प्राइवेट अस्पतालों से फेरा मुंह, लुधियाना के सिविल अस्पताल में इलाज काे आ रहे मरीज

सिविल के कोविड आइसोलेशन सेंटर की इंचार्ज डा. हतिंदर कौर बताती हैं कि पिछले तीन-चार दिनों में उनके पास डीएमसी सीएमसी और एसपीएस अस्पताल से कोरोना के आठ गंभीर मरीज आइसीयू में आए हैं। एक मरीज पीजीआइ से भी भेजा गया है।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 11:26 AM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 11:26 AM (IST)
प्राइवेट अस्पतालों से फेरा मुंह, लुधियाना के सिविल अस्पताल में इलाज काे आ रहे मरीज
सिविल अस्पताल को बेहतर सुविधाओं और मशीनों से लैस है। (फाइल फाेटाे)

लुधियाना, जेएनएन। सिविल अस्पताल को बेहतर सुविधाओं और मशीनों से लैस करने पर अब लोगों का यहां पर इलाज करवाने के लिए विश्वास बढ़ने लगा है। प्राइवेट अस्पतालों में महंगा इलाज न करवाने पाने और आर्थिक कमजोरी के कारण परिवार मरीज को इलाज के लिए सिविल अस्पताल में ला रहे हैं।

दो महीने पहले तक सिविल अस्पताल के कोविड आइसोलेशन सेंटर से गंभीर मरीजों को बड़े निजी अस्पतालों, पीजीआइ व पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में रेफर किया जा रहा था। कई परिवार इलाज की सुविधाओं के अभाव के कारण मरीज को खुद ही सिविल से निजी अस्पताल में लेकर चले जाते थे। मगर अब परिस्थितियां बदलने लगी हैं।

अब निजी अस्पतालों में भर्ती कोरोना के गंभीर मरीज इलाज के लिए सिविल अस्पताल के कोविड आइसोलेशन सेंटर के आइसीयू में आ रहे हैं। सिविल के कोविड आइसोलेशन सेंटर की इंचार्ज डा. हतिंदर कौर बताती हैं कि पिछले तीन-चार दिनों में उनके पास डीएमसी, सीएमसी और एसपीएस अस्पताल से कोरोना के आठ गंभीर मरीज आइसीयू में आए हैं। एक मरीज पीजीआइ से भी भेजा गया है। इसकी वजह यह है कि अब उनके पास स्वीयर इलनेस वाले पेशेंट को भी ट्रीट करने के लिए हाई फ्लो नेजल आक्सीजन मशीनें, बीपैप नान इनवेंसिव वेंटिलेटर व वेंटिलेटर आ गए हैं।

डा. हतिंदर कौर का कहना है कि ये कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज कई दिनों तक निजी अस्पतालों में भर्ती रहे, लेकिन बाद में आर्थिक स्थिति बेहतर न होने पर स्वजन महंगा इलाज करवा पाने में असमर्थ हो गए। उन्होंने बताया कि इस समय उनके पास लेवल-थ्री के 28, जबकि लेवल-टू के 122 बेड हैं। 16 वेंटिलेटर के फंक्शनल होते ही आइसीयू में लेवल थ्री के 44 बेड हो जाएंगे। मंगलवार को वेंटिलेटर को इंस्टाल करने के लिए टीम आई थी।

डा. हतिंदर कौर का कहना है कि हमारे पास कोरोना के ऐसे गंभीर मरीज आ रहे हैं, जो कई दिनों तक निजी अस्पतालों में भर्ती रहे। लेकिन बाद में आर्थिक स्थिति बेहतर न होने पर परिजन महंगा इलाज करवा पाने में असमर्थ हो गए। डा. हतिंदर कौर ने कहा कि हमारी डाक्टरों की टीम व मेडिकल स्टाफ की पूरी कोशिश होती है कि हरेक कोरोना संक्रमित स्वस्थ होकर जाएं।

समय पर इलाज मिलने पर गंभीर खतरों को टाला जा सकता है

हालांकि कुछेक अत्याधिक मरीजों को लाख कोशिशों के बावजूद बचा नहीं पाते। लेकिन अगर लक्षणों वाले कोरोना संक्रमित समय पर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे, तो वायरस के प्रभाव की वजह से होने वाले गंभीर खतरों को टाला जा सकता है। ऐसे में लोगों से यही अपील है कि कोरोना के लक्षण महसूस होने पर तुरंत जांच करवाएं। जांच में अगर कोई पाजिटिव आता हैं और उसे सांस लेने में तकलीफ, लगातार खांसी, बुखार व आक्सीजन कम होने की शिकायत रहती है, तो तुरंत अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए। जबकि अगर किसी को कोरोना के लक्षण नहीं हैं और वह पाजिटिव है तो वह होम आइसोलेशन में रहकर सेहत विभाग की गाइडलाइन का पालन करते हुए कोरोना को मात दे सकता है।

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