वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी पर सुझाव का दौर खत्म, फीस और शर्तें कम करने पर शुरू होगी राजनीति

वन टाइम सेटलमेंट स्कीम रिव्यू करने के तहत सुझाव देने का समय खत्म हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Jul 2019 10:03 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jul 2019 10:03 PM (IST)
वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी पर सुझाव का दौर खत्म, फीस और शर्तें कम करने पर शुरू होगी राजनीति
वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी पर सुझाव का दौर खत्म, फीस और शर्तें कम करने पर शुरू होगी राजनीति

जागरण संवाददाता, जालंधर

वन टाइम सेटलमेंट स्कीम रिव्यू करने के तहत सुझाव देने का समय खत्म हो गया है। पॉलिसी में बदलाव के लिए अब राजनीति को दौरा शुरू होगा। मंत्री, मेयर और विधायक पॉलिसी में व्यापक बदलाव चाहते हैं। अगला एक महीना अर्बन डेवलपमेंट और लोकल बॉडी डिपार्टमेंट के लिए अहम होगा। इसे लेकर राजनीति का दौरा भी चलेगा, हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू के मंत्रिमंडल से बाहर होने के बाद अब पॉलिसी में बदलाव आसान रहने की उम्मीद है। शहरों में कांग्रेस की हार के कारण मुख्यमंत्री अब खुद इस मसले को हैंडल कर रहे हैं। निगमों से सुझाव मांगे गए थे जिसके तहत मेयर जगदीश राजा पॉलिसी में बदलाव के लिए एक रिपोर्ट दे चुके हैं। मेयर पार्षदों के सुझाव पर आधारित दूसरी रिपोर्ट तीन दिनों में सीएम को देंगे। मेयर जगदीश राजा ने कहा कि काफी पार्षद अपने सुझाव दे चुके हैं और जिन्होंने रिपोर्ट नहीं दी है उनसे तीन दिनों में सुझाव मंगवा कर सीएम को रिपोर्ट देंगे। जो सुझाव दिए गए हैं उसके मुताबिक कामर्शियल इमारतें रेगुलर करने के लिए अधिकतम फीस 300 रुपए वर्ग फुट फीस ली जाए। पार्किंग की शर्त पूरी करना भी संभव नहीं है। पॉलिसी में तय हो की इमारत जहां है जैसे है के आधार पर रेगुलर होगी और किसी भी इमारत को तोड़ा नहीं जाएगा। पुराने बाजारों, इलाकों में भी मंजूरी मिलनी चाहिए। गौर हो कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने अर्बन रिन्यूवल एंड रिफार्मस कंसलटेटिव ग्रुप की पहली मीटिग में बिना मंजूरी बनी इमारतों को रेगुलर करने के लिए जारी की गई वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी रिव्यू करने के आदेश दिए थे। 5 मार्च 2019 को जारी हुई पॉलिसी को कड़ी शर्ताें और ज्यादा फीस के कारण रिस्पांस नहीं मिला था। पॉलिसी फेल होने पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि ऐसी पॉलिसी लाएं जिससे लोगों को फायदा मिले। इस मीटिग में विधायक सुशील रिकू और मेयर ने कहा था कि वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी के तहत इमारत रेगुलर करवाने के लिए रखी गई फीस काफी ज्यादा है और पार्किंग समेत कई शर्तों को पूरा करना भी मुश्किल हो रहा है। अगर सुझाव के मुताबिक पॉलिसी में बदलाव होता है तो जालंधर में 10 हजार रिहायशी और कामर्शियल इमारतें रेगुलर हो सकती हैं। इससे निगम को 200 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिल सकता है।

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