पंजाब में प्रणब दा की यादें, सटीक जानकारी और कम शब्दों में बात का निराला अंदाज था

पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पंजाब और जालंधर से जुड़ी यादें हैं और आज ये यादें लोगों की आंखें नम कर देती हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 01 Sep 2020 07:37 AM (IST) Updated:Tue, 01 Sep 2020 07:37 AM (IST)
पंजाब में प्रणब दा की यादें, सटीक जानकारी और कम शब्दों में बात का निराला अंदाज था
पंजाब में प्रणब दा की यादें, सटीक जानकारी और कम शब्दों में बात का निराला अंदाज था

जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। पांच फीट चार इंच लंबे कद वाले पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी जब भी कुछ बोलते थे, तो सटीक जानकारी व कम शब्दों में पूरी बात रख देते थे। लंबे-लंबे कदमों से तेज गति में ज्यादा दूरी तय करना उनकी आदत में शुमार था। आत्मसंतोष से भरे चेहरे में हमेशा कुछ नया सीखने और सिखाने की ललक दिखाई देती थी। बतौर राष्ट्रपति दो बार जालंधर व कपूरथला के बीच पडऩे वाली लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के दीक्षा समारोह में उन्होंने शिरकत की थी।

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के कैंपस व जालंधर के दौरे पर दो बार आए थे मुखर्जी

साल 2013 की बात है, जब देश के राष्ट्रपति रहते हुए प्रणब मुखर्जी लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। इसी समारोह में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई भी बतौर विशेष अतिथि व पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल उपस्थित थे। समारोह की कवरेज में मैं भी बतौर पत्रकार शामिल था। राष्ट्रपति के सुरक्षा घेरे के 100 फीट बाद मीडिया गैलरी से मेरी नजरें उनकी हर मूवमेंट पर थी। कार से उतरकर मंच तक पहुंचने के लिए बेकरार उनके कदम तेजी से चल रहे थे। उनके साथ चल रहे बाकी के गणमान्यों को फासला कम करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही थी।

अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति हामिद करजई को दी थी डॉक्टरेट की मानद उपाधि

डॉक्टरेट (पीएचडी) के गाउन में प्रणब दा ने जिस समय अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति हामिद करजई को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की तो 10 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों से भरा पंडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा था। इसी मंच पर प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब की सबसे बड़ी समस्या नशे को लेकर अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति पर अपने चुटीले अंदाज में कमेंट किया 'तुहाडी हेरोइन साड्डे मुंडेयां नूं, ते ओहना दी जवानी नूं बर्बाद कर रई आ।' (आपकी हेरोइन हमारे युवाओं और उनकी जवानी को बर्बाद कर रही है।)

एलपीयू ने 2017 में प्रणब दा को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा था

इस पर हामिद करजई ने भी उसी अंदाज में बादल से कहा था कि आप अपनी सीमाओं से हेरोइन आने ही क्यों देते हो? इसके बाद प्रणब दा ने युवाओं से अपील की थी कि उनकी जिंदगी देश के लिए अहम है। किसी के लिए बर्बाद नहीं करनी है, बल्कि लक्ष्य निर्धारित करके उसे हासिल करें। ज्ञान के भंडार से भरे प्रणब दा से डिग्री लेने वाले युवाओं ने भी उस समय कहा था कि शांत स्वभाव के राष्ट्रपति के हाथों से डिग्री लेने से ज्यादा उनके द्वारा बढ़ाया गया उत्साह ङ्क्षजदगी में हमेशा उन्हें ऊर्जावान बनाता रहेगा।

युवा की तरह ही पेश आते थे

एलपीयू के चांसलर अशोक मित्तल याद करते हुए कहते हैं कि 2013 व 2017 में दो बार जब प्रणब दा यूनिवर्सिटी आए तो दोनों बार काफी समय उन्होंने उनके साथ गुजारा। इस दौरान उनके ऊपर कभी उम्र हावी नहीं दिखी, बल्कि वह किसी युवा की तरह ही पेश आते थे। यूनिवर्सिटी ने 2017 में उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी थी।

खाने के मामले में भी प्रणब दा काफी चूजी थे। कुछ भी नया दिखाई देता था तो उसके बारे में जानकारी जरूर हासिल करते थे कि उसमें खास क्या है? मित्तल ने कहा कि सर्वोच्च पद पर आसीन होने के बाद भी एकदम सामान्य रहने वाले नेता व उनके योगदान को देश कभी भूल नहीं पाएगा।

आठ साल पहले ही फूड प्रोसेसिंग में पीपीपी की वकालत कर गए थे प्रणब

लुधियाना: प्रणब मुखर्जी वर्ष 2012 में पहली बार लुधियाना आए तो पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) के गोल्डन जुबली कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां उन्होंने फूड प्रोसेसिंग में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि दुनिया में चीन के बाद सबसे ज्यादा फलों व सब्जियों का उत्पादन करने के बावजूद हम फूड प्रोसेसिंग में काफी पीछे हैं। हमें पीपीपी मोड अपनाना होगा।

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