7 करोड़ की ठगी में शामिल एसबीआइ के तीन एजीएम समेत 6 अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज

जाली दस्तावेज तैयार कर एकम एम्पेक्स साथ सात करोड़ रुपये की जालसाजी के मामले में आरोपी एसबीआइ बैंक के तीन एजीएम के अलावा एसबीआइ चंडीगढ़ के ब्रांच मैनेजर, सहायक मैनेजर व मोहाली के चार्टेड एकाउटेंट को जमानत याचिका को हाइकोर्ट ने रद कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Aug 2018 02:41 AM (IST) Updated:Sat, 25 Aug 2018 02:41 AM (IST)
7 करोड़ की ठगी में शामिल एसबीआइ के तीन एजीएम समेत 6 अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज
7 करोड़ की ठगी में शामिल एसबीआइ के तीन एजीएम समेत 6 अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज

जागरण संवाददाता, कपूरथला। जाली दस्तावेज तैयार कर एकम एम्पेक्स साथ सात करोड़ रुपये की जालसाजी के मामले में आरोपी एसबीआइ बैंक के तीन एजीएम के अलावा एसबीआइ चंडीगढ़ के ब्रांच मैनेजर, सहायक मैनेजर व मोहाली के चार्टेड एकाउटेंट को जमानत याचिका को हाइकोर्ट ने रद कर दिया है। इनके खिलाफ चीफ ज्डयूशियल मजिस्ट्रेट कपूरथला ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। स्टेट बैक ऑफ इंडिया के एजीएम विपन नेगी, एजीएम अदिति वालिया, एजीएम गरिमा प्रहार के अतरिकत एसबीआइ चंडीगढ़ के ब्रांच मैनेजर धर्मेद्र तिवाड़ी, मैनेजर सोनल गुप्ता और कोटिक म¨हद्रा बैंक के सेल्स मैनेजर दीपक बजाज, क्रेडिट मैनेजर नवल किशोर एवं डायरेक्ट सेल्स एजेंट गु¨रदर बाजवा तथा चार्टेड एकाउटेंट राजीव ¨सह खिलाफ इस केस में मामला दर्ज है। इससे पहले भी विपन नेगी, अदिति वालिया, गरिमा प्रहार, धम्रेद्र तिवाड़ी, सोनल गुप्ता एवं राजीव ¨सह जमानत के लिए आवेदन कर चुके हैं, लेकिन अदालत उनकी जमानत याचिका एक बार पहले भी खारिज कर चुकी है। हाईकोर्ट के जज राजीव गुप्ता ने अब फिर से इनकी जमानत याचिका को रद कर दिया है। अब देखना यह देखना होगा कि कपूरथला पुलिस इन बैंक अधिकारियों को गिरफ्तार कर अदालत में कब पेश करती है।

सामने आई थी बैंकों के कई अधिकारियों की मिलीभगत

उल्लेखनीय है कि जाली दस्तावेज तैयार कर एकम एम्पेक्स कपूरथला के साथ सात करोड़ रुपये की ठगी मारने के मामले में क्राइम ब्रांच द्वारा की गई जांच की रिर्पोट थाना सिटी पुलिस की ओर से मार्च माह दौरान सीजीएम कोर्ट में पेश की गई थी, जिसमें विभिन्न बैंकों के कई अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई थी। एडीजीपी क्राइम की निगरानी में हुई इस जांच पश्चात पुलिस ने स्टेट बैंक आफ इंडिया सेक्टर 17 बी चंडीगढ़ के एजीएम विपन नेगी, एजीएम अदिति वालिया, एजीएम गरिमा प्रीतम समेत एसबीआई के पांच वरिष्ठ अधिकारियों के अतरिक्त कोटिक महिद्रा बैंक के तीन अधिकारियों एवं एक्सिस बैंक के एक सेलज मैनेजर खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था लेकिन कोई भी आरोपी कोर्ट में पेश नही हुआ।

पहले भी दर्ज हो चुका है धोखाधड़ी का केस

क्राइम ब्रांच की जांच में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ए़जीएम विपन नेगी, एजीएम अदिति वालिया, एजीएम गरिमा प्रीतम, ब्रांच मैनेजर धर्मेद्र तिवाड़ी व मैनेजर सोनल गुप्ता के अलावा कोटिक म¨हद्रा बैंक के तीन कर्मचारियों में सेलज मैनेजर दीपक बजाज, क्रेडिट मैनेजर नवल किशोर, डायरेक्ट सेल्स एजेंट गु¨रदर बाजवा तथा एक्सिस बैंक के सेल्स मैनेजर अजय कुमार गौतम, चार्टिड एकाउटैंट राजीव ¨सह के अलावा चार अन्य लोगों खिलाफ 18 मई को कोर्ट में चालान पेश किए गए थे। एकम एंपेक्स के साथ साथ स्टेट बैंक आफ इंडिया साथ हुई करोड़ों रुपये की इस ठगी में फर्म के एक पार्टनर व उसके परिवार खिलाफ पहले भी धोखाधड़ी का केस दर्ज हो चुका है, जबकि उक्त बैंक अधिकारियों की मिलीभगत जांच के बाद सामने आई है।

बैंक अधिकारियों से मिल बदल दिया था मोड ऑफ आपरोशन

इस संबंध में स्थानीय लोयर माल निवासी फर्म की पार्टनर सोनिया बावा की तरफ से फर्म के दूसरे पार्टनर खिलाफ जालसाजी का आरोप लगाते हुए आला पुलिस अधिकारियों पास 2014 में शिकायत की थी। इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने फर्म के पाटर्नर सुख¨वदर ¨सह एवं उसके परिवारिक सदस्यों खिलाफ मई 2014 को थाना सिटी कपूरथला में जालसाजी का मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन सुख¨वदर ¨सह व उसका परिवार कभी भी पुलिस के सामने अपना पक्ष रखने के लिए पेश नही हुआ। अंतत: कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया। इसके बाद क्राइम ब्रांच द्वारा पूरे मामले की गहराई से जांच की गई तो सामने आया कि इस पूरी जालसाजी में भारतीय स्टेट बैंक के कई उच्च अधिकारियों के अलावा अन्य बैंकों के मुलाजिम व सीए भी शामिल है।

दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की गई

जिक्रे खास है कि एकम एम्पेकस की पार्टनरशिप डीड में यह साफ तौर पर लिखा है कि अगर फर्म किसी बैंक से डील करेगी तो उस वक्त सभी दस्तावेजों पर दोनों पार्टनर के दस्तखत होंगे, लेकिन सुख¨वदर ¨सह ने बैंक अधिकारियों से मिल कर मोड ऑफ आपरोशन बदल दिया, जिसमें उसने यह लिख लिया कि बैंक के साथ कोई डीलिग करनी हो तो दोनों पार्टनर इकट्ठे या अकेले भी दस्तख्त कर सकते है। इस पूरे मामले की जांच डीजीपी पंजाब की निगरानी में क्राइम ब्रांच मोहाली द्वारा की गई और जाली दस्तावेज फ्ररेसिक लैब में भेजे गए, जिसकी रिपोर्ट में पाया गया कि दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की गई है।

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