पाकिस्तानियाें के दिलाें में बसा है लुधियाना का यह स्कूल, बचपन को याद करके दीवारों से लिपट जाते हैं

लुधियाना का एक स्कूल आजकल खासा चर्चा में है। आज भी पाकिस्तान से कई बुजुर्ग स्कूल में आते हैं और अपने बचपन को याद कर भावुक हो जाते हैं। बुजुर्ग अपने परिजनों को यहां तक बताते हैं कि वह कहां बैठते थे।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 10:37 AM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 02:50 PM (IST)
पाकिस्तानियाें के दिलाें में बसा है लुधियाना का यह स्कूल, बचपन को याद करके दीवारों से लिपट जाते हैं
लुधियाना का इस्लामिया स्कूल आज भी लाेगाें के जहन में बसा। (जागरण)

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। लुधियाना का इस्लामिया स्कूल बंटवारे के वक्त पाकिस्तान गए लोगों के जहन में अब भी बसा है। बंटवारे के वक्त लुधियाना से बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग पाकिस्तान गए। इसके बाद उनमें से ज्यादातर लोगों को हिंदुस्तान आने का दोबारा मौका नहीं मिला। हालांकि कुछ लोग अपना यहां बीता हुआ बचपन याद करने जरूर आते हैं। इस्लामिया स्कूल अब सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल डिजीवन नंबर तीन बन चुका है।

आज भी पाकिस्तान से कई बुजुर्ग स्कूल में आते हैं और अपने बचपन को याद कर भावुक हो जाते हैं। बुजुर्ग अपने परिजनों को यहां तक बताते हैं कि वह कहां बैठते थे। बताते हैं कि यह स्कूल आजादी से पहले का है। आजादी के बाद यहां पर 1968 में सरकारी स्कूल फिर से स्थापित किया गया है।

परिवारों के साथ अब भी कई बुजुर्ग आते हैं स्कूल

स्कूल प्रिंसिपल रणजीत कौर ने बताया कि कई बुजुर्ग अपने परिवारों के साथ आते हैं और बताते हैं कि वह बंटवारे के वक्त पाकिस्तान चले गए थे। वह स्कूल कैंपस को देखकर भावुक हो जाते हैं क्योंकि इस स्कूल की इमारत को तब से छेड़ा ही नहीं गया। ऐसे में वह एक-एक जगह को याद करते हैं।

स्कूल में पहले चलता था आइटीआइ

प्रिंसिपल ने बताया कि जो बुजुर्ग पाकिस्तान से आते हैं वह भी बताते हैं कि तब इस स्कूल का नाम इस्लामिया स्कूल हुआ करता था क्योंकि यहां पर मुस्लिम समुदाय के विद्यार्थी ज्यादा पढ़ते थे। स्कूल के नाम से इस सड़क को इस्लामिया रोड कहा जाता था। स्कूल बेहद पुराना है। स्कूल पुराने होने का अंदाजा इसकी इमारत को देखकर ही पता चल जाता है। स्कूल का गेट बहुत ऊंचा और बड़ा है। गेट के ऊपर बड़ा हाल है जिसमें उस वक्त आइटीआइ चला करता था। उन्होंने बताया कि पिछले साल भी पाकिस्तान से कुछ लोग यहां आए थे।   

इमारत से छेड़छाड़ किए बना दिया स्मार्ट स्कूल

स्कूल की इमारत बेहद पुरानी है। ऐसे में इस इमारत से काेई छेड़छाड़ नहीं की गई। प्रिंसिपल रणजीत कौर ने बताया कि उन्होंने टीचर्स के साथ मिलकर स्कूल की इमारत में छेड़छाड़ किए बिना इसे स्मार्ट स्कूल में तब्दील कर दिया। दीवारों पर शानदार पेंटिंग कर स्मार्ट क्लास रूम बना दिए हैं।

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