मोदी सरकार हो या कोई और, हम काम निकालना जानते हैं : केजरीवाल

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल क कहना है कि 'आप' पंजाब के हितों के प्रति प्रतिबद्ध है। मोदी सरकार हो या कोई और हम काम निकालना जानते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 24 Oct 2016 12:17 PM (IST) Updated:Wed, 26 Oct 2016 11:11 AM (IST)
मोदी सरकार हो या कोई और, हम काम निकालना जानते हैं : केजरीवाल

जालंधर। ‘नीयत और नियति’ की राजनीति को धूरी मानकर पंजाब के राजनीतिक अखाड़े में उतरे आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आश्वस्त हैं कि पंजाब में उनकी सरकार बनेगी। उनका कहना है कि वह पंजाब में सुशासन लाएंगे और राज्य के हकों के लिए वैसा ही कुछ करेंगे जैसा दिल्ली में किया है। केंद्र मेें मोदी सरकार हो या कांग्रेस की सरकार आए हम काम निकालना जानते हैं। मोदी के आगे पहले हाथ जोड़ेंगे और नहीं माने तो पंजाब का हक छीनना जानते हैं। पंजाब में वह मुख्यमंत्री चेहरों पर सियासत करने नहीं बल्कि मुद्दों की राजनीति करने आए हैं।

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वह 'आप' की दशा-दिशा व भावी रणनीति को लेकर वह बहुत स्पष्ट हैं। उनका खुले दिल से कहना है कि उनसे और उनकी पार्टी से गलतियां हो भी सकती हैं, पर उनकी नीयत हमेशा साफ और स्पष्ट है। केजरीवाल ने दैनिक जागरण के स्थानीय संपादक अमित शर्मा से राज्य की खस्ता माली हालत, सिद्धू, छोटेपुर और मजीठिया मामले के साथ अन्य राजनीतिक बिंदुओं पर विशेष बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश-

आप सुशासन की बात करते हैं, पंजाब के संदर्भ में गुड गवर्नेस के क्या मायने होंगे?

-गुड गवर्नेंस का मतलब हर राज्य में एक जैसा ही होता है। जो हमने दिल्ली में लोकहित में कर दिखाया, वह सब अब पंजाब में भी होगा। हां, पंजाब के संदर्भ में कुछ मुद्दों पर गुड गवर्नेस के मायने अलग हैं। यहां युवाओं को नशों से, आम जनता को भ्रष्टाचार से और किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाना ही असली सुशासन होगा।

नशा तस्करी में पंजाब के बहुत बड़े-बड़े नेता शामिल हैं। प्रशासन के आला अफसरों की भागीदारी है। आम आदमी पार्टी में ही वह मआदा है, इस नापाक गठजोड़ को तोड़ सकता है। दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा है भ्रष्टाचार। इससे हर आम आदमी दुखी है। सभी मानते हैं कि भ्रष्टाचार को आम आदमी पार्टी ही दूर कर सकती है। दिल्ली में हमने इसे कर दिखाया है।

तीसरा है रोजगार, जो एक तरह से भ्रष्टाचार से ही निकला हुआ मुद्दा है। जब भ्रष्टाचार दूर हो जाएगा तो व्यापार और उद्योग भी बढ़ेगा। बाहरी निवेश भी पंजाब में आएगा। इससे रोजगार जैसी समस्या हल होगी। पंजाब सरकार की गलत नीतियों के कारण ही प्रदेश के किसान खुदकुशी कर रहे हैं। ईमानदार सरकार आएगी तो किसानों की खुशहाली होगी। किसानों के कर्ज माफ हो सकेंगे।

दिल्ली में पहली बार आप की सरकार बनने से पहले आम आदमी पार्टी का लैंड मार्क हर गली मोहल्ले के लोगों के मुद्दे उठाकर उन पर लड़ाई लड़ना और उनकी समस्याएं हल करना था। परंतु पंजाब में कहीं न कहीं इस स्तर की संलिप्तता नहीं दिखती, बल्कि पार्टियों की तरह आप भी आरोपों-प्रत्यारोपों और रैली पालिटिक्स तक ही सीमित रह गई है। ऐसा क्यों?

