मानसा के अमरजीत तैयार करा रहे स्मार्ट स्कूल की दीवारें
सूबे के सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाने की कवायद सरकार अब कर रही है लेकिन मानसा के टीचर अमरजीत सिंह ने 2013 में ही अपना स्कूल स्मार्ट बना दिया था। उनके स्कूल की एक-एक दीवार ब'चों को कुछ न कुछ जरूर पढ़ाती है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : सूबे के सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाने की कवायद सरकार अब कर रही है लेकिन मानसा के टीचर अमरजीत सिंह ने 2013 में ही अपना स्कूल स्मार्ट बना दिया था। उनके स्कूल की एक-एक दीवार बच्चों को कुछ न कुछ जरूर पढ़ाती है। अमरजीत सिंह के इस डिजाइन पर ही अब सूबे के स्मार्ट स्कूलों की दीवारें तैयार की जा रही हैं। इसकी शुरुआत पीएयू सरकारी स्कूल से की जा रही है। सेक्रेटरी एजुकेशन कृष्ण कुमार ने पीएयू स्कूल की दीवारों को स्मार्ट बनाने के लिए अमरजीत को विशेष तौर लुधियाना भेजा है। अमरजीत ने 2013 में सरकारी प्राइमरी स्कूल रल्ली को स्मार्ट बनाया था। उसके बाद उन्होंने सोशल साइट्स पर अपने स्कूल की फोटो व वीडियो शेयर किए और अन्य टीचर्स को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। दरअसल अमरजीत सिंह ने बिल्डिंग ऐज लर्निग एड (बाला) प्रोजेक्ट के तहत स्कूल की दीवारों को पेंट किया। इसके लिए उन्होंने छह पेंटर्स की टीम बनाई है जो कि क्लास के हिसाब से क्लासरूम व स्कूल के आसपास पेंटिंग बनाती हैं। पीएयू स्कूल की दीवारों पर लर्निग मटिरियल बनाने के लिए अमरजीत अपने साथ पूरी टीम लेकर आए हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो एक स्कूल को तैयार करने में कम से कम एक माह का वक्त लगता है, लेकिन पीएयू स्कूल के लिए उन्हें सिर्फ सात दिन का वक्त मिला है। इसके बावजूद उन्होंने तैयार करवा दिया है। व्हेल मछली का साइज न समझाने पर आया था आइडिया
अमरजीत सिंह ने बताया कि जब वह क्लास में दूसरी कक्षा के बच्चों को व्हेल मछली के आकार के बारे में समझा नहीं पाए थे। उन्होंने बताया कि कई उदाहरण दिए, लेकिन बच्चे समझ नहीं पा रहे थे। उसके बाद वह क्लासरूम में एक टीवी लेकर आए और सीडी के जरिए बच्चों को व्हेल मछली और सामान्य मछली के बारे में बताया। जिसे बच्चों ने आसानी से समझ लिया। उन्होंने बताया कि उसके बाद उन्होंने स्मार्ट क्लास रूम तैयार करना शुरू किया। बच्चे पूरे दिन क्लासरूम की दीवारें देखते हैं
अमरजीत सिंह का कहना है कि बच्चे दिनभर क्लासरूम में बैठे होते हैं और इस दौरान उनकी नजर दीवारों पर ही होती है। ऐसे में अगर दीवारों पर उनके सिलेबस से संबंधित कुछ चीजें हों तो वह उसे आसानी से समझ सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसलिए उन्होंने बाला प्रोजेक्ट शुरू किया।