Sanskarshala: विवाद में पड़ने के बजाय समझना होगा कि हर किसी का अपना दृष्टिकोण है

पुलिस डीएवी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल रश्मि विज ने कहा कि जिस प्रकार हम बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं उसी प्रकार बताना होगा कि इंटरनेट की बहस को कैसे लेना है या फिर कैसे हैंडल करना है।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Fri, 23 Sep 2022 10:59 AM (IST) Updated:Fri, 23 Sep 2022 10:59 AM (IST)
Sanskarshala: विवाद में पड़ने के बजाय समझना होगा कि हर किसी का अपना दृष्टिकोण है
पुलिस डीएवी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल रश्मि विज।

जासं, जालंधर। आज की पीढ़ी एक नए संसार में आकर आंखें खोल रही है जहां इंटरनेट मीडिया हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। हमारे युग में इंटरनेट मीडिया जीवन का हिस्सा नहीं रहा और न ही था। इस कारण अधिकतर माता-पिता समझ ही नहीं पा रहे कि बच्चों व युवा वर्ग को इसके प्रति भी संस्कार देना समय की जरूरत है।

जिस प्रकार हम बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं, उसी प्रकार बताना होगा कि इंटरनेट की बहस को कैसे लेना है या फिर कैसे हैंडल करना है। इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि अपने बच्चों व युवाओं को आत्मविश्वास दें। उन्हें अपनी बात दूसरों के सामने रखने का संस्कार आना चाहिए। उनके विचारों का सुनने व मानने का संस्कार देना चाहिए।

अक्सर हम देखते हैं कि बच्चे डर के साएं में आगे बढ़ते हुए बोलते ही नहीं हैं। कुछ बोलते हैं तो ऐसा लगता है कि वे बहस कर रहे हैं। यही चीजें आजकल हमें इंटरनेट मीडिया में ज्यादा देखने को मिल रही हैं। जैसे किसी एक न अपना विचार रखा, तो उस पर दूसरा उससे मजबूत दावेदारी रखते हुए अपना पक्ष रखता है। फिर तीसरा कूद पड़ता है। एक बहस छिड़ते-छिड़ते लड़ाई का रूप ले लेती है।

लड़ाई का वही रूप घरों में, परिवार से लेकर स्कूल तक आ पहुंचता है। इस कारण हमें बच्चों को ये संस्कार देने हैं कि जो अपने विचार वो जरूर रखें, मगर ये जरूरी नहीं है कि उन विचारों को लेकर जो आपका दृष्टिकोण हो वो किसी दूसरे का भी हो। उस पर अपने विचार थोपने का हमारे पास कोई अधिकार नहीं है।

-डा. रश्मि विज, प्रिंसिपल, पुलिस डीएवी पब्लिक स्कूल पीएपी कैंप।

ध्यान भटकाता है इंटरनेट मीडिया, इस्तेमाल करने से बचें विद्यार्थी

कोई भी चीज अच्छी या बुरी हमारे इस्तेमाल पर निर्भर करती है। हम जिसका जैसे प्रयोग करेंगे वो वैसी ही लगेगी। इंटरनेट बहुत लाभदायक भी है और इंटरनेट बहुत खराब भी है। प्रिंसिपल होने के नाते समझता हूं कि 12वीं कक्षा तक विद्यार्थियों को किसी प्रकार के इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल से बचना चाहिए। यह उनके ध्यान को भटकाती हैं। आज कल कुछ इस तरह की वीडियो, मैसेज या जानकारियां साझी की जाती है, जिनका कोई भी वजूद नहीं होता। कई तरह की गलत जानकारियां साझी का जी रही है।

विद्यार्थी और आज की युवा पीढ़ी उसे ही सही मान लेती है। उसे और खुद को सही ठहराने के लिए वे उसे आधार मानकर विवाद करते है। इससे लड़ाई बढ़ती है।

मनमुटाव होता है। विभिन्न साइट्स पर एक दूसरे को ब्लाक करने लगते हैं। गालियां तक लिख देते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि इंटरनेट का इस्तेमाल मर्यादित ढंग से करें। किसी प्रकार की शब्दावली का प्रयोग सहजता से करना चाहिए। बेवजह नहीं उलझना चाहिए। इससे आपके समय की क्षति भी होती है। युवा पीढ़ी उसके बारे में सोचती रहती है।

अगर पूर्ण तौर पर कहें तो विद्यार्थियों को यही सलाह है कि वे इसका इस्तेमाल केवल ज्ञान बढ़ाने के लिए ही करें। अगर जरूरत पड़ रही है तो उतना ही इस्तेमाल करें जिससे आपकी मानसिक शांति भंग न हो। बेवजह न कमेंट करें और न उन पर रिएक्ट। अगर कोई गलत लिख रहा या सोच रहा है तो जबरदस्ती उसे ठीक करने की कोशिश न करें जिससे कि विवाद पैदा हो।

-जतिंदर सिंह, प्रिंसिपल, एमजीएन पब्लिक स्कूल, अर्बन अस्टेट फेस-2, जालंधर।

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