Bhagat Singh Birth Anniversary : हुसैनीवाला में पाकिस्तान में घुसकर तिरंगा फहराते हैं जवान, साल में दो बार ही चलती है ट्रेन

Shaheed Bhagat Singh फिरोजपुर स्थित हुसैनीवाला में बलिदानी भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव का समाधि स्थल है। यह गांव 1960 से पहले पाकिस्तान में था। यहीं पर उत्तर रेलवे की रेल लाइन भी समाप्त होती है। जानें इसके बारे में कई और रोचक बातें।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Wed, 28 Sep 2022 11:31 AM (IST) Updated:Wed, 28 Sep 2022 11:31 AM (IST)
Bhagat Singh Birth Anniversary : हुसैनीवाला में पाकिस्तान में घुसकर तिरंगा फहराते हैं जवान, साल में दो बार ही चलती है ट्रेन
फिरोजपुर के हुसैनीवाला स्थित बलिदानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की स्मारक। फाइल फोटो

आनलाइन डेस्क, जालंधर। फिरोजपुर स्थित हुसैनीवाला में ही बलिदानी भगत सिंह का अंतिम संस्कार किया गया था। जिला मुख्यालय से करीब 11 किमी दूर यह गांव सतलुत किनारे स्थित है। दूसरी तरफ पाकिस्तान है। पहले यह गांव पाकिस्तान में ही था। यह भारत में कैसे आया, इसकी कहानी हम आपको आगे बताएंगे। साथ ही बताएंगे हुसैनी वाला से जुड़ी कुछ और रोचक बातें। 

हुसैनीवाला बार्डर पर अटारी-वाघा बार्डर की तर्ज पर रिट्रीट सेरेमनी का भी आयोजन किया जाता है। जम्मू-कश्मीर में संविधान का अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी होने के बाद भी यहां पर रिट्रीट सेरेमनी का सिलसिला बंद नहीं हुआ है। विशेष बात यह है कि यहां पर भारतीय जवान जीरो लाइन पार करके तिरंगा फहराते और उतारते हैं। पाकिस्तानी जवान भी ऐसा ही करते हैं। ऐसा यहां पारंपरिक रूप से किया जाता रहा है। जवान करीब 5 मिनट तक एक-दूसरे की सीमा के अंदर रहते हैं।

हुसैनीवाला संग्राहलय में रखी है भगत सिंह की पिस्तौल

हुसैनीवाला स्थित बीएसएफ के संग्राहलय में रखी बलिदानी भगत सिंह की पिस्तौल।

हुसैनीवाला में सीमा सुरक्षा बल के संग्रहालय में बलिदानी भगत सिंह की वह पिस्तौल रखी है, जिससे उन्होंने अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की हत्या की थी। भगत सिंह और उनके साथी क्रांतिकारी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की लाठीचार्ज के कारण हुई मौत का बदला लेना चाहते थे। उन्होंने लाठीचार्ज करने वाले पुलिस अधिकारी जेम्स स्काट की हत्या की योजना बनाई। हालांकि उन्होंने गलती से स्काट के सहायक सांडर्स की हत्या कर दी।   

साल में दो बार चलती है हुसैनीवाला के लिए ट्रेन

कभी हुसैनीवाला से होकर ट्रेन फिरोजपुर से लाहौर की तरफ जाती थी। हालांकि बंटवारे के बाद यह क्रम टूट गया। वर्तमान में केवल बलिदानी भगत सिंह के बलिदान दिवस 23 मार्च और 13 अप्रैल को दो बार ट्रेन फिरोजपुर से हुसैनीवाला के लिए चलती है। इसी दिन यहां पर मेला लगता है। वर्तमान में हुसैनीवाला में आकर ही उत्तर रेलव की रेल लाइन समाप्त हो जाती है। यहां ट्रैक को ब्लाक करके बोर्ड पर लिखा है, द एंड आफ नार्दर्न रेलवे। 

1960 से पहले पाकिस्तान में था हुसैनीवाला

कम लोग जानते हैं कि वर्ष 1960 से पहले हुसैनीवाला पाकिस्तान में था। बाद में जनता की भारी मांग पर केंद्र सरकार ने फाजिल्का जिले के 12 गांवों को देकर पाकिस्तान से इसे ले लिया। वर्तमान में यहां बलिदानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की यादगार है। 

यहीं पर हुआ था मां विद्यावती का भी अंतिम संस्कार

उनका जन्म लायलपुर (अब फैसलाबाद, पाकिस्तान) में वर्ष 1909 में हुआ था। 23 मार्च, 1931 को लाहौर जेल में फांसी दिए जाने के बाद हुसैनीवाला में उनका अंतिम संस्कार किया गया था। यहीं पर उनके साथी, सुखदेव और राजगुरु की भी समाधि है। यहीं पर भगत सिंह की माता विद्यावती का भी अंतिम संस्कार किया गया था।

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