ये हैं प्रकृति प्रेमी गुरमुख सिंह, लुधियाना में घर की छत पर बना डाला 200 पेड़ों का Bonsai गार्डन, ऐसे करते हैं देखभाल

गुरू नानक देव इंजीनियरिंग कालेज में टेक्नीकल सुपरिंटेंडेंट प्रो. गुरमुख सिंह का प्रकृति के प्रति अनूठा प्रेम है। गुरमुख सिंह ने घर की छत पर ही गार्डन बना डाला। इस गार्डन में 200 से अधिक बोनसाई पेड़ हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 07 Feb 2021 10:32 AM (IST) Updated:Sun, 07 Feb 2021 03:59 PM (IST)
ये हैं प्रकृति प्रेमी गुरमुख सिंह, लुधियाना में घर की छत पर बना डाला 200 पेड़ों का Bonsai गार्डन, ऐसे करते हैं देखभाल
घर की छत पर पेड़ों की देखभाल करते गुरमुख सिंह। जागरण

लुधियाना [आशा मेहता]। मानव का प्रकृति, वृक्ष और पौधों के साथ सदियों से अटूट रिश्ता रहा है। इनकी संभाल करने और संवारने वालों की भी दुनिया में कमी नहीं है। शहर के शिमलापुरी में रहने वाले गुरमुख सिंह भी पंजाब के दुर्लभ पेड़-पौधों को बचाने में जुटे हैं। पेशे से गुरू नानक देव इंजीनियरिंग कालेज में टेक्नीकल सुपरिंटेंडेंट हैं लेकिन जुनून प्रकृति और पेड़-पौधों को बचाने का है। इस जज्बे की झलक उनके अपने घर में दिखती है।

गुरमुख सिंह की घर की छत पर ही दुर्लभ पेड़-पौधों का एक गार्डन बना दिया है। इसमें पीपल, बरगद, अशोका, कीकर, कचनार, जंगल जलेबी, ईमली, जेड, पिलकन, बोहड़, नीम, गुलार, अर्जुन, सेंडल वुड, रोहिदा ट्री जैसे करीब 200 से अधिक बोनसाई (जापानी भाषा में बौने पौधे) पौधे लगा रखे हैं। इसे Bonsai गार्डन कहते हैं। घर की छत पर बड़ी संख्या में छोटे आकार के पुराने पेड़ों को देखकर लोग दंग रह जाते हैं।

प्रो. गुरमुख सिंह ने जापानी तकनीक की मदद से Bonsai पेड़ों को गमलों में सहेज रखा है। इन छोटे-छोटे गमलों में 31 वर्ष पुराना बाइक्स बेंजामिना, 21 वर्ष की तिलखन, 20 वर्ष का बोहड़, 18 वर्ष का जेड, 12 वर्ष पुराना पीपल का पेड़, 15 वर्ष की जंगल जलेबी, 12 वर्ष का अपरकलेरिया, 13 वर्ष के ब्लैक पाइन और सिल्वर पाइन भी हैं। यही नहीं उन्होंने करीब 800 इंडोर प्लांट्स भी लगा रखे हैं। इनमें दुर्लभ प्रजाति के कैक्टस, सकुलेंट प्लांट्स, एयर प्यूरीफायर प्लांट्स की अलग- अलग प्रजातियों सहित फूलों और फलदार पौधे भी लगाए हैं।

प्रो. गुरमुख कहते हैं कि विशालकाय पेड़ के मूल स्वरूप को Bonsai के रूप में रखना आसान है। बड़े पेड़ को बचाकर रखने और उसकी देखरेख के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। वे वेतन का एक बड़ा हिस्सा इन पौधों पर खर्च करते हैं। हर रोज सुबह और शाम को दो से ढाई घंटे इन पेड़ पौधों के साथ बिताते हैं। इनकी देखकर छोटे बच्चों की तरह करते हैं।

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मौसम के अनुसार इन्हेंं खाद, पानी और बीमारियों से बचाने के लिए स्प्रे करना होता है। प्रकृति हमें एक नया सौंदर्यबोध प्रदान करती है। प्रकृति का स्नेहिल और शीतल स्पर्श हमें आशा की किरण दिखाकर नई ऊर्जा देती है। चिकित्सक भी हमें तनाव बचने के लिए प्रकृति के बीच रहने की सलाह देते हैं। इन पौधों को फलता फूलता देख बहुत खुशी होती है। लोग प्रकृति से प्रेम करें। घर में या आसपास जहां जगह मिले पौधे लगाएं।

बच्चों की तरह देखरेख भी बहुत जरूरी

प्रो. गुरमुख बताते हैं कि जैसे छोटे बच्चों को हैवी फूड या ज्यादा मात्रा में पानी नहीं दिया जा सकता वैसा ही इन पौधों के साथ भी है। इन्हें ड्रिप सिस्टम से पानी, लिक्वड फर्टीलाइजर और कीड़ों से बचाने के लिए स्प्रे करना पड़ता है। सबसे अहम हर तीसरे दिन इनकी छंटाई करनी पड़ती है। पत्नी नरिंदर कौर और बेटा जसदीप सिंह भी इन पौधों की देखरेख करते हैं।

कहां और कैसे मिल सकते हैं बोनसाई पौधे बोनसाई पौधों का बीज दुकान या आनलाइन शापिंग साइट्स पर मिल जाता है। इनके बीजों की शुरुआत 100 रुपये से हो जाती है। लगे लगाए Bonsai पौधे भी बाजार या आनलाइन मिल जाते हैं। इनकी कीमत पेड़ की उम्र के हिसाब से एक से पांच हजार रुपये तक हो सकती है।

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