माता-पिता व गुरु की सेवा परमात्मा के मिलन का द्वार

माता-पिता और गुरु जिनके पास हैं संसार में उनसे अधिक सौभाग्यशाली और कोई नहीं हो सकता। माता-पिता संतान को जन्म देते हैं किंतु मनुष्य जन्म को सफल बनाने की कला गुरु सिखाते हैं। संसार में लाने वाले माता-पिता हैं, परंतु संसार से पार उतारने का श्रेय गुरु को प्राप्त होता है। जो व्यक्ति माता-पिता और गुरु की सेवा करता है। परमात्मा स्वयं चल कर उसके पास आते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Dec 2018 05:00 AM (IST) Updated:Sat, 15 Dec 2018 09:44 AM (IST)
माता-पिता व गुरु की सेवा परमात्मा के मिलन का द्वार
माता-पिता व गुरु की सेवा परमात्मा के मिलन का द्वार

संस, लुधियाना : माता-पिता और गुरु जिनके पास हैं संसार में उनसे अधिक सौभाग्यशाली और कोई नहीं हो सकता। माता-पिता संतान को जन्म देते हैं किंतु मनुष्य जन्म को सफल बनाने की कला गुरु सिखाते हैं। संसार में लाने वाले माता-पिता हैं, परंतु संसार से पार उतारने का श्रेय गुरु को प्राप्त होता है। जो व्यक्ति माता-पिता और गुरु की सेवा करता है। परमात्मा स्वयं चल कर उसके पास आते हैं। उक्त विचार शुक्रवार को हंबड़ा रोड वर्धमान वाटिका में गच्छाधिपति शातिदूत जैनाचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर महाराज के सानिध्य में आयोजित धर्म सभा में मुनि मोक्षानंद विजय ने कहे। समारोह में तप चक्रवर्ती जैनाचार्य विजय वसंत सूरीश्वर महाराज, ज्ञान प्रभाकर, गोडवाड़ भूषण जैनाचार्य विजय जयानंद सूरीश्वर, साध्वी प्रगुणा आदि साधु-साध्वी शामिल हुए। इस अवसर पर मुनि मोक्षानंद ने कहा कि सत्य को जानते हुए, देखते हुए भी कुछ लोग आखों पर पट्टी बाधे हुए समाज को गुमराह करते रहते हैं। सर्व मंगल चातुर्मास और संतों के समागम से वषरें से व्याप्त समस्त भ्रातिया टूट गई हैं। धर्म का काम राग द्वेष दूर करना होता है और धर्म के नाम पर ही यदि राग द्वेष होंगे तो आत्मा का कभी भी उद्वार संभव नहीं हो सकता। सदगुरु तो प्रेम का अमृत पिलाने वाले होते हैं। नफरतों की आधी में भी प्रेम के चिराग जलाने वाले सदगुरु ही होते हैं। आचार्य श्री जयानंद सूरीश्वर ने भजन 'वाह वाह भई मौज फकीरा दी' से आए श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।

लाभार्थी परिवार की ओर से नीना जैन पत्नी विकास जैन द्वारा गुरुदेव के आगमन पर 'रब्ब मेरा सतगुरु बनके आया मैनू वेख लैन दे' स्वागत का गीत प्रस्तुत किया।

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