बजट 2020 से उम्‍मीदें: महंगाई से नहीं मिल रही राहत, केंद्र सरकार टैक्‍स प्रणाली में करे बदलाव

सरकार को इस आम बजट में आम आदमी की जेब पर फोकस करते हुए टैक्स प्रणाली में अहम बदलाव करने चाहिए। सीए चाहते हैं कि डिडक्शन लिमिट को डेढ़ से बढ़ाकर दो लाख किया जाए।

By Sat PaulEdited By: Publish:Tue, 28 Jan 2020 10:37 AM (IST) Updated:Wed, 29 Jan 2020 03:40 PM (IST)
बजट 2020 से उम्‍मीदें: महंगाई से नहीं मिल रही राहत, केंद्र सरकार टैक्‍स प्रणाली में करे बदलाव
बजट 2020 से उम्‍मीदें: महंगाई से नहीं मिल रही राहत, केंद्र सरकार टैक्‍स प्रणाली में करे बदलाव

लुधियाना, जेएनएन। इंकम टैक्स प्रणाली में कई बड़े बदलाव किए जाने की आवश्यकता है, महंगाई लगातार बढ़ रही है और टैक्स स्लैब वैसे की वैसे ही हैं। भले कमाई बढ़ रही है लेकिन उससे कहीं ज्यादा खर्च होने के बावजूद टैक्स अधिक से होने से आम आदमी के लिए जीना मुश्किल हो गया है। सरकार को इस आम बजट में आम आदमी की जेब पर फोकस करते हुए टैक्स प्रणाली में अहम बदलाव करने चाहिए। सीए चाहते हैं कि डिडक्शन लिमिट को डेढ़ से बढ़ाकर दो लाख किया जाए। इसी तरह दस फीसद की स्लैब पांच लाख के बाद आरंभ किया जाना चाहिए। पेश है बजट में इनकी सरकार से क्या मांगें व उम्‍मीदें हैं।

डिडक्शन लिमिट दो लाख हो

सीए नितिन महाजन का कहना है कि महंगाई के दौर में कई बदलाव होने चाहिए। डिडक्शन लिमिट डेढ़ से दो लाख करने, मिनिमम टैक्स स्लैब पांच लाख किए जाने, और दस फीसद की स्लैब पांच लाख के बाद आरंभ करने की जरूरत है ताकि एक बड़े वर्ग को राहत मिल सके।

पीपीएफ की लिमिट बढ़े

सीए धीरज चेतली का कहना है कि डिडक्शन लिमिट को बढ़ाने के साथ साथ ही पीपीएफ में निवेश की लिमिट को भी बढ़ाना चाहिए। इसे डेढ़ लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये करना चाहिए। ऑटो व अन्य सेक्टर को बूस्ट अप के लिए रियायती ब्याज दरों से अपलिफ्ट किया जाए।

जीएसटी दरें बदली जाएं

सीए अरुण गुप्ता ने मांग उठाई है कि ऑटो सेक्टर सहित कई अहम सेक्टर भारी मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में सरकार को इस सेक्टर पर जीएसटी दरों को कम करना चाहिए। एक्सपोर्ट की ग्रोथ के लिए डयूटी फ्री अनुमति दी जाए। लांग टर्म कैपिटल गेन्स में राहत दी जानी चाहिए।

कर घटाए सरकार

सीए संजीव गुप्ता का कहना है कि बाजार में डीग्रोथ है, ऐसे में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर को कम करना चाहिए। ताकि लोगों की खरीद शक्ति बढ़े और मंदी को समाप्त करने में मदद मिल सके। व्यक्तिगत कर और पार्टनरशिप फर्म के कर में राहत दिए जाने की जरूरत है।

नौकरीपेशा लोगों को मिले राहत

सीए पुषकल सोनी का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से कारपोरेट सेक्टर को टैक्स में राहत दिए जाने के बाद अब नौकरी पेशा लोग भी टैक्स में राहत मिलने की उम्मीद में हैं। सरकार को नौकरीपेशा लोगों को स्लैब बढ़ाने के साथ ही टैक्स दरों में कटौती की घोषणा करनी चाहिए।

लांग टर्म फायदा मिले

सीए सुशील सिंगला की मांग है कि लंबे निवेश पर राहत देनी चाहिए। इसमें म्यूचल फंड्स और शेयरों में निवेश करने वालों को पहले की भांति राहत दी जानी चाहिए। ताकि कंपनियों के पास अधिक पैसा आए और गंभीर चुनौतियों से जूझ रही इंडस्ट्री को आर्थिक मदद मिले।

पार्टनरशिप फर्म को मिले लाभ

सीए विपिन गुप्ता का कहना है कि कारपोरेट टैक्स में राहत दी गई है, अब छोटी कंपनियों को पार्टनरशिप फर्म का भी 25 फीसद टैक्स किए जाने की उम्मीद है। जीएसटी फार्म में सरलीकरण और एक जैसे टैक्स करने की जरूरत है। इंडस्ट्री हर चीज पर अलग अलग टैक्स से परेशान है।

जल्द मिले रिफंड

सीए रोमेश कुमार का कहना है कि इस बजट में टैक्स राहत देने के साथ बी सरकार को मौजूदा कर प्रणाली को दुरुस्त करने की जरूरत है। सरकार को आयकर और जीएसटी सहित अन्य रिफंड के लिए आनलाइन प्रक्रिया को सरल और बेहतर बनाने पर काम करना चाहिए।

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