मन तो दर्पण के समान है : राजेंद्र मुनि

एसएस जैन स्थानक किचलू नगर में विराजमान राजस्थान प्रवर्तक संत डॉ. राजेंद्र मुनि साहित्य दिवाकर सुरेंद्र मुनि की अगुवाई में प्रार्थना सभा हुई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 02:08 AM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 02:08 AM (IST)
मन तो दर्पण के समान है : राजेंद्र मुनि
मन तो दर्पण के समान है : राजेंद्र मुनि

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक किचलू नगर में विराजमान राजस्थान प्रवर्तक संत डॉ. राजेंद्र मुनि, साहित्य दिवाकर सुरेंद्र मुनि की अगुवाई में प्रार्थना सभा हुई। इसमें डॉ. राजेंद्र मुनि ने कहा, विचारशीलता मनुष्य का सहज धर्म व स्वाभाविक प्रवृति है। जो विचारशील नहीं, वह मनुष्य कहलाने का अधिकार नहीं रखता। मन तो दर्पण के समान है। दर्पण को किसी भी दिशा व कोण से रख दीजिए वह अपने समक्ष के दृश्य की प्रतिछवि अपने भीतर सहेज लेगा। विचार विहीन मन की कल्पना नहीं की जा सकती। सुरेंद्र मुनि ने कहा कि मनुष्य के उत्थान व पतन का कारण विवेक विचार होता है। सद विचार सत्कर्म की प्रेरणा देते हैं। इसी प्रकार गलत विचार बुरे कर्मो की ओर धकेल कर पतन का कारण बनते हैं।

जो मिला उसका सद्पयोग करो : रमेश मुनि संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक 39 सेक्टर में श्री रमेश मुनि म., श्री मुकेश जैन, श्री मुदित म. आदि मुनि संघ के सानिध्य में प्रार्थना सभा हुई। इसमे रमेश मुनि ने कहा अच्छे कर्म करते रहना होगा, पूर्व जन्म के कर्म योग से मानस चोला मिला है। इसका भरपूर लाभ उठा लो। जीवन में जो मिला उसका सद्पयोग करो। अगर निर्धन, असहाय की मदद न कर सको, तो उसे दुख भी मत दो। सच नहीं बोल सकते हो तो मौन धारण कर पाप से बच जाओ। मुकेश मुनि ने कहा कि जो साधक जिज्ञासु है वो कहीं से भी ज्ञान प्राप्त कर सकता है, लेकिन उसमें वो ज्ञान लेने की भूख हो। इंसान को बोलने की कला आनी चाहिए। क्योंकि जुबां से ही आप मित्र या दुश्मन बना सकते हैं।

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