-पंजाब के अंदर जितने मुद्दे हम लोगों ने उठाए हैं, उतने शायद आजतक किसी पार्टी ने उठाए ही नहीं। दस साल से बादलों की सरकार है और कैप्टन की कांग्रेस विपक्ष में हैं, तो संवैधानिक तौर पर लोगों के मुद्दों को उठाना कांग्रेस की बड़ी जिम्मेदारी थी, जिसमें वह पूरी तरह से विफल रही। पंजाब में नशा इतना बढ़ा, कैप्टन साहब ने उसमें क्या किया ..कुछ नहीं किया। किसानों की खुदकशी पर दस साल चुप्पी साधे रखी और अब जब चुनाव पास आए तो नशे पर भी बोलने लगे और कर्ज माफी के वादे भी करने लगे। असली मुद्दे को हमारी पार्टी ने ही उठाए हैं। मेरा ही उदाहरण ले लें। पिछले कई महीनों से पंजाब में कहीं भी किसान की आत्महत्या का मामला आता है या दलित पर अत्याचार होता है, तो सबसे पहले दिल्ली का मुख्यमंत्री किसान के घर पहुंचता है। जबकि पंजाब का मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता मुद्दे को अखबारों में उछालने के बाद वहां हाजिरी लगाने की औपचारिकता निभाते हैं। इसलिए यह कतई ठीक नहीं कि आम आदमी पार्टी बाकी दलों की तरह रैली पालिटिक्स का हिस्सा बन गई है। हम मुद्दे भी उठा रहे हैं। लोगों के बीच भी जा रहे हैं और रैली भी कर रहे हैं।

आम आदमी पार्टी की बात करें तो कोई भी ऐसा आरोप नहीं, जो इतने कम समय में आप नेताओं या वालंटियर्स पर न लगे हों। अब चाहे वह फर्जी डिग्री का हो या फिर भ्रष्टाचार, धर्म की बेअदबी और यौन शोषण का मामला हो। आपकी पार्टी इस तरह के सभी विवादों से जूझ रही है। आपका क्या कहना है?

-क्योंकि विपक्षी दलों को हमेशा हमारा डर सताता रहता है। आज पंजाब के अंदर बादल कैप्टन को गाली नहीं दे रहे, बल्कि उनके निशाने पर सिर्फ केजरीवाल और आम आदमी पार्टी हैं। वहीं कैप्टन अमरिंदर बादल के खिलाफ मुखर नहीं हैं, बल्कि वह भी आप को ही कोसते हैं। क्योंकि उन दोनों की राजनीति को एक जैसी है और वह बारी बारी से सत्ता सुख भोगते रहे हैं। अब जब उन्हें यह क्रम टूटता नजर आ रहा है तब वह ऐसे आरोप लगाकर हमें विवादों में उलझाना चाहते हैं। हमने दिल्ली में भी भाजपा और कांग्रेस का क्रम तोड़ा था। उनके आरोप टिक नहीं पा रहे हैं। दिल्ली में हमारे 15 विधायकों पर आरोप लगाए गए। उन्हे कोर्ट से लगातार बरी किया जा रहा है।

जब-जब आम आदमी पार्टी विवादों में घिरी है, चाहे दिल्ली हो या पंजाब, अरविंद केजरीवाल मौन धारण कर लेते हैं। जैसे पहले मनमोहन सिंह और अब नरेंद्र मोदी करते हैं। क्या आप भी सच्चाई का सामना करने से डरते हैं?

-बिल्कुल नहीं। मेरी कार्यशैली से साफ जाहिर है कि आम आदमी पार्टी ही पहली ऐसी पार्टी है, जिसमें संगीन आरोपों की पड़ताल तुरंत कर कार्रवाई की जाती है। आप ही पहली पार्टी है, जिसने अपने मंत्रियों के खिलाफ सू मोटो एक्शन लिया। उनके खिलाफ तो आरोप ही नहीं लगे थे। मैं एक्शन लेता हूं तो फिर मैं चुप्पी कैसे साध रहा हूं। हमारे एक मंत्री के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत आई और मैंने शिकायतकर्ता को सबूत देने को कहा। उसने रिकार्डिंग करके एक लिंक भेजा, जिसकी हमने पड़ताल की तो सही पाया। अब इस पर हम भी मनमोहन और मोदी की तरह चुप्पी साध सकते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया, बल्कि मीडिया के सामने जाकर रिकार्डिग सुनाई और एक्शन भी लिया। ऐसा भारत के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था। सिर्फ एकबार लाल बहादुर शास्त्री ने इस तरह इस्तीफा दे दिया था।

