बर्खास्त मुलाजिम का पिम्स के खिलाफ मोर्चा, एमसीआइ को दी शिकायत

जासं जालंधर पिम्स से बर्खास्त हुए मुलाजिमों ने सरकारी कर्मचारियों के बराबर वेतन न देने का मामला फिर उठा दिया है। पिम्स के खिलाफ एमसीआइ को शिकायत दर्ज करवाई है। इससे पहले मामला हाईकोर्ट में भी चल रहा है। मुलाजिमों की ओर से पिम्स के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद प्रबंधन में अफरा तफरी का माहौल है। पिम्स में पीजी पीडियाट्रिक्स शुरू करने के लिए एमसीआइ की ओर से अगले कुछ दिनों में इंस्पेक्शन होने वाली है। एमसीआई की इंस्पेक्शन से कुछ दिन पहले बर्खास्त मुलाजिमों की ओर से पिम्स के खिलाफ मोर्चा खोलने पर पिम्स प्रबंधन में हड़कंप मच गया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 May 2019 10:24 PM (IST) Updated:Tue, 21 May 2019 10:24 PM (IST)
बर्खास्त मुलाजिम का पिम्स के खिलाफ मोर्चा, एमसीआइ को दी शिकायत
बर्खास्त मुलाजिम का पिम्स के खिलाफ मोर्चा, एमसीआइ को दी शिकायत

जागरण संवाददाता, जालंधर

पिम्स में विवादों के बादल छंट नहीं रहे हैं। पिम्स से बर्खास्त हुए मुलाजिमों ने सरकारी मुलाजिमों के बराबर वेतनमान देने का मामला दोबारा उठाया है। उन्होंने पिम्स के खिलाफ मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) को शिकायत दर्ज करवाई है। इससे पहले मामला हाईकोर्ट में भी चल रहा है।

गौर हो कि पिम्स में पीजी पीडियाट्रिक्स शुरू करने के लिए एमसीआइ की ओर से अगले कुछ दिनों में इंस्पेक्शन होने वाली है। मगर, इससे पहले ही कुछ दिन पहले बर्खास्त मुलाजिमों की ओर से पिम्स के खिलाफ मोर्चा खोलने पर पिम्स प्रबंधन में हड़कंप मच गया है।

उधर, पिम्स इंप्लाइड यूनियन के महासचिव एवं पिम्स से बर्खास्त मुलाजिम धर्मेद्र कुमार ने बताया कि उन्होंने पिम्स प्रबंधन के खिलाफ नीतियों से खिलवाड़ करने व मुलाजिमों को पूरा वेतन न देने के आरोपों को लेकर एमसीआइ को शिकायत भेजी है। पिम्स को एमसीआइ की तरफ से जून 2011 को नया मेडिकल कॉलेज खोलने की अनुमति दी गई थी। जिसके बाद एमबीबीएस में दाखिले की अनुमति प्रदान की गई थी। राज्य सरकार ने जून, 2010 को पिम्स को असेंशियल सर्टिफिकेट दिया गया था। जो स्टाफ को निर्धारित मापदंडों पर सेलरी देने के लिए समय-समय पर रिन्यू किया जाता रहा है। जून 2016 को एक अन्य कोर्स के लिए भी असेंशियल सर्टिफिकेट दिया गया था। इसमें स्टाफ को राज्य सरकार के वेतनमान के अनुसार वेतनमान देने की बात कही थी। उन्होंने पिम्स प्रबंधन पर नीतियों का पालन न करने के आरोप लगाए है। साथ ही एमसीआइ को पिम्स के स्टाफ के वेतन को लेकर ऑडिट करवा कार्रवाई करने मांग की है।

वहीं दूसरी ओर पिम्स के रेजीडेंट डायरेक्टर अमित सिंह ने शिकायत में लगे आरोपों को नकारा है। उन्होंने कहा कि मुझे अभी तक शिकायत की कापी नहीं मिली है। पिम्स ऑटोनोमस बॉडी है और प्रबंधन की ओर से लेबर लॉ और सरकार की हिदायतों के अनुसार न्यूनतम मेहनताने की नीतियों के आधार पर मुलाजिमों को वेतन दे रहे हैं। पिम्स की ओर से विभाग की नीतियों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है।

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डीआरएमई ने भी हाईकोर्ट में किया जवाब फाइल

पिम्स में असेंशियल सर्टिफिकेट के अनुसार वेतनमान को लेकर हाईकोर्ट में भी मामला चल रहा है। इस दौरान हाईकोर्ट के आदेश पर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के डायरेक्टर डॉ. अवनीश कुमार ने जबाव फाइल कर दिया है। पिम्स इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रधान नरिदर सिंह व महासचिव धर्मेद्र कुमार ने बताया कि डॉ. अवनीश ने असेंसियल सर्टिफिकेट मामले में पूरे विवरण के साथ जवाब फाइल किया है। पिम्स पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर पिम्स मेडिकल एंड एजुकेशन चेरीटेबल सोसायटी के तहत बनाया गया है। यह ऑटोनोमस बॉडी है और इसे रूटीन कामकाज चलाने की पूरी शक्तियां प्राप्त हैं। सोसायटी स्टाफ के लिए बनाए गए रूल्स का पालन करने के लिए बाध्य है। हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 10 जुलाई को है।

गौर हो कि पिम्स इंप्लाइज यूनियन की ओर से डॉ. साहिल, राजेश कुमार, राजिदर कुमार, रवि कुमार, नरिदर सिंह और जानसन ने विभाग के प्रमुख सचिव, डीआरएमई, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस और पिम्स के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसमें असेंशियल सर्टिफिकेट की शर्तो का पालन न करने और उनका साफ तौर पर उल्लंघन करने को लेकर बात रखी गई थी। इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री को भी शिकायत भेजी जा चुकी है।

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