ढाबे पर रोटी मांगी तो पहचान ली आवाज, 19 वर्ष से बिहार से लापता चाचा लुधियाना में इस हाल में मिला

पंजाब के लुधियाना में एक व्यक्ति ढाबे पर रोटी मांगने पहुंचा। रोटी देने वाले को उसकी आवाज जानी पहचानी लगी। युवक के पड़ताल करने पर पता चला कि यह तो 19 पहले बिहार से लापता उसके चाचा हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 02:43 PM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 08:48 AM (IST)
ढाबे पर रोटी मांगी तो पहचान ली आवाज, 19 वर्ष से बिहार से लापता चाचा लुधियाना में इस हाल में मिला
कैलाश मुखिया भिखारी के वेष में दाढ़ी कटाने के बाद। जागरण

लुधियाना [राजन कैंथ]। यह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 19 वर्ष पूर्व बिहार निवासी व्यक्ति घर से लापता हो गया था। परिवार वालों ने कई जगह तलाश की, लेकिन व्यक्ति का कहीं पता नहीं चला। इसी बीच, अचानक एक व्यक्ति ने रोटी की भीख मांगी।  उसकी आवाज सुन युवक को लगा जैसे वह इस आवाज को पहचानता है। दिमाग पर जोर डालने पर उसे महसूस हुआ ऐसी आवाज तो उसकी चाचा की थी। बस फिर क्या था... भिखारी से नाम-पता पूछा तो वह उसका चाचा ही निकला। 

शिव पुरी निवासी सिया राम मुखिया का कहना है, ''हम बचपन से अपने चाचा को तलाशते आ रहे थे। वो आखिर मिला भी तो अपने गांव से 1500 किलोमीटर दूर लुधियाना में। पहली नजर में चेहरा तो पहचान में नहीं आया, हां उनकी आवाज सुनते ही पहचान गया कि वो कैलाश चाचा हैं। चेहरे पर बढ़ी हुई दाढ़ी और लंबे-लंबे बालों ने उनका रंग-रूप ही बदल दिया था। मगर जब उनके बाल कटवाने के साथ शेव कराई गई तो वो हू-ब-हू पिता जी जैसे नजर आए।''

सिया राम मुखिया शिव पुरी स्थित राणा ढाबा में तंदूरी रोटी बनाने का काम करता है। वह रविवार शाम वो ढाबे पर रोटियां सेंक रहा था। इसी दौरान भिखारी जैसे दिखने वाले व्यक्ति ने आकर रोटी मांगी। पहले सिया राम ने उसे अनदेखा कर दिया। मगर जब उसने फिर से रोटी मांगी तो सिया राम को वो आवाज जानी-पहचानी सी लगी। उसने जब उस भिखारी से नाम पूछा। उसका नाम सुनते ही वो उछलने लग गया। वो उसका 19 साल से लापता चाचा कैलाश मुखिया (56) निकला। हालांकि कैलाश ने सिया राम को नहीं पहचाना, क्योंकि जब वह घर छोड़कर गए थे तो उस समय सिया राम महज 16 साल का था।

सिया राम ने फौरन अपने छोटे भाई बजरंगी मुखिया को बुलाया। उसके बाद नूरवाला रोड पर हलवाई की दुकान पर काम करने वाले कैलाश मुखिया के बेटे लालू को भी बुलाया। पिता को देखते ही लालू की आंखे बरसने लगीं। पिता के गले लगकर वह बहुत देर तक रोता रहा। हालांकि फिलहाल कैलाश मुखिया की दिमागी हालत कुछ ठीक नहीं है। तीनों अब उसे गांव वापस ले जाने की तैयारियों में जुट गए हैं। उनका कहना है कि वो कैलाश मुखिया का गांव में इलाज कराएंगे।

सिया राम ने बताया कि कैलाश मुखिया ट्रक में लेबर का काम करते थे। गांव में उनकी पत्नी रंजना देवी हैं। उनकी दोनों बेटियों पूजा व मुन्नी की अब शादी हो चुकी है। 2001 में वो घर से काम के लिए निकले और वापस नहीं आए। हर जगह पर उनकी तलाश की गई, मगर कहीं कोई सुराग नहीं लगा। इतने पर भी उन लोगों ने हार नहीं मानी और उनकी तलाश जारी रखी। सिया राम यहां पहले से काम करता था। दो साल पहले लालू और बजरंगी भी काम की तलाश में लुधियाना आ गए। यहां आने पर उनके चाचा की तलाश पूरी हो गई। वो लोग मूलरूप से दरभंगा (बिहार) के तहसील कुसोथर, थाना बहादुरपुर के गांव गोरिया के रहने वाले हैं।

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