पंजाब में अकाली दल की मुफ्त बिजली, शगुन स्कीम, साइकिल और बर्तन बांटने जैसी लोक लुभावन नीतियों पर आम आदमी पार्टी का क्या स्टैंड रहेगा?

-देखिए जहां तक यह नीतियां लोगों की जरूरतों को पूरा करती हैं, तब आम आदमी पार्टी पूरी तरह से उनकी हिमायती है। आटा, दाल जैसी स्कीम कभी भी बंद नहीं होनी चाहिए, लेकिन मेरा कहना है कि इन नीतियों को नीयत से लागू किया जाना चाहिए, न कि बादल सरकार के मंत्रियों की तरह इन नीतियों में से भ्रष्टाचार कर अपने घर भरने की कोशिश हो।

कुछ माह पहले पेस्टीसाइड और फर्टिलाइजर बांटने की नीति को भी बादल के मंत्रियों ने अपने फायदे के लिए इस तरह तोड़ा मरोड़ा कि तंग आकर किसान खुदकुशी करने लगे। हम सत्ता में आने पर इन सब नीतियों को जारी रखेंगे पर यह सुनिश्चित करेंगे कि इसमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश न बचे। इसके अलावा हम दिल्ली वाली मोहल्ला क्लीनिक स्कीम, जिसमें इलाज के साथ फ्री दवाईयां भी बांटी जाती हैं। ऐसी कई और नीतियां भी पंजाब में लागू करेंगे। पंजाब के हर गांव में एक डिस्पेंसरी खोलेंगे, जहां फ्री दवाइयां और इलाज होगा।

अर्थशास्त्री इस फ्री कल्चर को बिल्कुल भी सही नहीं ठहराते, खासकर पंजाब के संदर्भ में, जो पूरी तरह से आर्थिक दिवालियापन के कगार पर है। ऐसे में लोक लुभावन नीतियों के मामले में वित्तीय एजेंडा क्या होगा? कैसे जुटाएंगे इन सबके लिए फंड?

-मेरा मानना है कि किसी भी सरकार में पैसे की कमी नहीं होती। कमी होती है तो सरकार में नीयत की कमी होती है। पंजाब में तो यह नीयत दूर-दूर तक नजर ही नहीं आती। निस्संदेह पंजाब की आर्थिक स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। कुछ ऐसे ही हालात दिल्ली के थे, पर हमने दिल्ली में यह सब कर दिखाया। वित्तीय संकट के चलते भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर हमने अन्य स्त्रोतों से पैसा जुटाया। इसी संकट के बीच हमने दिल्ली में फ्री दवाईयां बांटीं। पांच फ्लाई ओवर बनाए और प्रत्येक प्रोजेक्ट से वह पैसे बचाएं, जो पहले नेताओं और अफसरों की जेब में जाते थे। वही फ्लाई ओवर जो पहले सवा तीन सौ करोड़ में बनना था, हमने 200 करोड़ में बना डाला। तीन फ्लाई ओवर में साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये बचाए और उसी पैसे से मोहल्ला क्लीनिक को फंड मुहैया करवाया। आप पंजाब में भ्रष्टाचार खत्म कर दो तो पैसे की कोई कमी नहीं रहेगी।

पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस आपकी पार्टी पर खालिस्तानी फंडिंग का आरोप लगाते रहे हैं। इसके बारे में क्या कहना है?

-उनका तो धर्म है, आरोप लगाना। सबूत को कुछ है नहीं। आयकर विभाग और ईडी ने हमारे सभी फंड की जांच कर ली है। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा लिखकर दिया है कि आप को कहीं से भी विदेशी फंडिंग नहीं हुई है।

दिल्ली में आप हर नाकामी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं। आप की मानते हुए यदि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है तो दिल्ली में तो मोदी सरकार ही रहेगी। क्या पंजाब में भी हर नाकामी का ठीकरा मोदी सरकार पर फोड़ा जाएगा?

