जालंधर की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी पलक कोहली का टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम में हुआ चयन

पलक पंजाब से इकलौती खिलाड़ी है जिसका चयन किया गया है। पलक एक बिजनेसमैन परिवार से संबंध रखती है। पलक ने अभी तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते है। विश्व रैंकिंग में पांचवां स्थान पर है।

By Rohit KumarEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 07:41 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 07:41 PM (IST)
जालंधर की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी पलक कोहली का टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम में हुआ चयन
युगांडा में हुई पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में डबल प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक व एकल प्रतिस्पर्धा में रजत पदक जीता है।

जालंधर, जेएनएन। चार खेलों के आठ पैरा एथलीटों को टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) में शामिल किया गया है। स्कीम में जालंधर की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी पलक कोहली (17) भी शामिल हैं। पलक पंजाब से इकलौती खिलाड़ी है, जिसका चयन किया गया है। पलक एक बिजनेसमैन परिवार से संबंध रखती है। बेटी के चयन पर कोहली परिवार बहुत खुश है। पिता महेश कोहली व सिम्मी कोहली ने कहा कि बेटी पलक एक दिन भारत के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक जरूर लाएगी। उन्होंने कहा कि पलक ने छोटी उम्र में ही खेल में रुचि लेनी शुरू कर दी थी। दादा प्रेम चंद कोहली ने उसे प्रोत्साहित किया। पलक लखनऊ में गौरव खन्ना से ट्रेनिंग ले रही हैं। वह दो वर्ष से परिवार से दूर लखनऊ में रह रही हैं।

पलक की उपलब्धि

पलक ने अभी तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते है। विश्व रैंकिंग में पांचवां स्थान पर है। थाईलैंड में पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। युगांडा में हुई पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में डबल प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक व एकल प्रतिस्पर्धा में रजत पदक जीता है। 2019 में उसने नेशनल प्रतियोगिता में 3 मेडल और एक कांस्य पदक जीता। जापान में हुई प्रतियोगिता में वूमेन डबल्स में कांस्य पदक जीता। पेरू में सिल्वर मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया। पलक ने कहा कि ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना गर्व की बात है। पलक ने बताया कि वह रोजाना आठ घंटे अभ्यास कर रही है। उसने कहा कि देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास रहेगा।

पलक ने लाकडाउन में भी जारी रखी ट्रेनिंग

द्रोणाचार्य अवार्डी कोच गौरव खन्ना ने लाकडाऊन में भी पलक की ट्रेनिंग जारी रखी है। गौरव खन्ना के मार्गदर्शन में भारतीय खिलाड़ियों ने वर्ष 2014 से अब तक रिकार्ड 300 से ज्यादा पदक जीते हैं। इनमें 9० से ज्यादा स्वर्ण पदक शामिल हैं। खास बात यह है कि उनके शिष्य रहे राजकुमार वर्ष 2017 और मनोज सोनकर 2018 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किए जा चुके हैं। गौरव खन्ना ने रेलवे में बतौर उप निरीक्षक 1988 में अपने करियर की शुरुआत की थी।

दुर्भाग्यवश 2000 में हुए एक सड़क हादसे में आंशिक रूप से दिव्यांग हो गए। गौरव खन्ना ने हार नहीं मानी और जज्बे से खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने का फैसला किया। 2014 में गौरव खन्ना को भारतीय पैरा बैडमिंटन का मुख्य कोच बना दिया गया। गौरव ने लाकडाऊन में भी पलक को ट्रेनिंग से वंचित नहीं होने दिया। पलक ने फ्लैट किराए पर लिया और खन्ना ने उन्हें पार्क में अस्थायी कोर्ट बनाने में मदद की है। रात को ट्रेनिंग के लिए लाइट की सुविधा भी मुहैया करवाई है।

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