32 साल बाद 50 साल की उम्र में मां बनीं हरदेव कौर

कहते हैं कि अगर इंसान विश्वास रखकर कुछ पाना चाहे तो कायनात भी उसकी मदद कर देती है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 Jun 2019 06:29 AM (IST) Updated:Thu, 06 Jun 2019 06:29 AM (IST)
32 साल बाद 50 साल की उम्र में मां बनीं हरदेव कौर
32 साल बाद 50 साल की उम्र में मां बनीं हरदेव कौर

जागरण संवाददाता, लुधियाना : कहते हैं कि अगर इंसान विश्वास रखकर कुछ पाना चाहे तो कायनात भी उसकी मदद कर देती है। यही हुआ है 50 वर्षीय हरदेव कौर के साथ। शादी के 32 साल के बाद उसे बेटे की सौगात मिली है। वह भी तब जब उसका मासिक धर्म बंद हो चुका था और बच्चेदानी की परतें भी सिकुड़ चुकी थीं। आधी सदी तक संतान सुख से वंचित रही हरदेव कौर के लिए आइवीएफ तकनीक वरदान बनकर सामने आई, जिस उम्र में महिलाएं दादी बन जाती हैं, उस उम्र में एक जून को उसने स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। बनौरा निवासी हरदेव कौर की शादी 32 साल पहले मलेरकोटला के गांव कुप कलां निवासी हरविदर सिंह से हुई थी। जवानी की दहलीज पर पहुंचते ही शादी हो गई तो किसी हसीन फिल्मी दुनिया की तरह उसने भी नई दुनिया बसाने के ढेरों सपने देख लिए, लेकिन जब शादी के 5 साल पूरे होने पर भी वह मां नहीं बनी तो एक-एक करके सारे सपने टूटते दिखाई देने लगे। धीरे-धीरे बड़ी-बुजुर्ग महिलाओं में कानाफूसी शुरू हो गई। वंश चलाने के लिए औलाद की प्राप्ति के लिए कई बाबाओं के दर पर हाजिरी लगवाई। अलग-अलग डॉक्टरों से दवाई भी खाई, लेकिन संतान सुख नहीं मिला। पति का सहयोग तो था, लेकिन बड़े-बुजुर्गो को कौन समझाए। इतना ही नहीं 3 साल पहले जब उसके पीरियड (मासिक धर्म) भी बंद हो गए तो, उन्होंने मां बनने की उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन अब बेटे के मां-बाप बनकर हरदेव व हरविदर बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि पक्खोवाल रोड स्थित राणा अस्पताल की डॉ. विजयदीप कौर उनके लिए किसी भगवान से कम नहीं है। क्योंकि उन्होंने उनकी सूनी जिदगी में खुशियां भर दी। डॉ. विजयदीप ने बताया कि हरदेव व हरदिवर पहली बार सितंबर 2017 में उनके पास आए थे। उसके पीरियड बंद हो चुके थे और बच्चेदानी की परतें सिकुड़ चुकी थीं। इस कारण पहले हिस्ट्रोस्कोपी तकनीक से सर्जरी करके बच्चेदानी की परतें ठीक की गई और बाद में दवाइयों व मॉडर्न तकनीक के चलते उसके यूट्रेस के साइज को इंप्रूव किया गया। उसके बाद मार्च 2018 में आइवीएफ किया गया, मगर दुर्भाग्य से तीसरे महीने में एबॉर्शन हो गया। दोबारा अक्टूबर 2018 में आइवीएफ किया गया, जिसके चलते एक जून को हरदेव ने एक तंदरुस्त बेटे को जन्म दिया। अस्पताल के सीईओ डॉ. बरजिदर सिंह राणा ने कहा कि वर्तमान समय में कई कारणों से महिलाएं मां नहीं बन पाती, लेकिन निराश होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि मेडिकल साइंस इस समस्या का समाधान आइवीएफ तकनीक के जरिए मौजूद है।

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