पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मुहिम: लुधियाना के IRS अधिकारी राेहित मेहरा लगाएंगे 300 और माइक्रो जंगल
एनजीटी की सख्ती के बाद लुधियाना नगर निगम बुड्ढा दरिया के किनारे माइक्रो जंगल लगा रहा है। इस काम में इनकम टैक्स के डिप्टी कमिश्नर रोहित मेहरा अहम भूमिका निभा रहे हैं।
लुधियाना, [राजीव शर्मा]। बढ़ते प्रदूषण के चलते पर्यावरण संतुलत तेजी से बिगड़ रहा है, इसे बचाने के लिए जहां स्वयंसेवी संगठन और अन्य संस्थान आगे आ रहे हैं, वहीं आयकर विभाग में एडिशनल कमिश्नर रोहित मेहरा भी पर्यावरण को लेकर काफी सक्रिय हैं।
एनजीटी की सख्ती के बाद लुधियाना नगर निगम बुड्ढा दरिया के किनारे माइक्रो जंगल लगा रहा है। इस काम में इनकम टैक्स के डिप्टी कमिश्नर रोहित मेहरा अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसकी शुरूअात पिछले दिनाें डेयरी काम्प्लेक्स हंबड़ा रोड की गई थी।
अाइअारएस अधिकारी रोहित मेहरा ने बताया, "जैसे इंसानों के लिए आयुर्वेद है वैसे ही पेड़ों के लिए वृक्ष आयुर्वेद है। वृक्ष आयुर्वेद और मियावाकी का उपयोग कर हमने बहुत घने-घने जंगल लगाए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और नगर निगम ने हमें 300 और जंगल लगाने के लिए कहा है।" IRS अधिकारी और प्रकृति प्रेमी रोहित कुमार अब तक 75 जंगल लगा चुके हैं। इसके बाद माइक्रो फारेस्ट में नीम, जामुन, आंवला व बेल समेत कई तरह के औषधीय पौधे लगाए जा रहे हैं।
599 वर्ग फीट से चार एकड़ तक तैयार हो रहे ये वन
मेहरा ने कहा कि मिनी जंगल 599 वर्ग फीट से लेकर चार एकड़ तक जमीन में तैयार किए जा रहे हैं। ये जंगल औद्योगिक इकाइयों, बेकार पड़ी जमीनों, स्कूल, प्लॉट एवं संस्थानों के परिसरों में बनाए जा रहे हैं। लुधियाना के अलावा जीरा, जगराओं, अमृतसर, सूरत, वड़ोदरा इत्यादि में ऐसे जंगल बनाए गए हैं।
इस तरह तैयार करते हैं जमीन
ये जंगल मियावाकी तकनीक एवं वृक्षयुर्वेदा के सिद्धांतों के आधार पर लगाए जा रहे हैं। पौधे लगाने से पहले जमीन को ढाई फीट तक खोद कर देसी खाद से तैयार किया जाता है। जमीन को प्राकृतिक तरीके से जंगल के लिए तैयार करने के बाद ही उसमें पौधे लगाए जाते हैं।
इन जंगल में नीम, आंवला, बेहरा, हरड़, अर्जुन, कनेर, अशोका, हारशिंगार, गिलोए, चमेली, बेल इत्यादि पौधे लगाए जाते हैं। ये मिनी जंगल तीस गुणा ज्यादा धनत्व एवं दस गुणा तेजी से बढ़ते हैं। ऐसे जंगल पक्षियों को भी आकर्षित करते हैं। जब जंगल विकसित हो जाएंगे तो चिडिय़ों की चहचहाट फिर से सुनने को मिलेगी।
लोगों में जंगल स्थापित करने के लिए बढ़ रहा क्रेज
मेहरा का मानना है कि लोगों में भी मिनी जंगल बनवाने का क्रेज बढ़ रहा है। ये अपने आसपास ऑक्सीजन और आबो हवा को और बेहतर बना देते हैं, जोकि मानव की तंदुरुस्ती के लिए काफी जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस मिशन में समाज के हर वर्ग के लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है।
मानव जीवन में पेड़ों का महत्व
वृक्षायुर्वेद पौधों और वृक्षों, पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर भारतीय-लोकाचार का प्रतीक है। वृक्षायुर्वेद के अनुसार, पेड़ हमारे पूर्वज हैं और इस पृथ्वी पर मानव से बहुत पहले मौजूद हैं। हमारा बहुत अस्तित्व उन पर निर्भर करता है। देवों के साथ वृक्ष समान हैं। पेड़ लगाना और पोषण करना प्रत्येक मनुष्य का एक पवित्र कर्तव्य है और पुण्य-कर्म को प्राप्त करने के तरीकों में से एक है।
पेड़ लगाना न केवल एक धार्मिक और सामाजिक कर्तव्य है, बल्कि धरती मां के कर्ज को चुकाने और मोक्ष प्राप्त करने का एक तरीका है। पेड़ लगाने के ऐसे गुण हैं कि पेड़ लगाने वाले व्यक्ति का पूरा परिवार इस दुनिया और उसके बाद की दुनिया में आनंद और समृद्धि प्राप्त करता है। यह उल्लेख है कि जो एक फलदार वृक्ष लगाता है, उसके पितर (पूर्वज) वृक्ष के फल होने तक उसका संरक्षण करते हैं।