'आज बड़ों को कहना नहीं और छोटों को सहना नहीं आता'

एसएस जैन स्थानक किचलू नगर में राजस्थान प्रवर्तक डॉ. राजेंद्र मुनि सुरेंद्र मुनि सुखसाता विराजमान हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 04:30 AM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 05:03 AM (IST)
'आज बड़ों को कहना नहीं और छोटों को सहना नहीं आता'
'आज बड़ों को कहना नहीं और छोटों को सहना नहीं आता'

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक किचलू नगर में राजस्थान प्रवर्तक डॉ. राजेंद्र मुनि, सुरेंद्र मुनि सुखसाता विराजमान हैं। शुक्रवार के संदेश में गुरुदेव राजेंद्र मुनि ने कहा कि आज के समय में घरों में क्लेश, समाज में लड़ाइयां क्यों हैं, क्योंकि सहनशीलता का अभाव होता जा रहा है।

आज बड़ों को कहना नहीं आता, छोटो को सहना नहीं आता। इसलिए हमें रहना नहीं आता। अगर बड़ों को कहने की कला आ जाए और छोटों को सहने का सलीका आ जाए तो हमें घर-परिवार, समाज व देश में रहना आ जाए। उन्होंने कहा कि कभी-कभी अपमान भी बर्दाश्त करो। यह काम अत्यंत कठिन है। कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थिति में कभी अपना अपमान नहीं चाहता। वह हर स्थान पर अपनी प्रशंसा ही सुनना चाहता है। आज किसी से भी छोटी सी बात भी सहन नहीं होती। बात का बवाल बन जाता है। एक छोटा सा बालक भी अपने बड़ों से अपना सम्मान चाहता है। पर कभी-कभी अपमान भी सहन करो। अगर अपनी गलती न भी हो, दूसरों की भ्रांति हो तो भी सहन करो। मान-अपमान सहना भी क्षमा है। यही मानसिक हाजमे का लक्ष्ण है। पृथ्वी भी सब कुछ सहन करती है। सहने वाला बड़ा तथा चिरस्थायी होता है। कोई भी इंसान ऐसा नहीं होगा, जिसे सिर्फ मान या अपमान ही मिले।

गुरुदेव ने आगे कहा कि आज चिता के बोझ तले इंसान दबा जा रहा है। जिसे सोने के लिए नींद की गोली नहीं खानी पड़ती है और जागने के लिए अलार्म की जरूरत नहीं पड़ती। वह दुनिया का सबसे सुखी इंसान है। उन्होंने कहा कि घड़ी और कैलेंडर की गुलामी से अपने को मुक्त कर लेने वाले बच्चे ही अपने जीवन में सफल होते हैं। सफलता के लिए जीवन में लाइफ और कंट्रोल जरूरी है।

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