मातम में बदली शादी की खुशियां, लुधियाना में दूल्हे की मां और भांजी की मौत से दहला अमृतसर का परिवार
अमृतसर के कोट मंगल सिंह के अजीत सिंह के घर में लोग बहू का इंतजार कर रहे थे कि उन्हें लुधियाना में हादसे की खबर मिली। परिवार बेटे परमिंदर की शादी के बाद दिल्ली से लौट रहा था। हादसे में परमिंदर की मां और भांजी की मौत हो गई।
अमृतसर [नवीन राजपूत]। तरनतारन रोड पर कोट मंगल सिंह में रहने वाले अजीत सिंह के परिवार पर सोमवार सुबह मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा। बेटे की शादी की खुशियां मातम में बदल गईं। सोमवार सुबह लुधियाना के खन्ना के पास दिल्ली से शादी करके लौट रही बारात का टैंपो ट्रैवलर खड़े ट्राले से जा टकराया। हादसे में दूल्हे परमिंदर की मां गुरचरण कौर और भांजी जयश्री (3) की मौत हो गई। गनीतम रही कि कार में आ रहे दूल्हा और दुल्हन सुरक्षित बच गए।
हादसे के बाद जैसे ही एंबुलेंस घर पहुंची, चीख पुकार मच गई। हर किसी के मन में यही बात थी कि गुरचरण कौर तो बेटे परमिंदर सिंह के सिर सेहरा बांधने गई थी। घर में सब बहू का इंतजार कर रहे थे कि खुशियों का माहौल गम में बदल गया।
लुधियाना में हादसे के बाद सामान लेकर अजीत सिंह के घर पहुंची एंबुलेंस देख चारों और चीख-पुकार मच गई।
गुरचरण कौर अपने पति अजीत सिंह और कुछ रिश्तेदारों के साथ 28 नवंबर की रात बड़े बेटे परमिंदर सिंह की शादी के लिए एक कार और टैंपू ट्रैवल लेकर दिल्ली निकली थी। कोरोना के कारण बारात में कम ही लोग थे। परिवार की करीबी सिम्मी ने बताया कि गुरचरण कौर के दो बेटे परमिंदर, जतिंदर सिंह और एक बेटी वरिंदर कौर हैं। उन्होंने बड़े बेटे परमिंदर की शादी 29 नवंबर को दिल्ली तय की थी।
लुधियाना के पास हुए हादसे में तीन साल की जयश्री की भी जान चली गई है।
कोरोना के खौफ को देखते हुए शादी धूमधाम से करने की बजाए चंद रिश्तेदारों को साथ ले जाकर करना ही उचित समझा। शनिवार की रात वह बेटे की शादी के लिए अमृतसर से एक कार और एक टैंपू ट्रैवल लेकर निकले थे। शादी के बाद वह रविवार की रात घर लौट रहे थे कि खन्ना के पास दुर्घटना हो गई। टैंपू ट्रैवल में सवार अन्य सभी लोग जख्मी हो गए। इलाके में हादसे का समाचार मिलते ही चारों तरफ मातम छा गया। जहां कुछ देर बाद गुरचरण कौर को बेटे की शादी की बधाई देने वालों का तांता लगना वहां लोगों की आंखों नम थी।
जरूरतमदों का मददगार जाना जाता है परिवार
गुरचरण कौर और उनके पति का कोट मंगल सिंह में खासा रुतबा था। उनका कपड़ों की रंगाई का कारोबार था। गुरचरण और उनके दोनों बेटे जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। इलाके में रहने वाले लोगों से पता चला कि कोरोना काल में उन्होंने कई जरूरतमंदों के लिए खाने का बंदोबस्त भी किया था।