प्रशिक्षित श्रमिकों के पलायन का इफेक्ट, शहर में रुकी कुत्तों की नसबंदी

श्रमिक पलायन का इफेक्ट अब शहर पर दिखने लगा है। श्रमिकों के पलायन के कारण शहर में कुत्तों की नसबंदी रुक गई।

By Edited By: Publish:Mon, 18 May 2020 05:00 AM (IST) Updated:Mon, 18 May 2020 05:00 AM (IST)
प्रशिक्षित श्रमिकों के पलायन का इफेक्ट, शहर में रुकी कुत्तों की नसबंदी
प्रशिक्षित श्रमिकों के पलायन का इफेक्ट, शहर में रुकी कुत्तों की नसबंदी

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। लुधियाना से श्रमिकों का पलायन जारी है। रोजाना हजारों की तादाद में श्रमिक ट्रेनों के जरिये जा रहे हैं। जबकि बड़ी संख्या में श्रमिक पैदल ही अपने गृह प्रदेश लौट रहे हैं। श्रमिक पलायन का इफेक्ट अब शहर पर दिखने लगा है। श्रमिकों के पलायन के कारण शहर में कुत्तों की नसबंदी रुक गई। अब जब तक कुत्तों के नसबंदी सेंटर के लिए प्रशिक्षित श्रमिक नहीं आते तब तक इस प्रोजेक्ट को शुरू करना भी मुश्किल है। 

इस प्रोजेक्ट के बंद होने से शहर में लावारिस कुत्तों की संख्या फिर से बढ़ने लगेगी। हालांकि निगम अफसर लगातार कुत्तों की नसबंदी का प्रोजेक्ट चलाने वाली कंपनी पर काम शुरू करवाने का दबाव बना रहे हैं लेकिन कंपनी ने साफ कर दिया कि जब लॉकडाउन पूरी तरह नहीं खुल जाता तब तक प्रशिक्षित श्रमिकों को लाना मुश्किल हो जाएगा। नगर निगम ने हैबोवाल डेयरी कांप्लेक्स में लवारिस कुत्तों की नसबंदी के लिए सेंटर बनाया है। इसके संचालन की जिम्मेदारी नगर निगम ने एक निजी कंपनी को दी है। 

सेंटर को अपग्रेड किया गया जा रहा है जिसकी वजह से पहले भी कुत्तों की नसबंदी का काम प्रभावित रहा। दो माह पूर्व निगम ने कुत्तों की नसबंदी का काम शुरू करवाया तभी कोरोना के कारण क‌र्फ्यू लगा दिया गया। उसके बाद निगम ने कंपनी के कर्मचारियों को लवारिस कुत्तों को खाना देने पर लगाया। जब क‌र्फ्यू की अवधि बढ़ाई गई तो प्रोजेक्ट में काम करने वाले श्रमिक अपने गृह प्रदेश चले गए। इस वजह से कंपनी के पास न तो अब कुत्तों को पकड़ने वाला स्टाफ है और न ही सेंटर के अंदर नसबंदी के पहले और बाद में कुत्तों की देखभाल के लिए कोई स्टाफ है। इसी कारण यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से बंद हो गया। 

लॉकडाउन खुलने के बाद ही प्रशिक्षित श्रमिक महाराष्ट्र से आ सकेंगे

नगर निगम के सीनियर वेटरनरी अफसर डॉ. हरबंस डल्ला ने बताया कि कंपनी के संचालक महाराष्ट्र से हैं और उनसे इस संबंध में संपर्क साधा गया। उन्होंने कहा कि कंपनी संचालक का तर्क है कि लॉकडाउन की वजह से वह भी महाराष्ट्र में फंसे हैं इसके लिए वह श्रमिकों से संपर्क साध रहे हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद ही प्रशिक्षित श्रमिकों को लुधियाना भेजा जा सकेगा। डॉ. डल्ला ने बताया कि सेंटर में काम करने और कुत्तों को पकड़ने के लिए सामान्य श्रमिक नहीं बल्कि प्रशिक्षित श्रमिक चाहिए।

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