गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में संगत हुई नतमस्तक

जगत गुरु श्री गुरु नानक देव जी की चरण स्पर्श प्राप्त पवित्र नगरी में माघ महीने की संगरांद के मौके पर सुल्तानपुर लोधी के ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में हजारों की तादाद में संगत नतमस्तक हुई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 08:08 PM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 08:08 PM (IST)
गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में संगत हुई नतमस्तक
गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में संगत हुई नतमस्तक

संवाद सहयोगी, सुल्तानपुर लोधी : जगत गुरु श्री गुरु नानक देव जी की चरण स्पर्श प्राप्त पवित्र नगरी में माघ महीने की संगरांद के मौके पर सुल्तानपुर लोधी के ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में हजारों की तादाद में संगत नतमस्तक हुई। गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में वीरवार सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु नतमस्तक होने के लिए पहुंचे। गुरु घर आईं संगत ने कड़ाके की ठंड के बावजूद पवित्र सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई और पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब के आगे नतमस्तक होकर सरबत के भले की अरदास की।

इस मौके पर गुरुद्वारा श्री बेर साहिब के मैनेजर भाई जरनैल सिंह बूले ने बताया कि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की तरफ से गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में में चालीस मुक्तों की शहादत को समर्पित माघ के पहले दिन के मौके श्री अखंड पाठ साहिब के भोग डाले गए। भाई मर्दाना जी दीवान हाल में दीवान सजाए गए। इसमें पंथ के महान ढाडी, कवियों और रागी जत्थों ने संगतें को गुरबाणी के साथ निहाल किया। सिख धर्म और विरसे का इतिहास सुना कर गुरु के साथ जुड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि हमें गुरु साहिब के उपदेशों पर चल कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। इस मौके पर एसजीपीसी के सचिव महिद्र सिंह आहली भी विशेष तौर पर पहुंचे। उन्होंने माघ के दिन चालीस मुक्तों को श्रद्धांजलि भेंट की और कहा कि इन चालीस मुक्तों के शहीदी संघर्ष से हमें सब को प्रेरणा लेनी चाहिए। इस मौके पर उनको गुरुद्वारा श्री बेर साहिब के प्रबंधन की तरफ से सिरोपा भेंट करके सम्मानित किया गया। इस दौरान दिल्ली में किसानों की चढ़दी कला की अरदास की। गुरुद्वारा श्री बेर साहिब को रंग बिरंगे फूलों के साथ सजाया गया था। इस मौके संगत के लिए गुरु का अटूट लंगर भी लगाया गया। इस दौरान गुरुद्वारा श्री बेर साहिब के एडिशनल मैनेजर भाई सरबजीत सिंह धूंदा, भुपिदर सिंह, शिदरपाल सिंह, दिलबाग सिंह गिल, गुरप्रीत सिंह, जत्थेदार गुरदयाल सिंह खालसा आदि उपस्थित थे।

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