1452 क्यूसेक पानी बिस्त दोआब में आ रहा, पर दोआबा को नहीं मिल रहा : सीचेवाल
संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने नहरी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
संवाद सहयोगी, सुल्तानपुर लोधी : पंजाब के 147 ब्लाकों में से 108 ब्लाक डार्क जोन घोषित कर दिया गया है जिसमें दोआबा के लगभग सभी ब्लाक शामिल हैं। पंजाब में यदि कहीं सबसे अधिक तेजी के साथ पानी नीचे जा रहा है तो वह दोआबा ही है। गुरु नानक देव जी चरण स्पर्श प्राप्त पवित्र काली बेई में बह रह रहे 250 क्यूसेक पानी से छह गुणा अधिक बिस्त दोआब नहर का 1452 क्यूसेक पानी दोआबा इलाके को नही मिल रहा है। सरकारी रिकार्डो मुताबिक दोआबा के हिस्से का 1452 क्यूसेक पानी कहां जा रहा है इस बारे विभाग, सरकार और दोआबा के रहने वाले किसानों के पास कोई जवाब नहीं है।
पर्यावरण प्रेमी पदमश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने प्रदेश सरकार, प्रशासनिक अधिकारियों, नहरी विभाग और किसानों से अपील करते हुए पंजाब के पानी को बचाने की गुहार लगाई है। संत सीचेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से करवाए गए सर्वे मुताबिक पंजाब की धरती के पास सिर्फ 17 सालों का पानी ही बचा है। इसके बावजूद पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए न तो सरकारें ध्यान दे रही हैं और न ही अधिकारी। जो हालत दोआबा की हैं उसको देख कर नहीं लग रहा कि दोआबा के पास 17 साल का भी पानी बचा होगा।
कार सेवा से काली बेई को बनाया निर्मल
काली बेई का जिक्र करते संत सीचेवाल ने कहा कि बाबा नानक की चरण स्पर्श प्राप्त पवित्र काली बेई पहले पूरी तरह से सूख गई थी और कूड़े से भरी पड़ी थी। संगत ने कारसेवा की मदद से बेई दोबारा से जीवित किया है और इसमें अब 250 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जहां पूरे पंजाब का धरती का निचला पानी नीचे जा रहा है, वहीं सुल्तानपुर लोधी इलाके का धरती के निचले हिस्से का पानी उपर आ रहा है। यह संगत की कड़ी मेहनत से संभव हो सका है जिन्होंने बेई के अंदर खुदाई करके गार व मिट्टी की तह हटा दी और नीचे रेत आने तक काम चलता रहा। अब बेई में पानी छोड़े जाने के कारण आस पास के गांवों का धरती निचला पानी रिचार्ज हो रहा है और जलस्तर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब पास इस समय सर्फ 17 सालों का पानी बचा है लेकिन किसान धरती के नीचे से साफ पानी निकालकर सिंचाई में उपयोग कर रहे हैं। गंदे पानी को ड्रेन में डाल का पानी के कुदरती स्त्रोतों को भी दूषित कर रहे हैं। इस तरफ ना तो सरकारें ध्यान दे रही और न ही किसान जत्थेबंदियां। उन्होंने कहा कि यदि बाबे नानक की बेई में 250 क्यूसेक पानी बहने से समीपवर्ती इलाके के पानी का स्तर बढ़ सकता है तो सरकारें क्यों नहीं सभी नदियों में साफ पानी छोड़ रही ताकि भूजल स्तर ऊपर आ सके। यदि 1452 क्यूसेक पानी दोआबा के किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए मिलने लग जाए तो दोआबा की धरती का भूजल स्तर पानी बचाया जा सकता है।
नहरी विभाग की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
संत सीचेवाल ने नहरी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल करते कहा कि 300 करोड़ की लागत के साथ पक्की की गई नहरों का काम सिर्फ 300 करोड़ खर्च करने तक ही सीमत था। जिसके लिए यह 300 करोड़ खर्चा गया उसकी तरफ न तो सरकारों ने ध्यान दिया और न ही संबंधित विभाग ने। न ही कभी किसानों ने ध्यान दिया कि इन नहरों में पानी पहुंचा भी है या नहीं।