लुधियाना के एडवाकेट जिंदल ने मासूमों के हाथ से कूड़ा छीन थमा दी किताबें, झुग्गियों में चला रहे छह स्कूल

एडवोकेट हरिओम जिंदल बिजनेस फैमिली से संबंध रखते थे। हालांकि उन्होंने बिजनेस छोड फिर से वकालत करनी शुरू कर दी। उन्होंने 44 साल की उम्र में वकालत की पढ़ाई शुरू की। इसके बाद वह झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के लिए काम करने लगे।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Sun, 06 Dec 2020 07:59 AM (IST) Updated:Sun, 06 Dec 2020 10:58 AM (IST)
लुधियाना के एडवाकेट जिंदल ने मासूमों के हाथ से कूड़ा छीन थमा दी किताबें, झुग्गियों में चला रहे छह स्कूल
एडवोकेट हरिओम जिंदल बिजनेस फैमिली से संबंध रखते थे। (जागरण)

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। प्रतिभा चाहे गरीब घर में पैदा हो या फिर अमीर के सभी को समान अवसर मिलने चाहिए। गरीब घर की प्रतिभा को संसाधन नहीं मिलते हैं और वह कूड़ा बिनने तक का काम करने को मजबूर हो जाती है वहीं अमीर घरों की  प्रतिभा को संसाधन मिलते हैं तो वह नाम कमा लेते हैं।

प्रतिभाओं को समान अवसर मिले इस मनसूबे के साथ शहर के एक वकील झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के लिए काम में जुटे हैं। एडवोके हरिओम जिंदल कई सालों से झुग्गियों के इन बच्चों के हाथों से कूड़ा छीनकर किताबें पकड़ा रहे हैं। इन किताबों के जरिए वह इन बच्चों के चेहरों पर मुस्कान ला रहे हैं।

200 के करीब बच्चों काे दे रहे शिक्षा

एडवोकेट हरिओम जिंदल बिजनेस फैमिली से संबंध रखते थे। हालांकि उन्होंने बिजनेस छोड फिर से वकालत करनी शुरू कर दी। उन्होंने 44 साल की उम्र में वकालत की पढ़ाई शुरू की। इसके बाद वह झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के लिए काम करने लगे। वह झुग्गियों में छह स्कूल चला रहे हैं और 200 के करीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं। झुग्गियों में रहने वाले यह सभी बच्चे आसपास के एरिया में कूड़ा बिनते थे और स्कूल का उन्होंने कभी मुंह भी नहीं देखा था।

बच्चों को अधिकारों के प्रति भी करते हैं जागरूक

हरिओम जिंदल ने पहले एक स्कूल शुरू किया और अब तक वह छह स्कूल खोल चुके हैं। खास बात यह है कि वह इन बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति भी जागरूक करते हैं। इन बच्चों के लिए जो एल्फावेट की किताब तैयार की है उसमें भी वह उन्हें ए फार एप्पल नहीं एडमिनिस्ट्रेशन पढ़ाते हैं। बी फार बैलेट, सी फार कंस्टीटयूशन पढ़ा रहे हैं। ऐसा ही नहीं कि उन्होंने सिर्फ उनके लिए स्कूल खोला है वह हर सुख और दुख में उन बच्चों के पास जाते हैं। किसी का जन्मदिन हो तो वह भी मनाते हैं और उन्हें अच्छे रेस्टोरेंट और होटल में लंच भी करवाते हैं। इनके जो स्कूल हैं उनमें बच्चों को वही पढ़ा रहे हैं जो पहलेवह पढ़ चुके हैं।

एक कंप्यूटर सेंटर भी चला रहे हैं एडवोकेट जिंदल

जो बच्चे स्कूल नहीं जाते थे उनके लिए कंप्यूटर के की बोर्ड पर अंगुलियां चलाना किसी सपने से कम नहीं था। लेकिन एडवोकेट हरिओम जिंदल ने उनके लिए एक कंप्यूटर सेंटर खोला जिसमें बच्चे कंप्यूटर सीखने आते हैं। झुग्गियों के एक सौ से अधिक बच्चे अब कंप्यूटर चलाना जानते हैं।

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