केंद्र सराकर के कैंट एक्ट 2020 के विरोध में हैं कैंटोनमेंट बोर्ड के प्रतिनिधि

प्रस्तावित कैंट एक्ट 2020 को लाने के लिए केंद्र सरकार ने देश के 62 कंटोनमेंट बोर्ड के प्रतिनिधियों से फीडबैक मांगा था।

By Edited By: Publish:Thu, 18 Jun 2020 02:10 AM (IST) Updated:Thu, 18 Jun 2020 02:11 AM (IST)
केंद्र सराकर के कैंट एक्ट 2020 के विरोध में हैं कैंटोनमेंट बोर्ड के प्रतिनिधि
केंद्र सराकर के कैंट एक्ट 2020 के विरोध में हैं कैंटोनमेंट बोर्ड के प्रतिनिधि

जालंधर छावनी, जेएनएन। प्रस्तावित कैंट एक्ट 2020 को लाने के लिए केंद्र सरकार ने देश के 62 कंटोनमेंट बोर्ड के प्रतिनिधियों से फीडबैक मांगा था। इसका समय समाप्त हो गया है। देश भर से तमाम प्रतिनिधियों ने इस एक्ट में पाई गई त्रुटियों की आलोचना की है। अधिकतर प्रतिनिधियों ने तो एक एक्ट को कैंट एक्ट 2006 की कार्बन कॉपी बताया। उन्होंने कहा कि इस एक्ट में भी ब्यूरोक्रेट्स को हावी किया गया है, जो जनता के हित में नहीं है।

जिन लोगों ने प्रस्तावित एक्ट 2020 को पूर्ण रूप से पढ़कर निरीक्षण किया है, उनका कहना है कि 2006 और 2020 के एक्ट में मात्र दो फीसद का ही फर्क है। कैंट इंडिया एसीसीआइडब्ल्यूए संस्था इस एक्ट का कड़ा विरोध कर रही है। संस्था का कहना है कि ये एक्ट अंग्रेजों ने गुलाम भारतीयों पर लगाया था, जिसे 26 जनवरी 1950 में संविधान लागू करने पर खत्म कर देना चाहिए था, लेकिन 62 कैंटोनमेंट बोर्डों में ये एक्ट अभी तक लागू है।

स्व. सुषमा स्वराज के भाषण पर अमल करे सरकार

कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष राम अवतार अग्रवाल का कहना है कि यदि सरकार अपनी ही मंत्री रह चुकी स्व. सुषमा स्वराज के भाषण पर गौर करे तो शायद यह मामला हल हो सकता है। उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज ने यूपीए सरकार के समय कैंट एक्ट 2006 का कड़ा विरोध किया था और राज्यसभा में भी इसके खिलाफ भाषण दिया था। यदि आज मोदी सरकार सुषमा स्वराज की पुरानी स्पीच को सुनकर ही फैसला ले तो लोगों को सुकून मिलेगा। यही सुषमा स्वराज की दिवंगत आत्मा को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।

 
 

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

chat bot
आपका साथी