178 कालोनाजर ने किया आवेदन, चार साल में महज 34 किए पास

नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारी शहर में बनी 144 कालोनियों के बारे में फैसला नहीं कर पाए कि वे वैध हैं या अवैध। इन कालोनियों में रह रहे सैकड़ों परिवारों पर अब फिर से तलवार लटकने लगी है। सरकार ने अवैध कालोनियों की रजिस्ट्री पर पाबंदी लगा दी है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 May 2022 01:17 AM (IST) Updated:Sat, 28 May 2022 01:17 AM (IST)
178 कालोनाजर ने किया आवेदन, चार साल में महज 34 किए पास
178 कालोनाजर ने किया आवेदन, चार साल में महज 34 किए पास

वरिदर राणा, लुधियाना : नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारी शहर में बनी 144 कालोनियों के बारे में फैसला नहीं कर पाए कि वे वैध हैं या अवैध। इन कालोनियों में रह रहे सैकड़ों परिवारों पर अब फिर से तलवार लटकने लगी है। सरकार ने अवैध कालोनियों की रजिस्ट्री पर पाबंदी लगा दी है। इन लोगों को पता नहीं है कि इनकी कालोनी भी वैध है या अवैध है। बीते चार साल से नगर निगम के अधिकारी यह तय नहीं कर पाए। हालांकि सरकार ने उन्हें छह माह में फैसला लेने के लिए कहा था। इस कारण निगम के खजाने को भी करोड़ों रुपये की चपत लग चुकी है।

गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने निगम की सीमा के अंदर अवैध कालोनियों को नियमित करवाने के लिए वर्ष 2017 में एक पालिसी बनाई थी। इसके तहत आवेदन की आखिरी तारीख 19 मार्च, 2018 तय की गई थी। नगर निगम के दायरे में आने वाले 178 कालोनाइजरों ने अपनी कालोनियों नियमित करवाने के लिए आवेदन किया था। निगम को इस पर दो माह में फैसला करना था कि किसे पास किया जाए और किसे नहीं। हैरानी की बात है कि चार साल में निगम अधिकारी केवल 34 कालोनियों को ही पालिसी के तहत पास कर पाए हैं। अन्य 144 कालोनियों पर कोई फैसला नहीं किया गया है। इनके आवेदन फाइलों में ही बंद हैं। वहीं, इन चार साल में यह कालोनियां विकसित होकर बिक भी गई हैं।

नई कालोनी को पुरानी पालिसी में डालने का खेल :

सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप खैहरा का कहना है कि सरकार की पुरानी पालिसी की आड़ में निगम अधिकारी खेल खेल रहे हैं। मार्च 2018 के बाद बनी कालोनी को पुरानी पालिसी में नियमित किया जा रहा है। इसमें कुल कालोनाइजर साल 2018 के बाद काटी गई कालोनी में प्लाट का फुल एंड फाइल एग्रीमेंट दिखा रहे है। इन स्टाम पेपर पर पुरानी डेट लिखी गई है। अगर निगम अधिकारी कालोनाइजर की ओर से लगाए गए स्टाम पेपर की जांच खजाना दफ्तर से करवाए तो पूरा सच बाहर आ जाएगा। उन्होंने इसको लेकर सरकार के पास शिकायत भी की है कि आखिर निगम अधिकारी चार साल में कालोनियों पर फैसला क्यों नहीं ले पाए। निगम के चारों जोन के एटीपीज को पत्र जारी कर लिखा गया है कि जितने भी आवेदन उनके पास पड़े हैं उनके साथ लगे स्टाम पेपर की जांच खजाना दफ्तर से करवाएं। अगर किसी कालोनाइजर ने पुरानी तारीख में कालोनी नियमित करवाने के लिए आवेदन किया है तो उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई जाए। ऐसे में काम में संबंधित एटीपी खुद जिम्मेदार होगा। इस पूरे मामले की जांच कर दो दिन में रिपोर्ट भेजी जाए।

सुरिदर बिद्रा, सीनियर टाउन प्लानर, नगर निगम

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