भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद अकाली दल की बसपा व सीपीआइ से गठजोड़़ की तैयारी
कृषि कानूनों के मुद्दे पर भाजपा से गठबंधन तोड़ चुका अकाली दल माकपा व बसपा से गठबंधन की तैयारी में है। पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने कहा कि इस संबंध में दोनों दलों से बातचीत चल रही है।
जेएनएन, बठिंडा। कृषि सुधार कानून के विरोध में भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद शिरोमणि अकाली दल अन्य पार्टियों से तालमेल बैठाने में जुट गया है। बठिंडा में शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने कहा कि शिअद आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बसपा व कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (सीपीआइ) से गठबंधन कर सकता है। गठबंधन के लिए पार्टी की बातचीत चल रही है।
मलूका ने कहा कि भाजपा से अलग होने का फैसला बहुत ही अच्छा था। अब वह भी खुलकर चुनाव लड़ सकते हैं और हम भी। किसमें कितना दम है, यह आगामी विधानसभा चुनाव बताएंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब के हालात इस समय काफी खराब हैं। असल में पंजाब में 25 एसएसपी तैनात करने होते हैं, लेकिन पंजाब में दो सौ से ज्यादा एसएसपी स्तर के अधिकारी हैं। ऐसे में सिफारिश व पैसे के बल पर ही जिलों में एसएसपी तैनात होते हैं। ये एसएसपी कांग्रेस के नेताओं के कहने पर ही काम कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि शिअद की सरकार के समय भी तो एसएसपी ज्यादा थे, तो क्या उस समय भी एसएसपी को पैसे लेकर रखा जाता था। इस पर उन्होंने कहा कि उस समय वह सीएम नहीं थे।
बता दें, कृषि कानूनों को लेकर जब पंजाब में किसानों ने आंदोलन किया तो अकाली दल की केंद्र में एक मात्र मंत्री हरसिमरत कौर को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद अकाली दल ने भाजपा से गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया। अब अकाली दल व भाजपा अलग-अलग राजनीतिक रूप से पंजाब में पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। भाजपा जहां भाजपा की निगाह शहरी मतदाताओं पर है वहीं अकाली दल अपने परंपरागत वोट बैंक किसानों को बचाने में जुटी है। कृषि कानूनों को लेकर किसान आक्रामक हैं। ऐसे में अकाली दल किसानों के आंदोलन के साथ खड़ा है, जबकि भाजपा किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है कि यह कानून उनके हित में हैं।