फ्लू कॉर्नर में शारीरिक दूरी के नियमों की उड़ रही धज्जियां, मूक दर्शक बन बैठा ड्यूटी पर तैनात स्टाफ

चार मुलाजिम फ्लू कॉर्नर पर व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात हैं परंतु वे भी कोरोना के डर से लोगों से करीब 150 गज की शारीरिक दूरी बनाकर बैठे रह कर अपनी ड्यूटी निभाकर चले जाते हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Sun, 26 Jul 2020 09:33 AM (IST) Updated:Sun, 26 Jul 2020 09:33 AM (IST)
फ्लू कॉर्नर में शारीरिक दूरी के नियमों की उड़ रही धज्जियां, मूक दर्शक बन बैठा ड्यूटी पर तैनात स्टाफ
फ्लू कॉर्नर में शारीरिक दूरी के नियमों की उड़ रही धज्जियां, मूक दर्शक बन बैठा ड्यूटी पर तैनात स्टाफ

जालंधर, जगदीश कुमार। राज्य में पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन के सबसे बड़े सिविल अस्पताल में कोरोना के सैंपल लेने वाले फ्लू कॉर्नर का पूरी तरह से फ्यूज उड़ चुका है। यहां आने वाले मरीजों की मनमर्जी के आगे अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से घुटने टेक चुका है। वहीं, फ्लू कॉर्नर में ड्यूटी देने वाला स्टाफ भी मरीजों से चार कदम आगे है। लोग कोरोना की जांच के लिए वहां सुबह ही पहुंच जाते है और भीड़ जमा हो जाती है।

शारीरिक दूरी की नीतियों की जमकर धज्जियां उड़ती रहती है और ड्यूटी पर तैनात स्टाफ मूक दर्शक बना रहता है। स्टाफ को पूछने पर जवाब मिलता है कि यह पुलिस का काम है। पुलिस के चार मुलाजिम फ्लू कॉर्नर पर व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात हैं परंतु वे भी कोरोना के डर से लोगों से करीब 150 गज की शारीरिक दूरी बनाकर बैठे रह कर अपनी ड्यूटी निभाकर चले जाते हैं।

अपने-अपने योद्धा कर लिए सम्मानित
कोरोना काल में सेहत विभाग ने बीमारी पर जीत हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया। कोरोना वार्डों में ड्यूटी करने के लिए रूरल मेडिकल अफसर, फार्मासिस्ट तथा दिहाड़ी पर भी मुलाजिम तैनात किए गए। पिछले दिनों मुलाजिमों को प्रमाणपत्र देने की होड़ शुरू हुई। प्रमाणपत्र देकर मुलाजिमों की पीठ थपथपाई गई। सम्मान पाने वालों में वो भी शामिल थे जिन्होंने कोरोना काल में अपनी सीट का भी काम पूरा नहीं किया।

सिविल अस्पताल ने अपने स्टाफ तथा सिविल सर्जन ने अपने डॉक्टरों व स्टाफ की पीठ थपथपाई। सिविल अस्पताल में करीब चालीस रूरल मेडिकल अफसर कोरोना को हराने में दिन रात जुटे हैं। इनकी मेहनत पर न तो सिविल सर्जन की नजर पड़ी और न ही मेडिकल सुपरिंटेंडेंट की। सम्मान समारोह खत्म हो गए तो रूरल मेडिकल अफसरों के दिल में भी सम्मानित होने की लालसा उठी तो मेडिकल सुपरिंटेंडेंट ने विचार करने की बात कहकर टाल दिया।

कम पड़ गईं आयुर्वेदिक दवाइयां
शुरू-शुरू में जिले में कोरोना के मरीजों की रफ्तार काफी कम थी। तब आयुर्वेद विभाग ने भी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए देसी दवाइयां उतारीं। विभाग की ओर से मरीजों तक दवाइयां पहुंचाने के लिए टीमें भी गठित कर दी गईं। आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने वार्डों में जाकर दवाइयों की जानकारी दी। यही नहीं टीमों ने कैंप लगा कर कोरोना के योद्धाओं को देसी दवाइयां बांटीं और इनके फायदे भी बताए।

पहले चरण में जो दवाइयां मंगवाई थीं उसका स्टॉक खत्म हुआ तो इसे दोबारा मंगवाया ही नहीं गया। अब जब कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होने लगा है और इन दवाइयों की मांग भी बढ़ने लगी तो दवाइयां नहीं मिल पा रहीं। जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अफसर डॉ. जोगिंदर अरोड़ा की मरीजों तक दवाइयां पहुंचाने में काफी रूचि है, परंतु स्टॉक खत्म होने के कारण वे दोबारा डिमांड भेजने के बाद स्टाक का इंतजार कर रहे हैं।

सपने भी सैंपलों के आने लगे

राज्य सरकार ने कोरोना को जड़ से खत्म करने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों के सैंपल लेकर जांच करवाने का फरमान जारी किया। फरमान के मुताबिक सैंपल लेने वाले व पैक कर भेजने वाले स्टाफ की संख्या ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। सिविल अस्पताल की लैबोरेटरी पर एक नजर डाली जाए तो यहां दोपहर के बाद देर रात तक किसी मंडी से कम नजारा नहीं होता है।

जिले के करीब 15 सेंटरों से एक हजार के करीब सैंपल पहुंचते हैं। विभाग की ओर से दिहाड़ी पर रखा स्टाफ, डॉक्टर व कंप्यूटर आपरेटर देर रात तक इन सैंपलों को पैक कर गाड़ी में फरीदकोट भेज कर घर वापस जाते हैं। डॉ. सतिंदर, हरकंवल व स्टाफ के अन्य सदस्य कहते हैं कि दो घूंट चाय के पीने का भी समय नहीं लगता और रात को सपने भी सैंपल लेने व पैक करने के आने लगे हैं।

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