इंडस्ट्री फ्रेंडली नीतियां बना कर ही चीन से मुकाबला संभव

चीन के खिलाफ बने माहौल में अब हर भारतीय स्वदेशी को अपनाने का मन बना रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Jul 2020 12:51 AM (IST) Updated:Fri, 10 Jul 2020 12:51 AM (IST)
इंडस्ट्री फ्रेंडली नीतियां बना कर ही चीन से मुकाबला संभव
इंडस्ट्री फ्रेंडली नीतियां बना कर ही चीन से मुकाबला संभव

जासं, लुधियाना : चीन के खिलाफ बने माहौल में अब हर भारतीय स्वदेशी को अपनाने का मन बना रहा है। उद्यमी भी घरेलू स्तर पर उत्पादन आधार मजबूत करने की ठान चुके हैं। ऐसे में ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम ने भारत और चीन के कारोबार पर स्टडी करके यह आंकलन किया है कि विश्व बाजार में भारतीय कंपनियां आसानी से चीन का मुकाबला कर सकती हैं।

कोविड के बाद अमेरिका, यूरोप समेत कई देश चीन को दरकिनार कर रहे हैं, ऐसे में भारत बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। इन संभावनाओं को कैश करने के लिए सरकार को इंडस्ट्री फ्रेंडली नीतियां बनानी होंगी। रिसर्च एंड डेवलपमेंट को मजबूत करना होगा। विश्व स्तरीय तकनीक उद्यमियों को डोर स्टेप पर उपलब्ध करानी होगी। उत्पादन लागत को कम करने के उपाय करने होंगे और विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना होगा। इसके बाद उद्यमी अपनी उद्यमिता के दम पर चीन को कड़ी चुनौती दे सकते हैं। इस संबंध में ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरे तर्काें के साथ सुझाव भी भेजे हैं।

घरेलू उत्पाद जीडीपी में 27 फीसद है हिस्सेदारी

फोरम के अनुसार भारत के सकल घरेलू उत्पाद-जीडीपी में इंडस्ट्री की हिस्सेदारी 27 फीसद है, जबकि चीन की 39 फीसद। फोरम के प्रधान बदीश जिदल के अनुसार चीन ज्यादातर तैयार माल का निर्यात विश्व के देशों में कर रहा है। जबकि, भारत से ज्यादातर कच्चे माल का निर्यात किया जा रहा है। इसे बदलने की जरूरत है। कच्चे माल की बजाए वैल्यू एडीशन के साथ तैयार माल के निर्यात को तवज्जो देनी होगी।

चीन की तर्ज पर बनानी होंगी औद्योगिक नीतियां

बदीश ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत को कामयाब करने के लिए सरकार को भी चीन की तर्ज पर आक्रमक औद्योगिक नीतियां बनानी होंगी। उन्होंने कहा कि विश्व बाजार में चीन के कुल निर्यात की बीस फीसद हिस्सेदारी भारत आसानी से ले सकता है। इससे देश का निर्यात भी एकदम से बूस्ट कर जाएगा। इसके अलावा चीन से देश में होने वाले आयात को नियंत्रित करना होगा। इससे भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे को कम किया जा सकेगा।

चीन के मुकाबले भारत में है सस्ती लेबर

बदीश का तर्क है कि भारत में चीन के मुकाबले सस्ती लेबर मौजूद है। चीन में न्यूनतम वेजेज 360 डालर हैं जबकि, भारत में 160 डालर है। उद्यमी इसका लाभ ले सकते हैं, साथ ही इस पहलू से नया विदेशी निवेश भी आकर्षित किया जा सकता है। चीन में बिजली सात रुपये प्रति यूनिट हैं, जबकि देश में भी कई राज्य बिजली पर सब्सिडी दे रहे हैं। चीन में स्टील के दाम 530 डालर हैं, जबकि भारत में 510 डालर प्रति टन हैं। देश में कॉटन 106 रुपये किलो है, जबकि चीन में 130 से 140 रुपये है। गारमेंट निर्यातक इसका फायदा उठा कर निर्यात बढ़ा सकते हैं। साफ है कि भारत के पास संभावनाएं हैं लेकिन, सरकार को देश में मेन्युफैक्चरिग सेक्टर को मजबूत करना होगा। इसके लिए चीन की तर्ज पर नीतियां बनाने की जरूरत है।

chat bot
आपका साथी