रेलवे में सामान की बुकिंग का नहीं बढ़ा ग्राफ, हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान Ludhiana News

तीन साल से रेलवे बुकिंग में महज 20 से 30 प्रतिशत बुकिंग रह गई है। रेलवे बुकिंग का लेखा-जोखा नॉर्दर्न रेलवे कार्यालय को हर माह भेजा जा रहा है।

By Sat PaulEdited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 12:21 PM (IST) Updated:Mon, 09 Dec 2019 05:48 PM (IST)
रेलवे में सामान की बुकिंग का नहीं बढ़ा ग्राफ, हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान Ludhiana News
रेलवे में सामान की बुकिंग का नहीं बढ़ा ग्राफ, हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान Ludhiana News

लुधियाना, [डीएल डॉन]। माल बुकिंग का ग्राफ नहीं बढऩे से हर वर्ष रेलवे को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। लगतार तीन वर्षों में माल बुकिंग इतनी कम हो गई है कि बुकिंग से जुड़े खर्च भी पूरे नहीं हो रहे हैं। इसके बावजूद रेल अधिकारी इस तरफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे।

पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब सीजन की मार से रेलवे बुकिंग विभाग जूझ रहा है। बुकिंग अधिकारी बताते हैं कि तीन साल से रेलवे बुकिंग में महज 20 से 30 प्रतिशत बुकिंग रह गई है। रेलवे बुकिंग का लेखा-जोखा नॉर्दर्न रेलवे कार्यालय को हर माह भेजा जा रहा है। शीर्ष अधिकारी लुधियाना के माल बुकिंग से संबंधित रिपोर्ट हर माह देख रहे हैं, फिर भी सुधार की गुंजाइश नहीं बन पा रहा है। इस वर्ष भी होजरी सीजन अंतिम चरण में पहुंच गया लेकिन माल बुकिंग में बढ़ोतरी नहीं हुई है। फिरोजपुर रेल मंडल के डीआरएम राजेश अग्रवाल ने कहा कि किराया बजट में पारित होने के बाद रेल नीति के अनुसार लागू है। इसमें चेंजिंग नहीं हो सकता।

किराया ज्यादा होने से रेलवे को भारी नुकसान

सड़क ट्रांसपोर्ट से रेल का किराया डेढ़ गुणा ज्यादा होना भी माल की बुकिंग कम होना कारण है। पिछले तीन साल में रेल को भारी नुकसान हो चुका है। रेल अधिकारी बताते हैं कि पहले माल बुकिंग करीब 30 करोड़ तक पहुंच जाती थी। अभी एक वर्ष में होजरी का माल दस लाख का भी बुक नहीं हो रहा है। अभी व्यापारी वहां के लिए माल रेलवे में बुक करवाते हैं जहां सड़क ट्रांसपेार्ट की सुविधा में कमी है या फिर जहां ट्रांसपोर्टर माल नहीं ले जाना चाहते।

जीएसटी लागू होने के बाद आई अधिक कमी

जब से जीएसटी लागू हुआ, तब से माल बुक करवाने को लेकर लोग स्टेशन नहीं आ रहे हैं। होजरी व्यापारी पंकज मदान, अमित मदान का कहना है कि रोड ट्रांसपोर्ट और रेलवे के किराए में डेढ़ गुणा फर्क आ गया है। सड़क ट्रांसपोर्ट में माल बुकिंग करवाने पर ट्रांसपोर्ट की ओर से छोटी गाड़ी भेजी जाती है, ताकि व्यापारियों को सुविधा हो। वहीं रेलवे स्टेशन तक माल ले जाने के लिए व्यापारी को परेशान होना पड़ता है, जिससे रेल माल बुकिंग महंगी पड़ रही है।

खाली पड़ा है माल गोदाम

तीन वर्ष पूर्व तक रेलवे माल गोदाम बुक हुए माल (लगेज) से भरा रहता था। पर इस समय माल गोदाम खाली पड़ा है। रेल कर्मचारी बुकिंग के लिए माल आने की प्रतिक्षा करते रहते हैं। माल गोदाम में काम करने वाले प्राइवेट श्रमिक यहां से छोड़कर ट्रांसपोर्ट में काम करने लगे है। प्राइवेट कुली राम अवतार, सोमनाथ का कहना है कि अब तो स्टेशन पर पूरा दिन बैठने के बाद भी दिन का मजदूरी नहीं बनता है जबकि कभी समय था तीन माह में पूरे साल के लिए कमाई कर लेते थे। 

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