह स्लैब पोट्रिक कलां से एक्वा बोट प्लेटर, करी प्लेटर, एक्वा ग्रीन स्पून स्टैंड, कर्ली प्लेटर, सिग्नेचर बबल प्लेटर, ग्रीन फिश प्लेटर, लीफ प्लेटर डार्क ग्रीन, स्लैक प्लेट स्मॉल, स्नैक प्लेट बिग, स्मॉल बाउल, नट बाउल, टिशू पेपर होल्डर, केक प्लेट बनाकर ऑनलाइन सेल करते हैं। उनके उत्पादों को काफी पसंद भी किया जा रहा है। वंदित की मां प्रीति जैन के अनुसार शहर में इस समय स्लैब पोट्रिक कोई नहीं कर रहा है। प्रीति कहती हैं कि स्लैब पोट्रिक से जुड़ा हर काम वंदित खुद ही करते हैं। फिर चाहे मिट्टी को गुंदना हो, स्लैब पर बेलकर आकार देना हो या उसे कलर करना। जिदगी में रंग भर रहा बिसमन

मॉडल टाउन एक्सटेंशन में रहने वाले ऑटिज्म पीड़ित 15 वर्षीय बिसमन सिंह रंगों से अपनी जिदगी को बदल रहे हैं। कागज पर रंगों के तालमेल के साथ बिसमन पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रहे हैं। रविवार को आशीर्वाद स्कूल में पढ़ने वाले बिसमन ने जब अपनी कुछ पेंटिग को आर्टमोस्फेयर गैलरी में प्रदर्शित किया, तो कलर कंपोजिशन को लोगों ने काफी सराहा। पिता परमप्रीत सिंह कहते हैं कि पहले उनके बेटे को लोग सहानुभूति की दृष्टि से देखते थे, लेकिन बिसमन ने अपनी कला से लोगों की सोच बदल दी। उसने साबित किया है कि ऑटिज्म पीड़ित बच्चों में टैलेंट की कोई कमी नहीं होती। बिसमन के रंगों के प्रति लगाव को उसकी स्कूल शिक्षिका अशनित कौर ने देखा और फिर उसे पेंटिग बनाना सिखाया। अब तक वह 11 पेंटिग बना चुका है। परमजीत ने कहा कि वह अपने बेटे के टैलेंट को देखकर काफी खुश हैं।

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