-मुख्यमंत्री बादल के प्रधानमंत्री मोदी से काफी अच्छे संबंध हैं लेकिन पिछले दो साल में मोदी की चमचागिरी करने के बाद भी पंजाब के लिए एक पैसा भी नहीं ला सके। हर पंजाब दौरे पर मोदी ने उनकी आशाओं पर पानी ही फेरा। हमें काम करना आता है और करवाना भी। हमने दिल्ली में केंद्र सरकार की अड़चनों के बावजूद वहां बहुत कुछ कर दिखाया। मोदी सरकार हो या फिर कांग्रेस की सरकार, हमें काम निकालने आते हैं। अगर केजरीवाल हाथ जोड़ने जानता है तो उन्हीं हाथों से छिनने का हुनर भी ईश्वर ने बख्शा है। जरूरत पड़ी तो पंजाब के हक भी हर हालत में छीन लिए जाएंगे।

आप हक की बात कर रहे हैं तो एसवाईएल पर पंजाब को उसका हक दिलाएंगे?

-इस बाबत मैं अपने किसान मैनिफेस्टो में पहले ही विस्तार से चर्चा कर चुका हूं। हम वही करेंगे, जो मैनिफेस्टो में हमने वादा किया है।

आपकी बहुत सी बातों में विरोधाभास झलकता है। पुलिस कंट्रोल की बात करें तो दिल्ली में आप कहते हैं कि वहां पुलिस प्रशासन आपके अधीन नहीं है, जबकि पंजाब में आप नेता पुलिस प्रशासन को सत्ताधारी बादल पर कंट्रोल करने का आरोप लगाकर उसे स्वतंत्र एजेंसी बनाने की मांग करते हैं।

-मैंने कभी भी यह नहीं कहा कि पंजाब में पुलिस को बादलों के कंट्रोल से बाहर कर दिया जाए। हमने हमेशा कहा कि बादलों को सुधरना चाहिए और पुलिस का कंट्रोल सिस्टम में बदलाव के लिए करना चाहिए, ना कि रेत, बिजली, केबल और ट्रांसपोर्ट पर कब्जे के लिए हो। पुलिस पूरी तरह राजनीतिकों के अधीन होनी चाहिए। हमने तो हमेशा यह कहा कि बादल सरकार गुंडों की सरकार है और पुलिस को गुंडों के आदेश न मान कर अपनी ड्यूटी निभानी चाहिए।

आम आदमी पार्टी खुद को धर्मनिरपेक्ष की सबसे बड़ी मिसाल बताती है। अगर ऐसा है तो केजरीवाल को पंजाब के चरमपंथियों या फिर एक समुदाय विशेष के शीर्ष नेताओं के घर-घर जाकर मिलने की क्या जरूरत पड़ी?

-यहां सिर्फ मैं यही स्पष्ट करूंगा कि कम्यूनल्जिम और सेक्लयूरिज्म में बहुत फर्क है। मैं दोनों की परिभाषाएं अच्छी तरह से जानता हूं। किसी व्यक्ति विशेष से मेल मिलाप करना या बातचीत करना धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं। मैं अब राजनीति में हूं। मुङो राजधर्म के अनुसार हर समुदाय और हर व्यक्ति से मिलना चाहिए। मैं मिल भी रहा हूं। जब मेरी पार्टी की सरकार बनेगी तो वह एक व्यक्ति या एक समुदाय की न होकर सबकी सरकार होगी, जिसमें संतों, डेरों, व्यापारियों और उद्यमियों का योगदान होगा।

आपने कहा सौ गलतियां भी हो जाती हैं तो क्या पंजाब के संदर्भ में भी कुछ ऐसी गलतियां हुईं, जिस कारण पार्टी का ग्राफ गिरा साफ शब्दों में कहूं तो पंजाब के चेहरों को पहले पीछे रखना और फिर पार्टी की साख दांव पर लगने पर बाहरी लोगों को पीछे कर जरनैल सिंह जैसे पंजाबी चेहरों को पंजाब में आगे लाया गया। क्या आप मानते हैं कि ऐसी गलतियां हुईं?

