'म्यूजियम' में दिखी नारी की दशा

म्यूजियम देखा है कभी आपने.. नारी का म्यूजियम। सभी ने देखा होगा.. हर जगह, हर पल, हर कंडीशन में एक नारी को वस्तु की तरह दर्शाया जाता है। शादी से पहले पिता और भाई की जायदाद होती है एक लड़की, शादी के बाद पति की।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Oct 2018 09:00 AM (IST) Updated:Mon, 22 Oct 2018 09:00 AM (IST)
'म्यूजियम' में दिखी नारी की दशा
'म्यूजियम' में दिखी नारी की दशा

जागरण संवाददाता, जालंधर : म्यूजियम देखा है कभी आपने.. नारी का म्यूजियम। सभी ने देखा होगा.. हर जगह, हर पल, हर कंडीशन में एक नारी को वस्तु की तरह दर्शाया जाता है। शादी से पहले पिता और भाई की जायदाद होती है एक लड़की, शादी के बाद पति की। ये आज के समय की कहानी नहीं ये सदियों पुराना एक अभिशाप है। द्रोपदी से लेकर आज की मॉर्डन लड़की पुरुषों के समाज में सिर्फ एक म्यूजियम की तरह हैं। इसका असली चेहरा दिखाने के लिए युवा थियेटर द्वारा आयोजित युवा रंग उत्सव में नाटक 'म्यूजियम' का मंचन किया गया।

'म्यूजियम' नाटक दिल्ली के दर्दनाक निर्भया रेप केस के बाद बॉलीवुड के कलाकार रसिका और सुमेध द्वारा लिखा गया है। युवा थिएटर द्वारा इस नाटक के 6 शो अमेरिका में भी पेश किए जा चुके हैं। एक नारी जब पुरुष की जायदाद बन जाती है तब उसके साथ पक्षपात, दुष्कर्म, अत्याचार और दु‌र्व्यवहार जैसी हरकतें होती हैं। पुरुष प्रधान समाज में हमेशा से ही नारी समझौता करती है। एक सुशील गृहिणी, पूजनीय मां, आदर्श बहन के रूप में पुरुषों का समाज नारी को देखना चाहता है। इस नाटक में एसिड अटैक पीड़िता, दंगों की शिकार, ठुकराए गए प्रेमी के क्रोध की शिकार, विवाह और बाल योन शोषित और ऐसी कई कथाओं का कोलाज बेहद खूबसूरती के साथ बॉलीवुड गानों और प्रोजेक्टर पर चलते वीडियो के समावेश से दर्शकों को दिखाया गया। नाटक की एक कथा इंग्लैंड से ली है जो यह दर्शाती है कि ऐसा केवल एक देश में नही अपितु पूरी दुनिया में हो रहा है। म्यूजियम में शाइना बत्ता, मंदीप कौर, मोहिनी भारद्वाज, डॉ अंकुर शर्मा, विशेष अरोड़ा, मनप्रीत, जीवन डोगरा, विक्रम ठाकुर, चाहत बावा, गगनदीप व अन्य ने भूमिका निभाई। म्यूजियम का निर्देशन डॉ अंकुर शर्मा द्वारा किया गया है। महिलाओं पर आधारित नाटक को दर्शकों ने सराहा

थियेटर के जुनूनी यूथ को प्लेटफॉर्म मिल रहा है। म्यूजियम नाटक मैं खासतौर से देखने आई हूं। वूमेन ओरिएंटेड ये नाटक अच्छा मैसेज समाज को दे रहा है। युवा थियेटर के कई नाटक इससे पहले भी देख चुकी हूं।

डॉ. अजय सरीन, ¨प्रसिपल, एचएमवी कॉलेज, जालंधर नई जेनरेशन को थियेटर रियल लाइफ से जोड़ता है और लोगों में एक अच्छा संदेश पहुंचाता है। मैं अपने पति के साथ स्पेशल इस नाटक के लिए आई हूं। इस नाटक में महिला के हर रूप को बेहद संजीदगी से दर्शाया गया है।

ममता अरोड़ा, टीचर सेंट जोसेफ स्कूल, राजेश अरोड़ा, एमडी, फार्मा कंपनी, जालंधर ये नाटक वूमेन ओरिएंटेड और सेंसेटिव है। महिला के साथ होने वाले हर अत्याचार और बिहेवियर को इसमें प्रेजेंट किया गया है। ये नाटक मुझे काफी भावुक भी कर गया।

निधि शर्मा, टीचर, ट्रिनिटी कॉलेज, जालंधर कॉलेज डेज में मैंने थियेटर देखा है लेकिन अब इसका लेवल काफी बढ़ गया है। लाइट्स, कॉस्ट्यूम, प्रेजेंटेशन काफी बेटर हो गई है। म्यूजियम नाटक काफी सेंसेटिव था। नाटक देखकर लगा कि वूमेंस अब काफी स्ट्रांग हैं।

शगुन बहल, इंडट्रियलिस्ट

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