पुलवामा हमलाः शहीदों के परिजन सरकार के खफा, नहीं हुए अभी तक वादे पूरे
पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए हमले को एक माह होने को है लेकिन इस हमले में शहीद हुए पंजाब के चार सैनिकों के परिजनों को अभी वादे के अनुसार सहायता नहीं मिल पाई है।
जेएनएन, जालंधर। 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों के परिवारों से प्रदेश सरकार द्वारा किए गए वादे अभी तक पूरी तरह से वफा नहीं हो पाए हैं। पुलवामा हमले में रूपनगर के नूरपुरबेदी ब्लाक के गांव रौली के कुलविंदर सिंह, तरनतारन के गांव गंडीविंड धत्तल के सुखजिंदर सिंह, मोगा जिले के कस्बा कोट ईसे खां के जैमल सिंह तथा गुरदासपुर के कस्बा दीनानगर के आरिया नगर के मनिंदर सिंह शहीद हो गए थे।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शहीदों के परिजनों को 12-12 लाख रुपये की सहायता राशि व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी। पुलवामा आतंकी हमले को माह के करीब होने को हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक आधी-अधूरी सहायता राशि ही दी है। उधर, प्रशासन का कहना है कि शहीदों के परिवारों को जल्द बनती अनुग्रह राशि उपलब्ध करवा दी जाएगी।
शहीद कुलविंदर के पिता बोले-नहीं मिली सरकारी सहायता
पुलवामा आतंकी हमले के दौरान शहीद हुए रूपनगर जिले के गांव रौली के सीआरपीएफ जवान कुलविंदर सिंह के परिवार को अभी तक केंद्र व राज्य सरकार द्वारा कोई भी वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं हुई है। शहीद कुलविंदर सिंह के गांव रौली में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विशेष रूप से शहीद के पिता दर्शन सिंह से दुख साझा किया था।
मुख्यमंत्री ने शहीद के परिवार को बारह लाख रुपये के अलावा उसके माता व पिता को दस हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन देने की भी घोषणा की थी। दर्शन सिंह ने बताया कि अभी तक उनकी वित्तीय मदद नहीं की गई है। वह सरकार के रवैये से खुश नहीं हैं। हालांकि समाजसेवी संस्थाओं ने उन्हें सहायता राशि के चेक सौंपे हैं। उन्होंने शहीद के नाम पर गांव के स्कूल का नाम व यादगारी गेट लगाने की मांग की। डीसी डॉ. सुमित जारंगल ने कहा कि नियमानुसार शहीद के माता-पिता को राशि उपलब्ध करवाई जाएगी।
शहीद मनिंदर के पिता बोले, एक सरकार ने मदद दी दूसरी उदासीन
आर्यनगर दीनानगर, गुरदासपुर के शहीद मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्री व सीआरपीएफ में आसाम में तैनात भाई लखबीर ने बताया कि केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से दी जाने वाली सहायता राशि दे दी है। एनजीओज की तरफ से भी पूरा सहयोग दिया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई अनुदान राशि नहीं दी गई है और न ही वादे के मुताबिक नौकरी की पेशकश परिजनों को की गई है।
अकेले पिता का सहारा बने शहीद मनिंदर सिंह का भाई लखबीर सिंह अब पंजाब सरकार की नौकरी की राह देख रहा है। शहीद की माता का पहले ही देहांत हो चुका है। ऐसे में अब घर में वह और उनके पिता ही हैं। लखबीर ने कहा कि वह अब सीआरपीएफ की नौकरी को छोड़ कर अपने पिता की सेवा करना चाहते हैं।
पैसियां दी कोई भुख नहीं, सरकार कर रही वादे पूरे : सरबजीत कौर
तरनतारन के गांव गंडीविंड धत्तल में रहती शहीद सुखजिंदर सिंह पत्नी सरबजीत कौर ने कहा सानू पैसियां दी कोई भुख नहीं, रब दा दित्ता बहुत कुज है। हुण ता ऐही दुख सता रहा ऐ के मेरे सुखजिंदर सिंह ने हुण कदे नहीं मुडऩा... यह कहते ही सरबजीत कौर की आंखो से आंसू निकल पड़े। सुखजिंदर ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरी देने का भरोसा दिया गया है। इस भरोसे को अमली जामा पहनाने लिए डीसी प्रदीप सभ्रवाल शहीद के घर जाकर अपनी कार्रवाई पूरी कर रहे हैं।
सरबजीत कौर कहती है कि केंद्र व राज्य सरकार से कोई शिकवा नहीं है। शहीद के पिता गुरमेल सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी के साथ 12 लाख की माली मदद की घोषणा की थी। भोग के दिन मंत्री साधु सिंह धर्मस्रोत द्वारा ढाई लाख का चेक सरबजीत कौर के नाम पर दिया गया था। सवा-सवा लाख के दो चेक माता-पिता को दिए गए। सरकार की तरफ से कुल पांच लाख मिले हैं। एनजीओ की तरफ अभी तक 15 लाख रुपये खाते में आए हैं। सरकार अपनी जिम्मेदारी निभा रही है।
शहीद जैमल की पत्नी ने कहा, सरकार ने सिर्फ पांच लाख दिए
मोगा के कस्बा कोटईसेखां में रहती शहीद जैमल सिंह पत्नी सुखजीत कौर ने कहा कि सरकार ने उन्हें 12 लाख रुपये समेत सरकारी नौकरी देने की बात कही थी। अब तक उन्हें मात्र पांच लाख रुपये ही सरकार से मिले हैं। केंद्र ने मदद कर दी है। उन्होंने सरकारी क्वार्टर व बड़े होने पर बेटे को नौकरी देने की मांग की। वहीं मोगा के डीसी संदीप हंस ने कहा कि शहीद जैमल सिंह के केस की फाइल को बनाकर भेजा चुका है। आगामी दिनों में सरकार की मंजूरी मिलते ही बकाया पैसा शहीद के परिवार के खाते में आ जाएगा।