-मैं किसी व्यक्ति विशेष या एक खास मामले पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। पर हां, जैसा मैंने पहले कहा कि हमारी नीयत बिल्कुल साफ है। हम वह सब करते हैं जो आम आदमी पार्टी या यूं कहें कि मंच के दूसरी ओर बैठी जनता चाहती है। हम पंजाब तो क्या, कहीं भी वही सब करते रहे हैं और उसी रास्ते पर चलेंगे, जो रास्ता वहां की जनता दिखाएगी।

फरवरी 2017 के बाद अरविंद केजरीवाल अपने आप को कहां देखते हैं। दिल्ली का मुख्यमंत्री या पंजाब का?

-देखो जब भी हम अपने यहां पार्टी के अंदर चुनाव की चर्चा करते हैं तो कभी भी मुख्यमंत्री की चर्चा होती ही नहीं है। न दिल्ली चुनाव में हुई और न ही पंजाब में हो रही है, न ही किसी अन्य राज्य के चुनाव में होगी। आम आदमी पार्टी का कोई भी नेता, बेशक वह केजरीवाल हो या फिर कोई अन्य, कोई भी चुनाव मुख्यमंत्री या किसी और पद के लिए नहीं लड़ता। हम पदों की चर्चा छोड़ मुद्दों की चर्चा करते हैं। यही वजह है कि हमने हर वर्ग, यूथ, किसान, इंडस्ट्री आदि का अलग मैनिफस्टो तैयार किया। अगर अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस की तरह हम भी इन पदों को लेकर ही पार्टी में चर्चाएं करते तो शायद मुद्दों की राजनीति में चलते हुए यह मैनिफेस्टो तैयार ही नहीं करते।

पंजाब के चुनाव में चेहरों की भी अहम भूमिका रही है। एकतरफ प्रकाश सिंह बादल जैसा कद्दावर नेता है, दूसरी तरह अमरिंदर सिंह जैसा जाना पहचाना नाम है। ऐसे में आम आदमी पार्टी बिना मुख्यमंत्री चेहरे के कैसे लड़ाई लड़ेगी?

-हमारे पास चेहरों की कमी नहीं। हमारा हर नेता आम आदमी का चेहरा है। जब समय आएगा तो मुख्यमंत्री भी जिसे बनना होगा, बन जाएगा। पंजाब के लोगों के लिए कौन मुख्यमंत्री हो, यह कतई भी मुद्दा नहीं है। यह तो सिर्फ आप लोगों (मीडिया) या फिर विरोधी दलों में चर्चा का विषय है। जब भी हमें मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने की जरूरत होगी, आप सभी को आमंत्रण देकर उस चेहरे को आप के समक्ष उतारा जाएगा। लेकिन अभी हम मुद्दों की राजनीति करना चाहते हैं, चेहरों की नहीं, क्योंकि आम आदमी को सरकार की नीतियां प्रभावित करती है, चेहरे नहीं।

यहां मैं पंजाब की जनता से जरूर कहना चाहूंगा कि पंजाब में तराजू को पड़ा एक-एक वोट नशे के सौदागरों के हक में जाएगा। एक-एक वोट जो कमल को पड़ेगा, वह भी एक तरह से बादल-मजीठिया के हक में जाकर इन्हीं नशे के व्यापारियों के हाथ मजबूत करेगा। उसी तरह कैप्टन के हक पड़ने वाला प्रत्येक वोट अप्रत्यक्ष रूप से बादलों को उनकी बनती सजा रोकने में कामगार साबित होगा। दूसरी तरह एक-एक वोट जो झाड़ को पड़ेगा, वह ईमानदार सरकार बनने में मील पत्थर साबित होगा। इसलिए सोच समझ कर मताधिकार का उपयोग करें। यहां आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिए अंदर खाते यह सब चाहे अकाली हों, भाजपा हो या फिर कांग्रेस, आपस में हाथ मिला चुके हैं और एक तरह से कैप्टन अमरिंदर को मुख्यमंत्री पद का साझा उम्मीदवार मान चुके हैं।

अरविंद केजरीवाल की एक सबसे बड़ी उपलब्धि?

