ड्रॉ निकलने के बाद भी मंजिल दूर, राजनीतिक दबाव ने बढ़ाई रिटेल कारोबारियों की मायूसी

25 जून को ड्रा निकाला दिया गया। लेकिन अब यह फडियां कहां पर लगाई जाएंगी इसे लेकर असमंजस बरकरार है और दुकानदार भी बेहद परेशान हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2020 08:55 AM (IST) Updated:Wed, 01 Jul 2020 08:55 AM (IST)
ड्रॉ निकलने के बाद भी मंजिल दूर, राजनीतिक दबाव ने बढ़ाई रिटेल कारोबारियों की मायूसी
ड्रॉ निकलने के बाद भी मंजिल दूर, राजनीतिक दबाव ने बढ़ाई रिटेल कारोबारियों की मायूसी

जालंधर, [शाम सहगल]। मकसूदां सब्जी मंडी में रिटेल कारोबार करने के लिए आखिरकार फड़यों का आवेदन करने वालों के ड्रॉ निकाल दिए गए। लेकिन, इसके बाद भी रिटेल का काम करने वालों के चेहरे पर उदासी बरकरार है। कारण, इस तरह का ड्रॉ पांच साल पहले भी निकाला गया था लेकिन, राजनीतिक दबाव के चलते मंडी में पहले से लगाई जा रही अवैध फडिय़ों को उठाया ही नहीं गया। इसके चलते उस समय निकाला गया वह ड्रॉ बेमानी हो गया था। ऐसी ही स्थिति इस बार भी बनी हुई है। जिला प्रशासन द्वारा मकसूदां सब्जी मंडी में रिटेल कारोबार करने की इजाजत देने के बाद मंडी बोर्ड ने यहां पर जायज रूप से फडिय़ां लगाने का प्रावधान तय किया था। इसके लिए आवेदन मांगे गए थे। जिसका 25 जून को ड्रा निकाला दिया गया। लेकिन, अब यह फडियां कहां पर लगाई जाएंगी, इसे लेकर असमंजस बरकरार है और दुकानदार भी बेहद परेशान हैं।

सरपंच के प्रयास पर पंचायत अडंगा

मामला प्रतापपुरा सब्जी मंडी से जुड़ा है। जहां पर सब्जी मंडी विकसित किए जाने के बाद अब कारोबारियों की मांग पर उन्हेंं दुकानें अलॉट की जानी हैं। प्रतापपुरा के सरपंच ने इस मांग को गंभीरता से लेते हुए गांव की जमीन पर दुकानें बनाकर अलॉट करने का फैसला लिया। इसके लिए आवेदन मांगे गए तथा दुकानें अलॉट करने की औपचारिकताओं को पूरा किया जाने लगा। इस बीच पंचायत के कुछ सदस्यों ने इसका विरोध कर दिया। विरोध का कारण केवल इतना था कि इस प्रोजेक्ट के बारे में उनसे ना तो सलाह की गई और ना ही उन्हेंं इसमें शामिल किया गया। फिर क्या था। पंचायत सदस्यों ने मंडी में बाकायदा होॄडग लगाकर इसे गैर कानूनी करार दे दिया। भले ही सरपंच इसे वैध करार दे रहे हैं, लेकिन दुकानों के लिए आवेदन कर चुके कारोबारी असमंजस में हैं कि इस बार उन्हेंं अब ये दुकानें मिलेंगी भी या नहीं।

बारिश ने खोल दी पोल

अभी मानसून ने शहर में दस्तक नहीं दी है। मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को हुई बारिश प्री-मानसून की पहली बौछार है। महज एक घंटे की बारिश ने ही प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोल कर रख दी। गली, मोहल्ला हो या फिर कॉलोनी, बाजार हो या फिर चौराहा, शहर का कोई भी इलाका जलभराव से अछूता नहीं रहा। यही नहीं, शहर के नेशनल हाईवे पर भी हुए जलभराव ने सीवरेज व्यवस्था की सच्चाई बयां कर दी। जालंधर में प्रवेश करना व शहर से अन्य जगहों पर जाने के लिए नेशनल हाईवे पर पानी भरने से लोगों को भारी परेशानी से जूझना पड़ा। एनएच के सॢवस लेन पर भी भारी जलभराव ने राहगीरों को दोहरी मार मारी। इस रोड पर पड़े गड्ढों में भरे पानी से गुजरते हुए कई वाहन पलटे, कई चोटिल हुए।  लोगों को चिंता इस बात की है कि मानसून में क्या हाल होगा।

हूटर ने निकाल दी हवा

जिला प्रशासन द्वारा शनिवार को शाम पांच बजे दुकानें बंद करने का आदेश दे रखा है। लेकिन अब भी कुछ दुकानदारों को प्रशासन के यह नियम समझ नहीं आ रहा। ऐसा ही वाक्या रैनक बाजार में एक अटैची की दुकान पर हुआ। जहां पर शाम पांच बजे के बाद भी ग्राहक खरीदारी कर रहे थे। ग्राहकों ने जल्दी सामान देने की मांग की तो माल बिकता देख दुकानदार ने छाती ठोक कर कह दिया कि आप निश्चिंत होकर माल खरीदें कोई भी उनकी दुकान बंद नहीं करा पाएगा। कारण, वह अच्छी पहुंच रखते हैं। सबके साथ सैटिंग है। ग्राहक भी इस दावे के बाद खरीदारी करने लगे। लेकिन, जैसे कि 5.10 के करीब पीसीआर की गाड़ी हूटर बजाते हुए बाजार में पहुंची तो अन्य दुकानों के साथ-साथ अटैची वाले भाई साहब को भी दुकान का शटर गिराना पड़ा। ऐसे में आधी-अधूरी खरीददारी होने पर ग्राहक भी उसे कोसते रहे।

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