निर्यातकों के मार्जिन को खा रही बढ़ती इनपुट लागत

निर्यातकों की इनपुट लागत में लगातार इजाफा हो रहा है, जबकि उसके मुकाबले विश्व बाजार में उत्पादों के दाम नहीं मिल पा रहे हैं, ऐसे में निर्यातकों के मार्जिन खत्म हो रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Jun 2018 04:40 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jun 2018 04:40 PM (IST)
निर्यातकों के मार्जिन को खा रही बढ़ती इनपुट लागत
निर्यातकों के मार्जिन को खा रही बढ़ती इनपुट लागत

राजीव शर्मा, लुधियाना : निर्यातकों की इनपुट लागत में लगातार इजाफा हो रहा है, जबकि उसके मुकाबले विश्व बाजार में उत्पादों के दाम नहीं मिल पा रहे हैं, ऐसे में निर्यातकों के मार्जिन खत्म हो रही हैं। इस स्थिति को मैनेज करना उद्यमियों के लिए कठिन हो रहा है। उद्यमियों ने सरकार को गुहार लगाई है कि निर्यात को बूस्ट करने के लिए इंसेंटिव दिए जाएं।

काबिलेजिक्र है कि इंजीनियरिंग उद्योग में स्टील और गारमेंट में यार्न की बढ़ती कीमतों ने सारा गणित बिगाड़ दिया है। अब निर्यातकों का सारा ध्यान लागत को कम करने में लगा है। इसके लिए अपग्रेडेशन एवं आधुनिक तकनीक पर फोकस किया जा रहा है। निटवियर अपैरल एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट हरीश दुआ का कहना है कि चालू सीजन के दौरान सिर्फ यार्न के दाम 25 फीसद तक बढ़े हैं और गारमेंट पर इनका इंपेक्ट 12.50 फीसद तक है, जबकि विश्व बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते अधिक रेट नहीं मिल पा रहा है। नतीजतन विश्व बाजार से निर्यातक आउट हो रहे हैं। इसका अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि चालू वित्त वर्ष के पहले दो माह अप्रैल एवं मई के दौरान रेडीमेड गारमेंट में 19.82 फीसद की कमी आई है। अप्रैल 2017 में गारमेंट निर्यात 11272.24 करोड़ रुपये का था, जोकि अप्रैल 2018 में 22.76 फीसद गिर कर 8859.67 करोड़ रुपये रह गया। इसी तरह पिछले साल मई में गारमेंट निर्यात 10342.55 करोड़ रुपये का था, जोकि मई 2018 में कम होकर 9040.63 फीसद रह गया। दुआ ने कहा है कि गिरते निर्यात को देखते हुए गारमेंट निर्यातक चिंतित हैं। इस संबंध में सरकार को पत्र लिखा है कि यार्न का निर्यात बंद करके उसका वैल्यू एडीशन कर गारमेंट के निर्यात को बढ़ावा दिया जाए। इसके अलावा करंसी में रोजाना हो रही उठापठक के असर को कम करने के लिए चीन एवं दुबई की तर्ज पर भारतीय करंसी का पेरिटी रेट फिक्स किया जाए। ताकि निर्यातक लंबी अवधि की प्लानिंग कर विश्व बाजार में कारोबार कर सकें। हैंड टूल उत्पादों पर भी असर पड़ा : रल्हन

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स आर्गेनाइजेशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन का कहना है कि पिछले पाच माह में हैंड टूल उत्पादों पर स्टील एवं अन्य इनपुट की लागत का दस फीसद तक असर पड़ा है, जबकि विश्व बाजार में कीमतों की बढ़त केवल दो से पाच फीसद तक की मिल रही है। तकनीक को अपग्रेड करके ढाई फीसद मैनेज किया जा रहा है। ताकि ढाई फीसद मार्जिन से जा रहा है। इसे लेकर निर्यातक परेशान हैं। मौजूदा वक्त निर्यातकों के हक में नहीं : शरद

नॉर्दर्न चैंबर ऑफ मीडियम एंड स्मॉल इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट शरद अग्रवाल कहते हैं कि मौजूदा वक्त निर्यातकों के हक में नहीं है। लागत के मुकाबले विश्व बाजार से रेट नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में हालात से निपटना मुश्किल हो रहा है। खास कर छोटे निर्यातकों की दिक्कतें तेजी से बढ़ रही हैं। सरकार राहत देकर ही निर्यातकों में जान फूंक सकती है।

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