-सदियों से चली आ रही भारत की परंपरागत राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव। वह चाहे माने या न माने, पर हर कोई हामी भरता है कि आम आदमी पार्टी ने राजनीति में आते ही बाकी दलों के राजनेताओं की सोच और चुनाव लड़ने की शैली में बड़ा बदलाव लाया है।

जब आपने राजनीति में कदम रखा तो आप का कहना था कि सिर्फ दिल्ली। फिर लोकसभा और फिर पंजाब, गोवा, गुजरात। क्या इसे बाकी दलों की तरह सत्ता की भूख नहीं कहेंगे?

-अगर सत्ता की भूख होती तो हम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी लड़ रहे होते। नहीं ऐसा कुछ है। धीरे-धीरे अलग-अलग राज्यों में जनता स्वयं ही हमारे यूनिट तैयार कर रही है और फिर हमें वहां कदम रखने का न्यौता दे रही है। इतने सारे राज्यों में विस्तार के लिए आम आदमी पार्टी के पास न तो पैसा है और न ही कोई अन्य साधन। हमारे पास पंजाब का चुनाव लड़ने के लिए भी पैसा नहीं है। इस पैसे का इंतजाम करने के लिए हम जल्द पंजाब की जनता से भी अपील करने वाले हैं कि हमारे उम्मीदवारों को चुनाव में वित्तीय मदद करें। क्योंकि यह चुनाव पंजाब का भविष्य तो बदलेंगे ही, साथ-साथ पंजाबियों का भविष्य भी इसी चुनाव पर निर्भर करेगा। यह चुनाव असर में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने नहीं, बल्कि तमाम जनता को लड़ना है।

आपने कहा कि यह चुनाव पंजाब का भविष्य तय करेंगे। क्या ऐसा नहीं कि यही चुनाव देश में भी आम आदमी पार्टी का भी भविष्य तय करेंगे?

-पंजाब के भविष्य के आगे आम आदमी पार्टी का भविष्य कोई मायने नहीं रखता। आम आदमी पार्टी हारे या जीते, जीत पंजाब और ईमानदारी की होनी चाहिए।

क्या आम आदमी पार्टी पंजाब में सिर्फ एंटी इनकंबेंसी को कैश करना चाहती है या फिर कोई और लक्ष्य है?

आम आदमी पार्टी वास्तव में राजनीति करने नहीं, बल्कि बदलने आई है। किसी भी राज्य में हमारी पार्टी या किसी विशेष व्यक्ति से दुश्मनी नहीं है। आज जो भ्रष्टाचार और परिवारवाद की राजनीति हो रही है। धर्म और नफरत की राजनीति हो रही है। इसे बदल कर प्यार-मोहब्बत, ईमानदारी और जनता की राजनीति लाना चाहते हैं, जिसमें जनता का सिक्का चले।

पंजाब के संदर्भ आम आदमी पार्टी को 'पार्टी आफ क्लाउंसज' कहा जाता है। जहां पार्टी का एमपी और मोहरीदार कमेडियन भगवंत मान है और वहीं दूसरा कनवीनर गुरप्रीत घुग्गी है। क्या कहेंगे आप?

-यह तो बहुत अच्छी बात है कि हमारे दो ऐसे बड़े नेता हैं, जिनमें दूसरों को खुश करने की क्षमता और हंसाने की कला है। 'पार्टी आफ क्लाउंस' कहने वाले लोग शायद यह भूल गए हैं कि यह वही लोग हैं, जिन्होंने जनता की बेबसी पर अब तक हंसने वाले नेताओं को रोने के लिए मजबूर कर दिया है।

सोशल मीडिया पर अरविंद केजरीवाल मजाक का एक बड़ा विषय बन गया है। इस पर आपकी पत्नी की क्या प्रतिक्रिया रहती है?

