इस महिला के हौसले को सलाम, रोजी-रोटी के लिए लोगों को मंजिल तक पहुंचाने का कर रही काम

मोबाइल एप के जरिए बुक होने वाली रैपिडो पर रोजाना प्रीत पुरुष और महिला दोनों को उनके गंतव्य तक पहुंचा रही हैं। प्रीत की एक बेटी है जो शादीशुदा है

By Edited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 07:30 AM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 09:00 PM (IST)
इस महिला के हौसले को सलाम, रोजी-रोटी के लिए लोगों को मंजिल तक पहुंचाने का कर रही काम
इस महिला के हौसले को सलाम, रोजी-रोटी के लिए लोगों को मंजिल तक पहुंचाने का कर रही काम

लुधियाना, [राधिका कपूर]। हमारे समाज में आज कई ऐसी महिलाएं हैं जो अन्यों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हुई हैं। 15 दिन पहले जालंधर में बाइक टैक्सी चलाते एक महिला को देखकर मैं भी प्रभावित हुई और सोचा कि यदि वह महिला बाइक टैक्सी चलाकर रोजी-रोटी कमा सकती है तो मैं क्यों नहीं। यह कहना था शहर के दुगरी एरिया में रहती 39 वर्षीय प्रीत का। वह शहर में रैपिडो बाइक टैक्सी चलाने वाली पहली महिला हैं। यह दावा प्रीत ने ही किया।

मोबाइल एप के जरिए बुक होने वाली रैपिडो पर रोजाना प्रीत पुरुष और महिला दोनों को उनके गंतव्य तक पहुंचा रही हैं। प्रीत की एक बेटी है जो शादीशुदा है। रैपिडो बाइक चलाने पर प्रीत ने कहा कि करीब 15 दिन पहले जब उन्होंने जालंधर में एक महिला को बाइक टैक्सी चलाते देखा तो अगले ही दिन वह एक कैब ऑफिस में गई। वहां पर आवेदन दिया तो उन्होंने महिला सोचकर उसका आवेदन ठुकरा दिया। इसके बाद वह हैबोवाल रैपिडो कार्यालय गई। वहां आवेदन किया तो उनका एक ही सवाल था कि ड्राइविंग लाइसेंस है। इस पर उसके हां कहने पर उसकी रैपिडो बाइक पर रजिस्ट्रेशन हो गई। उसका अपना जुपिटर है और वह मैट्रिक पास है। प्रीत ने कहा कि अभी वह छह सौ रुपये से लेकर आठ सौ रुपये प्रतिदिन तक कमा रही है।

आर्थिक तंगी आड़े आई पर नहीं छोड़ा हौसला

प्रीत ने कहा कि वह ऐसी नौकरी करना चाहती थी जिसमें समय की बंदिश न हो, पैसे भी अच्छे मिलें और वह अपने घरेलू कार्य कर सके, क्योंकि प्राइवेट जॉब में समय ज्यादा और पैसे कम मिलते हैं। आर्थिक तंगी आड़े आई पर हौसला कभी नहीं छोड़ा। रैपिडो बाइक चलाने के साथ-साथ वह पिछले दस साल से बीमार लोगों की अटेंडेंट का काम भी कर रही हैं।

'लोग क्या कहेंगे' इस सोच से निकलें

प्रीत ने कहा कि आज के समय में भी लड़कियां और महिलाएं यही सोचती हैं कि दूसरे लोग क्या कहेंगे, इस सोच से वह बाहर निकलें। अगर आपकी सोच सही है तो कोई भी काम बुरा नहीं है। फिलहाल वह शाम छह बजे तक ही यह बाइक चला रही है। अगर जरूरत पड़ी तो देर रात भी इस काम को करने में संकोच नहीं करेगी।

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