-पहले तो शुरू में अटपटा लगा था, लेकिन अब तो सभी को आदत पड़ गई है। मुझ पर लिखे गए सारे जोक्स मेरी पत्नी और बच्चे साथ बैठकर पढ़ते हैं। साथ ही शेयर भी करते हैं। आज लोग हंसना भूल गए हैं। मेरा मानना है कि ऐसा मजाक राजनीति जैसे विषय में भी रंग भरता है और हर नेता को राजनीतिक व्यंग्य को केवल व्यंग्य के रूप में ही लेना चाहिए, न कि व्यक्तिगत द्वेष के रूप में।

आपकी पार्टी बादल परिवार पर पंजाब में व्यापारिक एकाधिकार का आरोप लगाती है। सत्ता में आने पर आप कानूनी दायरों के चलते इस एकाधिकार से पंजाब को कैसे मुक्ति दिलाएंगे?

-समय बहुत बलवान होता है और आज पंजाब में समय ने पासा पलट लिया है। आप पार्टी की सरकार बनते ही सत्ताधारी परिवार से त्रस्त पंजाब की जनता अपने आप ही इस व्यापारिक एकाधिकार को खत्म कर रेत, शराब, केबल और ट्रांसपोर्ट माफिया के चंगुल से मुक्त करवा लेगी। इन सब कारोबारी ठेकों को खत्म कर इसे बेरोजगार युवाओं, पूर्व सैनिकों में मापदंडों के अधीन वितरित करेंगे।

दिल्ली में चाहे योगेंद्र यादव या शाजिया इल्मी बड़े नेता, धीरे-धीरे आपका साथ छोड़ गए। ऐसा क्यों हुआ?

-कभी-कभी कुछ लोगों से मनमुटाव हो जाता है। कुछ मतभेद की वजह से अलग हो जाते हैं, पर यह मतभेद हमेशा के लिए मनभेद नहीं हो जाने चाहिए। मैं उम्मीद करता हूं कि जो लोग मनभेद की वजह से अलग हुए, वह कभी न कभी किसी चौराहे पर मिलेंगे और हमारे साथ मिलकर चलेंगे।

सिद्धू दंपति द्वारा खेली जा रही राजनीति पर आप क्या कहेंगे?

मेरा सिद्धू साहब से बहुत अच्छा .., मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं। मैंने ट्वीट कर भी बोला था कि उनसे बातचीत हुई है। अगर वह हमारे साथ आएंगे तब भी और नहीं भी आएंगे तब भी मैं उनकी इज्जत करता रहूंगा। उन पर मैं आगे कुछ नहीं बोलना चाहता हूं।

जैसी की चर्चा है, सिद्धू ने कुछ शर्ते रखीं थी, जिसमें सीएम पद की बात थी?अब उनकी कांग्रेस में जाने की चर्चा है। आप क्या कहेंगे?

-नहीं ऐसा नहीं है, उन्होंने कोई भी शर्त नहीं रखी थी। जहां तक उनके कांग्रेस में जाने का सवाल है, मैं तो यह कहूंगा कि वह पूरी तरह से स्वतंत्र है। यह उन्हें सोचना है। आम आदमी पार्टी को उनका कांग्रेस में जाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

आजकल यह प्रचार जोरो पर है कि वर्तमान में कांग्रेस का ग्राफ आप के बराबर आ रहा है, ऐसे में सत्ता विरोधी वोट का विभाजन होना तय है, जिससे गठबंधन सरकार को फायदा होगा। आप क्या सोचते हैं?

एक तरह से यह अफवाह जानबूझकर जोरशोर से फैलाई जा रही है, जो विरोधी दलों की रणनीति का अहम हिस्सा है। पिछले हफ्ते हमने एक सर्वे करवाया है और उसमें 96 सीट आईं हैं और यह सब उस दौर में जब छोटेपुर ने पार्टी छोड़ी और हम पर हर तरह के आरोप लगाए गए, पर हमारी सीटों में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। सर्वे टीम ने लोगों के सामने बड़े स्टीक प्रश्न रखे थे कि जैसे कि छोटेपुर तो पार्टी छोड़ चुके हैं, ऐसे में आप का क्या भविष्य होगा। परंतु लोगों ने साफ तौर से कहा कि कुछ भी हो, वह आम आदमी पार्टी को न कि व्यक्ति विशेष पार्टी को वोट देंगे। लोगों ने कहा कि पार्टी सौ गलतियां कर सकती है, लेकिन उनकी नीयत में कोई खोट नहीं है। इसलिए हम लोगों के सपनों को साकार करेंगे।



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